अगले महीने होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपना पूरा जोर लगा दिया है। राज्य में मौजूदा सरकार कांग्रेस की है। वह वहां दुबारा आने के लिए जीतोड़ कोशिश कर रही है। इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पुख्ता रणनीति अख्तियार कर रहे हैं। इस सबके बीच भारतीय जनता पार्टी को जोरदार झटका लगा है। क्योंकि लिंगायत समुदाय के 220 मठों के संतों ने रविवार (08 अप्रैल को) बेंगलुरू में बैठक कर कांग्रेस को चुनावों में समर्थन देने का ऐलान किया है।
रविवार (08 अप्रैल) को बेंगलुरू के बसवा भवन में लिंगायत मठों के संतों की बैठक हुई जिसमें चित्रदुर्गा के मशहूर मुरुगा मठ के संत मुरुगा राजेंद्र स्वामी, बसवा पीठ के माते महादेवी और सुत्तुर मठ के संत समेत कुल 220 मठों के संत शामिल हुए। सभी ने चर्चा कर एकमत से कांग्रेस की सिद्धारमैया को समर्थन देने का फैसला किया है।
अगर मठों के संतों की बात मानकर लिंगायत समुदाय के लोगों ने कांग्रेस के पक्ष में वोट किया तो बीजेपी का विजय अभियान न सिर्फ थम सकता है, बल्कि उसके लिए मुश्किलें भी खड़ी हो सकती हैं। बता दें कि राज्य में करीब 17 फीसदी आबादी लिंगायत समुदाय की है जो परंपरिक तौर पर बीजेपी के वोटर माने जाते रहे हैं लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा चली गई राजनीतिक चाल से बाजी पलटती नजर आ रही है। सिद्धारमैया ने लिंगायत समुदाय के धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देते हुए गेंद केंद्र की बीजेपी सरकार के पाले में डाल दिया है।
एक दिन पहले ही लिंगायत समुदाय की पहली महिला संत माते महादेवी ने सिद्धारमैया को समर्थन देने का ऐलान किया था और लोगों से भी कांग्रेस को समर्थन देने की अपील की थी। बता दें कि कर्नाटक में 12 मई को वोट डाले जाएंगे जबकि 15 मई को नतीजे आएंगे।
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