नयी दिल्ली : आज केंद्रीय कैबिनेट ने 12 वर्ष तक की उम्र के बच्चों -बच्चियों से बलात्कार के मामलों में दोषी को मौत की सजा सुनिश्चित करने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. केंद्रीय कैबिनेट ने बलात्कार के मामलों की त्वरित जांच और परीक्षण के लिए उपायों को स्थापित करने का भी फैसला किया है. साथ ही कोर्ट ने 16 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप के लिए न्यूनतम सजा 10 साल से बढ़ाकर 20 साल कर दी है.
उत्तर प्रदेश के उन्नाव और जम्मू कश्मीर के कठुआ में नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर देशभर में गुस्से के माहौल की पृष्ठभूमि में सरकार ‘बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) में संशोधन के लिए यह अध्यादेश लेकर आयी है. इस अध्यादेश में यह व्यवस्था भी की गयी है कि रेप के आरोपियों को अग्रिम जमानत ना मिले. साथ ही त्वरित न्याय के लिए मेडिकल जांच में भी कई बड़े बदलाव का प्रावधान किया गया है. इस अध्यादेश को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जायेगा.
प्रस्ताव के अनुसार 12 साल तक बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को भी मौत की सजा सुनाई जा सकती है. पॉक्सो कानून में वर्तमान प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है. न्यूनतम सजा सात साल की जेल है. दिसंबर 2012 के निर्भया मामले के बाद जब कानूनों में संशोधन किये गये तो बलात्कार के बाद महिला की मृत्यु हो जाने या उसके मृतप्राय होने के मामले में एक अध्यादेश के माध्यम से मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया जो बाद में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बन गया.
सरकार ने कल सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह दंडनीय कानून में संशोधन कर 12 साल या उससे छोटी उम्र की बच्चियों के साथ यौन अपराध के दोषियों को मौत की सजा के प्रावधान को शामिल करने पर विचार कर रही है. विधि मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया , ‘ इस मुद्दे से निपटने के लिए आज की स्थिति में अध्यादेश सर्वश्रेष्ठ तरीका है. संशोधन विधेयक के लिए मानसून सत्र शुरू होने तक का इंतजार करना पड़ेगा.' उन्नाव और कठुआ की घटनाओं पर अपनी पहली टिप्पणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह कहा था कि किसी अपराधी को छोड़ा नहीं जायेगा और बेटियों को न्याय मिलेगा.
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