रविवार, 9 सितंबर 2018

सीएसपी लोकेश कुमार सिन्हा पर लगा षड्यंत्रपूर्वक फर्जी केश मे फसाकर जेल भेजने के आरोप

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सीएसपी लोकेश कुमार सिन्हा पर लगा षड्यंत्रपूर्वक फर्जी केश मे फसाकर जेल भेजने के आरोप
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भोपाल. जल संसाधन राज्य मंत्री के ड्राइवर ने निशातपुरा पुलिस पर झूठे केस में फंसाने का आरोप लगाया है। ड्राइवर का आरोप है कि पुलिस को तीन लाख रुपए नहीं देने पर उन्हें फंसा दिया गया। पुलिस ने न सिर्फ कार्रवाई की बल्कि मंत्री की गाड़ी भी पकड़ी थी, जिसे बाद में वापस कर दिया। चालक ने एक वीडियो भी वायरल किया है।


उनका दावा है कि पुलिस का मुखबिर रुपए की सेटिंग की बात कर रहा है। ड्राइवर सरकारी चालक है और कई साल से मंत्री के यहां ड्राइवर है। जुलाई 2018 में निशातपुरा पुलिस ने कोरल कोसा टाउनशिप में किराए के डुप्लेक्स में सेक्स रैकेट पकडऩे का दावा किया था। पुलिस ने यहां से दो कॉलगर्ल, दो ग्राहक और एक दलाल को गिरफ्तार करने की जानकारी भी दी थी। गिरफ्तार आरोपियों में जल संसाधन राज्य मंत्री हर्ष सिंह का ड्राइवर नितिन पिता बीएस बोरसे भी शामिल था। इस मामले में नितिन ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस कर ये आरोप लगाया है कि पुलिस ने उसे षड्यंत्र पूवर्क फंसाया है।


उसने बताया कि 22 जुलाई की शाम वह और उसका दोस्त छिंदवाड़ा से आया था। वो कंप्यूटर का जानकार है, मेरी बेटी का सिस्टम अपडेट कर रहा था। इसी दौरान मेरे यहां काम करने वाला शेखर मुझसे रुपए लेने आया। 10 मिनट बाद दो लड़कियां और चार पुलिसकर्मी भी घर में आ धमके और सेक्स रैकेट चलाने का आरोप लगाकर हम तीनों को गिरफ्तार कर लिया। नितिन ने बताया कि पुलिस जब उसे थाने लेकर पहुंची तो एएसआइ पवन सेन ने कहा कि रुपए का इंतजाम कर लो, हमलोग छोड़ देंगे। उन्होंने मुझे धमकी दी कि घर में अभी किसी को मत बताना इसके बाद इन लोगों ने जो मोबाइल मेरे पास से जब्त किया था, उसे लौटा दिया और कहा कि रुपए की व्यवस्था करो। मामले में पीडि़त ने एक वीडियो भी वायरल किया है।


उनका दावा है कि मुखबिर मनोज है। मनोज वीडियो में कहा रहा है कि मैंने तो छुड़ाने की बात कर ली थी। रुपए की बात भी हो गई थी। इसी बीच सीएसपी के पास किसी का फोन आ गया। पंकज वीडिया में कह रहा है कि लड़कियां कमरे में कहां से आई मुझे नहीं पता। निशातपुरा सीएसपी लोकेश सिन्हा ने बताया कि जब हमारी टीम ने वहां पर कार्रवाई की तो ये लोग आपत्तिजनक हालत में थे। इनके खिलाफ नियम के तहत कार्रवाई की गई है। जो भी आरोप लगा रहे हैं वो गलत हैं।

इन पुलिसकर्मियों पर लगाया आरोप:

लोकेश सिन्हा, सीएसपी, पवन सेन, एसआई निशातपुरा, कंचन महिला पुलिस, निशातपुरा, वसीम खान, थाना निशातपुरा, तीन अन्य आरक्षक, दो अन्य महिलाएं, पंकज कुमार सिंह, मुखबिर

गुरुवार, 6 सितंबर 2018

उज्जैन संभागायुक्त एम बी ओझा के नाम पर चल रहा अड़ीबाजी का खेल


उज्जैन संभागायुक्त एम बी ओझा के नाम पर चल रहा अड़ीबाजी का खेल
TOC NEWS @ http://www.tocnews.org/

क्राइम रिपोर्टर । कथित पत्रकार संगठन आइसना के नाम पर उज्जैन संभाग में नीमच एवं कई क्षेत्रों में उज्जैन संभाग आयुक्त एम बी ओझा के नाम पर कई फर्जी पत्रकार अड़ीबाजी कर अपनी दुकान चला रहे हैं। एक फर्जी पत्रकार नरेंद्र गहलोद, युगल किशोर, दिनेश सिंह, यतेंद्र सिंह, अविनाश तो खुलेआम अड़ीबाजी कर रहे है।

नीमच की जनता इन लुटेरे से परेशान है नरेंद्र गहलोद अपने आपको पत्रकार संगठन आइसना का प्रदेश मीडिया प्रभारी और उज्जैन संभागायुक्त एम बी ओझा और उनके तथाकथित बड़े भाई अवधेश भार्गव का खासमखास बताता है अवधेश भार्गव पर भोपाल न्यायालय में दर्जनों प्रकरण दर्ज हैं एक प्रकरण बैरागढ़ की एक महिला ने उसके साथ बलात्कार करने के आरोप लगाया औऱ कमरे में बंद कर मारपिटाई करने के प्रकरण में इनको 6 माह की सजा भी पढ़ चुकी है। इस प्रकरण में अवधेश भार्गव की पत्नी, पुत्र और बहू भी शामिल रही है। इन अभियुक्तों को न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी राधाकिशन मालवीय द्वारा अपराध क्रमांक 11542 /06 में पारित निर्णय एवं दंड आदेश दिनांक 18 /3/ 13 के अनुसार विभिन्न धाराओं में भारतीय दंड संहिता आरोप में 6-6 माह के सश्रम कारावास एवं ₹500 अर्थदंड से दंडित किया गया। पूरी कहानी हम आगे बताएगें।

फर्जी पत्रकार नरेंद्र गहलोद मौके का फायदा उठाकर क्षेत्र की जनता धौंस दिखाकर अड़ीबाजी कर रहा है।
इन अड़ीबाज पत्रकार नरेंद्र गहलोत, युगल किशोर, दिनेश सिंह, यतेंद्र सिंह चारों अड़ीबाजो के खिलाफ आजाक थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। अपराध में धारा 384 आईपीसी जबरदस्ती वसूली करने, धारा 452 आईपीसी बिना अनुमति घर में घुसने चोट पहुंचाने के लिए हमले की तैयारी हमला और गलत तरीके से वसूली अड़ीबाजी का दबाव बनाना जिसमें 7 साल का कारावास गैर जमानती अपराध है जो समझौता करने योग्य नहीं है, धारा 143 गैरकानूनी जन सभा के सदस्य होने के नाते दंड अवधि के लिए 6 महीने का कारावास एवं व आर्थिक दंड का कारावास है। 149 विधि विरुद्ध जन समूह का हर सदस्य समान लक्ष्य का आयोजन करने में किए गए  अपराध का दोषी गम्भीर अपराध है धारा 120 बी आईपीसी यह धारा भी लगाई गई है यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

यह प्रकरण नीमच न्यायालय में माननीय न्यायाधीश नरेंद्र कुमार भंडारी जी के यहां विचारधीन है। जल्द ही इन अडिबाजो को जो पत्रकारिता का चोला ओढ़कर उच्चधिकारियों के संरक्षण में आज भी वसूली जैसे अपराधों को नियमित तौर पर कर रहे हैं कारावास की सजा होने वाली है। आखिर ऐसे गंभीर अपराध में लिप्त अपराधी का कैसे उच्च अधिकारियों से सम्बन्ध हो सकता है और इनको जिला प्रशासन इस तरह की छूट देते हैं कि जनता के साथ लूट खसोट मचा रखो। देखना है कि इनकी लूट खसोट कब तक चलती है। इस तस्वीरों को देखकर जनता खुद समझ सकती है की लुटेरों की पकड़ कहा तक है।

अवधेश भार्गव की धोखाधड़ी का शिकार हुआ अधिमान्य पत्रकार एन पी अग्रवाल, बीमा कंपनी से लाखों की धोखाधड़ी की

भोपाल. फर्जी पत्रकारों के नाम पर कलंक चिटरबाज अवधेश भार्गव आज से नहीं पिछले 30 वर्षो पत्रकारों का शोषण करने वाला और जालसाज है. पत्रकार भवन समिति से लेकर जहॉ भी यह रहा उसे बर्बाद करके रख दिया। भोपाल शहर के कई लोगों को और कई पत्रकारों पर जालसाजी करके फर्जी प्रकरण में फसा दिया और अब इसी कड़ी में एक और शिकार हो गया।

मामला रोचक और अपराध गंभीर है। पत्रकार स्वास्थ्य एवं दुर्घटना बीमा योजना जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रदेश मे काम कर रहे पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कराया जाता है जनसम्पर्क विभाग ही इस बीमा योजना की प्रीमियम राशि का भुगतान भी करता है. यह सब होने के बाद बीमा कंपनी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड पत्रकारों को अस्पताल में भर्ती होने पर कैशलेश इलाज की सुविधा प्रदान करते हैं। इस योजना का फायदा उठाकर कथित पत्रकार अवधेश भार्गव ने वर्षो पुराने पत्रकार साथी श्री नारायण प्रसाद अग्रवाल के बीमा योजना कार्ड पर अपना इलाज करवाकर बीमा कंपनी को लाखों का चूना लगा दिया। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के मैनेजमेंट शाखा MD इंडिया हेल्थ इंश्योरेंस TPA प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को भी अवधेश भार्गव की शातिर चाल का आभास नहीं हो पाया।
सत्य घटना मार्च 2016 में अवधेश भार्गव जब स्टेट न्यूज़ भोपाल की लिफ्ट से फिसलकर गिर गये थे, हाथों की हड्डी के क्रेक हो गई थी टूट गई थी। इलाज के लिए भोपाल के सिटी हास्पीटल जोन 2 एमपी नगर में भर्ती हुए और अपना इलाज शुरू करवा दिया। मैं स्वयं विनय डेविड उस वक्त इसी हास्पीटल मै अपना इलाज करवा रहा था। हम एक ही पत्रकार संगठन में पदाधिकारी होने की वजह से वहां उपस्थित थे। अवधेश भार्गव ने पत्रकार एन पी अग्रवाल को कहा कि है वह झूठी बीमारी का बहाना बनाकर अस्पताल में भर्ती हो जाएं और अपना बीमा कार्ड ओर अन्य दस्तावेज दे दें।पत्रकार एन पी अग्रवाल खास दोस्त होने की वजह से अवधेश भार्गव को मना भी नहीं कर पा रहे थे क्योंकि सामने अवधेश भार्गव हाथों की टूटी हड्डी बिस्तर पर पड़ा था और अवधेश भार्गव के पास अपना इलाज करवाने के लिए भी रुपया नहीं था।
मरता क्या नहीं करता पत्रकार एन पी अग्रवाल खास दोस्त अवधेश भार्गव के खातिर अग्रवाल अपना बीमा कार्ड और दस्तावेज लाकर हॉस्पिटल में भर्ती हो गए और अपने इलाज का इस्टीमेट बीमा कंपनी की शाखा को भिजवा दिया चूंकि अवधेश भार्गव पहले से बीमा कंपनी के मैनेजर जॉन को जानते थे इसलिए उनको फोन पर ही गुमराह कर अपने इलाज में लगने वाली रकम की अनुमति करवा ली।
अवधेश भार्गव की षड्यंत्रकारी शातिर चालों से बीमा कंपनी ने भरोसे में इलाज करने की अनुमति दे दी। अनुमति मिलने के बाद एन पी अग्रवाल ने विनय डेविड से कहा भार्गव के चक्कर में कही लफड़ा नही हो जाये इस पर विनय डेविड ने कहा आपको ऐसा फर्जीबाड़ा नही करना चाहिये हम लोग संगठन की ओर से फंड इकठ्ठा कर लेते। परन्तु भार्गव से सांठगांठ पहले तय हो गई थी।
बीमा राशि की अनुमति मिलने के बाद ही अस्पताल से NP अग्रवाल नदारद हो गये ओर दो दिन तक अस्पताल में नजर नही आये। यहाँ अस्पताल में अवधेश भार्गव ने अपने हाथ की टूटी हड्डी का ऑपरेशन करवा लिया और अवधेश भार्गव को हॉस्पिटल के प्रबंधन ने बिल की रकम जमा करने हो कहा तो भार्गव ने बिल का भुगतान NP अग्रवाल बीमा राशि की रकम से करने को कहा बोला आपको रुपया चाहिये ये बीमा कम्पनी से रुपया इसलिये ही जारी करवाया है पत्रकारिता की धौस दिखने लगा, हॉस्पिटल का बिल अधिक हो रहा था वहाँ भी अवधेश भार्गव अपनी पत्रकारिता दिखाते हुए बाकी के ₹50000 भी जमा नहीं किए।

*बीमा कंपनी से लाखों की धोखाधड़ी की शिक़ायत*

अवधेश भार्गव और अधिमान्य पत्रकार एन पी अग्रवाल कर द्वारा बीमा कंपनी से लाखों की धोखाधड़ी की शिकायत पत्रकार विनय डेविड ने MP नगर थाना, पुलिस अधीक्षक महोदय, पुलिस महानिरीक्षक महोदय, पुलिस महानिदेशक महोदय एवं यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, कमिश्नर जनसंपर्क विभाग, प्रमुख सचिव जनसंपर्क विभाग को कर दी है देखना है है कि इस धोखाधड़ी में शामिल लोग कब जेल की सलाखों के पीछे पहुंचते हैं। पुलिस आरोपियों को जल्द गिरफ्तार नही करती तो पत्रकारिता को कलंकित करनेवाले और इसकी आड़ में फर्जीबाड़ा करने वालों के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा लगाया जाएगा।
एक और मामले में एक भोपाल के हॉस्पिटल से फर्जी दस्तावेज जानकारी देकर सीएम सहायता से लिये लाखों रुपये जबकि बीमार कोई और बताया कुछ। वो भी करेंगे खुलासा।
*दोस्तों यह खबर औऱ खुलासा आपको कैसा लगा आप कमेंट बॉक्स पर अपने कमैंट्स भेज सकते हैं और  सब्सक्राइब करने के लिए लाइक करें। इस ख़बर को शेयर करें पुनः प्रकाशित के करें हमें कोई आपत्ति नही ।*
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