उज्जैन संभागायुक्त एम बी ओझा के नाम पर चल रहा अड़ीबाजी का खेल |
क्राइम रिपोर्टर । कथित पत्रकार संगठन आइसना के नाम पर उज्जैन संभाग में नीमच एवं कई क्षेत्रों में उज्जैन संभाग आयुक्त एम बी ओझा के नाम पर कई फर्जी पत्रकार अड़ीबाजी कर अपनी दुकान चला रहे हैं। एक फर्जी पत्रकार नरेंद्र गहलोद, युगल किशोर, दिनेश सिंह, यतेंद्र सिंह, अविनाश तो खुलेआम अड़ीबाजी कर रहे है।
नीमच की जनता इन लुटेरे से परेशान है नरेंद्र गहलोद अपने आपको पत्रकार संगठन आइसना का प्रदेश मीडिया प्रभारी और उज्जैन संभागायुक्त एम बी ओझा और उनके तथाकथित बड़े भाई अवधेश भार्गव का खासमखास बताता है अवधेश भार्गव पर भोपाल न्यायालय में दर्जनों प्रकरण दर्ज हैं एक प्रकरण बैरागढ़ की एक महिला ने उसके साथ बलात्कार करने के आरोप लगाया औऱ कमरे में बंद कर मारपिटाई करने के प्रकरण में इनको 6 माह की सजा भी पढ़ चुकी है। इस प्रकरण में अवधेश भार्गव की पत्नी, पुत्र और बहू भी शामिल रही है। इन अभियुक्तों को न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी राधाकिशन मालवीय द्वारा अपराध क्रमांक 11542 /06 में पारित निर्णय एवं दंड आदेश दिनांक 18 /3/ 13 के अनुसार विभिन्न धाराओं में भारतीय दंड संहिता आरोप में 6-6 माह के सश्रम कारावास एवं ₹500 अर्थदंड से दंडित किया गया। पूरी कहानी हम आगे बताएगें।
फर्जी पत्रकार नरेंद्र गहलोद मौके का फायदा उठाकर क्षेत्र की जनता धौंस दिखाकर अड़ीबाजी कर रहा है।
इन अड़ीबाज पत्रकार नरेंद्र गहलोत, युगल किशोर, दिनेश सिंह, यतेंद्र सिंह चारों अड़ीबाजो के खिलाफ आजाक थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। अपराध में धारा 384 आईपीसी जबरदस्ती वसूली करने, धारा 452 आईपीसी बिना अनुमति घर में घुसने चोट पहुंचाने के लिए हमले की तैयारी हमला और गलत तरीके से वसूली अड़ीबाजी का दबाव बनाना जिसमें 7 साल का कारावास गैर जमानती अपराध है जो समझौता करने योग्य नहीं है, धारा 143 गैरकानूनी जन सभा के सदस्य होने के नाते दंड अवधि के लिए 6 महीने का कारावास एवं व आर्थिक दंड का कारावास है। 149 विधि विरुद्ध जन समूह का हर सदस्य समान लक्ष्य का आयोजन करने में किए गए अपराध का दोषी गम्भीर अपराध है धारा 120 बी आईपीसी यह धारा भी लगाई गई है यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
यह प्रकरण नीमच न्यायालय में माननीय न्यायाधीश नरेंद्र कुमार भंडारी जी के यहां विचारधीन है। जल्द ही इन अडिबाजो को जो पत्रकारिता का चोला ओढ़कर उच्चधिकारियों के संरक्षण में आज भी वसूली जैसे अपराधों को नियमित तौर पर कर रहे हैं कारावास की सजा होने वाली है। आखिर ऐसे गंभीर अपराध में लिप्त अपराधी का कैसे उच्च अधिकारियों से सम्बन्ध हो सकता है और इनको जिला प्रशासन इस तरह की छूट देते हैं कि जनता के साथ लूट खसोट मचा रखो। देखना है कि इनकी लूट खसोट कब तक चलती है। इस तस्वीरों को देखकर जनता खुद समझ सकती है की लुटेरों की पकड़ कहा तक है।
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