भोपाल. पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने फरमान जारी किया है कि पुलिस अधिकारी और कर्मचारी प्रेस मीडिया से दूरी बनाएं। बिना अनुमति प्रेस मीडिया से संबंध रखे जाते हैं तो यह अनुशासनहीनता की श्रेणी में आएगा और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके पहले तीन अप्रैल को डीजीपी ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों के साथ की वीडियो कांफ्रेंसिंग में भी मीडिया से दूरी बनाने के संकेत दिए थे।
अफसरों को सख्त समझाइश
- - सोशल मीडिया पर पुलिस अफसरों और कर्मचारियों द्वारा अविवेकपूर्ण टिप्पणियां की जा रही है। अतिउत्साह में वाट्सएप ग्रुप में किसी भी पोस्ट का समर्थन न करें।
- - फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यू ट्यूब, ब्लॉग पर अनुचित, अमर्यादित एवं आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट न करें।
- - सोशल मीडिया पर शासकीय दस्तावेज को स्कैन कर, स्क्रीन शॉट शेयर न करें।
- - किसी भी विषय, फोटो अन्य सामग्री जो कि दुर्भावनापूर्ण, अश्लील, जाति-धर्म, लिंग, किसी के पक्षपात को प्रदर्शित करती हो इस तरह की पोस्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दें और न ही समर्थन करें।
- - पुलिस अफसर और कर्मचारी फर्जी नाम से फेसबुक, वाट्सएप या अन्य किसी सोशल साइट पर अपना प्रोफाइल पेज न बनाएं।
- - वीआईपी की सुरक्षा ड्यूटी में तैनात अफसर और कर्मचारी महत्वपूर्ण स्थलों के फोटो, सेल्फी सोशल साइट पर बिलकुल भी पोस्ट न करें। न ही ऐसी कोई जानकारी पोस्ट की जाए जिससे सुरक्षा को खतरा हो।
सख्ती इसलिए
भारत बंद के दौरान 2 अप्रैल को दलित संगठनों द्वारा की गई हिंसा को रोकने में नाकाम रही पुलिस अब मीडिया पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। पुलिस का मानना है कि मीडिया और सोशल मीडिया में चले मैसेज के कारण ही हिंसा भड़की। यही कारण है कि डीजीपी शुक्ला ने एक परिपत्र जारी कर पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को प्रेस मीडिया से दूर रहने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने परिपत्र में कहा है कि बिना अनुमति के प्रेस मीडिया से संबंध रखने वाले पुलिस अफसर-कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
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