इंदौर. मध्यप्रदेश सरकार को जबलपुर हाईकोर्ट की इंदौर बैंच ने नोटिस जारी किया है. ये नोटिस राज्य सरकार द्वारा 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने पर जारी किया गया है.
मध्य प्रदेश में पांच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा देेने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इसको लेकर लगातार शिवराज सरकार की चौतरफा आलोचना हो रही है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पर हमला बोल रहे हैं। वहीं, अब हाईकोर्ट ने इसको लेकर एमपी सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने नोटिस जारी कर राज्य सरकार से तीन हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने नर्मदा किनारे पौधरोपण और जल संरक्षण की जनजागरूकता के लिए गठित समिति में पांच बाबाओं को सदस्य बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया है। इनमें कंप्यूटर बाबा, पं. योगेंद्र महंत, नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी और भय्यूजी महाराज के नाम शामिल हैं। कंप्यूटर बाबा और पं. योगेंद्र महंत ने 'नर्मदा घोटाला रथ यात्रा' निकालने की धमकी दी थी लेकिन, राज्यमंत्री का दर्जा मिलते ही उनके सुर बदल गए। अब वे घाटों पर जनजागरण करने की बात कहने लगे हैं। बाबाओं का तर्क है कि यदि वे राज्यमंत्री का दर्जा नहीं स्वीकारते तो नर्मदा संरक्षण का काम कैसे आगे बढ़ाते। अब वे कलेक्टरों से अधिकार पूर्वक बात करेंगे।
उधर, बाबाओं को राज्यमंत्री के दर्जे से नवाजे जाने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने आपत्ति जताते हुए कहा कि ये महात्माओं के लक्षण नहीं हैं। महात्मा का पद किसी भी मंत्री पद से बड़ा है। वह इस संबंध में दिगंबर अखाड़ा को उपकृत बाबाओं पर कार्रवाई करने के लिए पत्र भी लिख रहे हैं। वहीं, काशी सुमेरूपीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि संत यदि मंत्री हो जाएं तो कैसा सम्मान। मंत्री को संत होना चाहिए।
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