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उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा को राज्यसभा का पत्ता काट दिया है. सपा ने अपने दिग्गज नेताओं को दरकिनार करते हुए जया बच्चन को दोबारा से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है.जया बच्चन समाजवादी पार्टी से राज्यसभा उम्मीदवार होंगी.
उन्हें पार्टी की ओर से नामांकन के लिए तैयार रहने को कहा गया है. इस ऐलान के साथ ही यह साफ हो गया है कि अब पार्टी नेता नरेश अग्रवाल राज्यसभा नहीं जा पायेंगे. पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है. बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान सपा में दरार के बीच समाजवादी पार्टी के नेता और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने नरेश अग्रवाल पर भाजपा का साथ देने का आरोप लगाया था.
अब जब नरेश अग्रवाल को टिकट नहीं देने का फैसला लिया गया है यह माना जा रहा है कि इस पर चाचा शिवपाल व भतीजे अखिलेश में सहमति बनी है. शिवपाल व अखिलेश के बीच बीते दिनों बैठक भी हुई थी. नरेश अग्रवाल, किरणमय नंदा और जया बच्चन के बीच नाम तय होना था. नरेश अग्रवाल पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव के करीबी माने जाते हैं. इसी के चलते उनका पत्ता कटा है.
वहीं जया बच्चन का किसी गुट में ना होना ही उनके लिए वरदान साबित हुआ और पार्टी ने उन्हें चौथी बार राज्यसभा भेजने का फैसला किया है. राज्यसभा का गणित- राज्यसभा चुनाव का फॉर्मूला है, खाली सीटें में एक जोड़ से विधानसभा की सदस्य संख्या से भाग देना. निष्कर्ष में भी एक जोड़ने पर जो संख्या आती है. उतने ही वोट एक सदस्य को राज्यसभा चुनाव जीतने के जरूरी होता है.10 सीटों में 1 को जोड़ा तो हुए 11. अब 403 को 11 से भाग देते हैं तो आता है 36.63. इसमें 1 जोड़ा जाए तो आते हैं 37.63. यानी यूपी राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक सदस्य को औसतन 38 विधायकों का समर्थन चाहिए.
बीजेपी के 8,सपा के 1 और 1 विपक्ष का संयुक्त- यूपी विधानसभा में सदस्यों की संख्या 403 है, जिसमें 402 विधायक 10 राज्यसभा सीटों के लिए वोट करेंगे. इस आकड़े के मुताबिक बीजेपी गठबंधन के खाते में 8, सपा को एक सीट. क्योंकि सपा के पास 47 विधायक हैं. ऐसे में वो सिर्फ अपने एक ही सदस्य को राज्यसभा भेज सकती है. सपा अपने10 अतरिक्त वोट, बीएसपी के 19, कांग्रेस के 7 और 3 अन्य मिलाकर विपक्ष का एक उम्मीदवार जा सकता है.
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