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माल परिवहन संबंधी ई-वे बिल की व्यवस्था पहली अप्रैल से शुरू हो रही है। इस बदलाव से माल भेजने वाले ग्राहक से लेकर ट्रांसपोर्टर प्रभावित होंगे। ई-वे बिल संबंधी नियमों का पालन न करने से माल और गाड़ी दोनों जब्त किए जा सकते हैं। यही नहीं, बाजार मूल्य के बराबर जुर्माना भी लिया जाएगा।
ई-वे बिल दरअसल एक दस्तावेज है, जो 50 हजार रुपए से अधिक मूल्य के कंसाइनमेंट के परिवहन के लिए वाहन के प्रभारी के पास कंसाइनमेंट के इन्वाइस या बिल ऑफ सप्लाई के साथ होना चाहिए। किसी भी व्यवसायी को ई-वे बिल जनरेट करने से पहले ई-वे पोर्टल पर अपना पंजीयन कराना होगा।
ये है ई-वे बिल से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
ई-वे बिल का निर्धारित प्रारूप फार्म ईडब्लूबी-01 है। इसमें इलेक्ट्रानिक माध्यम से जानकारी भरकर तैयार की जाती है। इसके दो भाग हैं- पहला भाग ए, दूसरा बी।
पार्ट ए में माल के प्राप्तकर्ता का जीएसटीआईन, डिलीवरी का स्थान, बीजक एवं ट्रांसपोर्टर का इनरोलमेंट नंबर या ट्रांसपोर्ट का डाक्यूमेंट नंबर (रेल, वायु या जहाज से परिवहने करने पर) भरा जाता है। पार्ट बी में केवल वाहन का नंबर भरना होगा। पार्ट ए एवं बी भरने के बाद ही ई-वे बिल मान्य होगा।
कौन जनरेट कर सकता है
ई-वे बिल जनरेट करने वाला व्यक्ति पंजीकृत होना चाहिए जो माल परिवहन कर रहा है। परिवहन शुरू करने से पहले पार्ट ए की जानकारी देगा। यदि पंजीकृत व्यक्ति जो स्वयं के वाहन से या किराए के वाहन से अथवा रेल, विमान या पोत से परिवहन करा रहा है, तो पार्ट बी में वाहन का नंबर, डाक्यूमेंट नंबर डालकर ई-वे बिल जनरेट करेगा।
यदि माल का पारगमन, अपंजीयत व्यक्ति द्वारा किया स्वयं के वाहन, किराए के वाहन या ट्रांसपोर्टर के माध्यम से कराया जाता है, तो वह या ट्रांसपोर्टर ई-वे बिल जनरेट करेगा। इसी तरह यदि प्रिंसिपल दूसरे राज्य में स्थित जॉब वर्कर को माल भेजता है, तो प्रिंसिपल द्वारा ई-वे बिल जनरेट किया जाएगा। (भले ही कंसाइनमेंट का मूल्य कुछ भी हो)
कब करना होगा बिल जनरेट
50 हजार रुपए से अधिक के कंसाइनमेंट को जब सप्लाई के लिए भेजा जाएगा, तो अलग-अलग कारणों से या अपंजीयत व्यक्ति से खरीद करने पर किया जाता है, तो परिवहन प्रारंभ करने से पहले ई-वे बिल जनरेट करना आवश्यक है। एक से दूसरे राज्य में माल भेजने के लिए चाहे दूरी कुछ भी हो, ई-वे बिल अनिवार्य रूप से जनरेट करना होगा।
ये हैं अन्य प्रावधान
ई-वे बिल जारी करने संबंधी मामले में कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान में यह बात शामिल है कि ट्रांसपोर्टर द्वारा ई-वे बिल से परिवहन किए जा रहे माल का दूसरी बार परिवहन होने से पहले, पहले वाले वाहन की जानकारी को अपटडेट किया जा सकता है।
यदि ई-वे बिल से संबंधित माल का परिवहन नहीं होता या ई-वे बिल में लिखी गई जानकारी के अनुसार नहीं होता, तो जो व्यक्ति यह बिल जनरेट कर रहा है, वह उसे 24 घंटे के अंदर कैंसिल कर सकता है।
पंजीकृत प्राप्तकर्ता को ई-वे बिल संबंधी कॉमन पोर्टल से उपलब्ध कराई जाएगी, जो ई-वे बिल से संबंधित कंसाईनमेंट को स्वीकार या अस्वीकर कर सकता है। यदि 72 घंटे के भीतर ये दोनों काम नहीं किए गए, तो प्राप्तकर्ता द्वारा इसे स्वीकार माना जाएगा।
ई-वे बिल प्रत्येक राज्य में वैध माना जाएगा। ई-वे बिल 100 किलोमीटर की दूरी के लिए जनरेट करने के समय से एक दिन तथा प्रत्येक 100 किलोमीटर की दूरी के लिए अतिरिक्त एक दिन (24 घंटे) के लिए वैध रहेगा।
जुर्माने का प्रावधान कड़ा
अगर कोई ट्रांसपोर्टर जीएसटी अधिनियम या नियम के प्रावधान को नहीं मानेगा, तो उसका वाहन और माल दोनों कुर्क या जब्त किया जा सकेगा। कुर्क वाहन तथा माल को मुक्त करने का भी प्रावधान है।
यदि माल का मालिक अग्रसर नहीं होता, तो माल पर देय टैक्स व माल पर जमा कर को घटाकर माल के मूल्य के 50 प्रतिशत राशि जुर्माने के रूप में जमा कर माल एवं वाहन को मुक्त कराया जा सकेगा।
यदि कुर्की के साथ दिनों के भीतर माल पर देय कर व जुर्माना जमा नहीं किया गया, तो माल जब्त कर लिया जाएगा। जुर्माना व अर्थदंड जमा कर माल व वाहन को मुक्त कराया जा सकेगा। अर्थदंड की राशि माल के बाजार मूल्य के बराबर हो सकती है।
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