टी. बी यह गंभीर रोग हैं यह तुबेरक्ले बेसिलस नाम का एक अत्यंत सूक्ष्म रोगाणु के कारण हो जाता है । यह रोगाणु मुंह के माध्यम से फेफड़ों में पहुंच जाते हैं वहां यह लाखों की संख्या में बढ़ते चले जाते हैं । टी. बी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है । लेकिन विशेष रूप से यह अधिकतर फेफड़ों , आंतों , हड्डियों में होती है।
दूषित वायुमंडल में रहना, टी. बी के रोगियों के साथ रहना, दूषित और पौष्टिकता से रहित भोजन करना ध्रुमपान, तंबाकू , का अत्यधिक प्रयोग करना और शारीरिक परिश्रम बिल्कुल नहीं करना आदि। टी. बी होने करण होते है।
लक्षण
टी. बी रोगी के शरीर का रंग हल्का पड़ता जाता है, उसकी शक्ति और भार में कमी होती जाती है। उसे खांसी आती है , पर्याय उसके बलगम के साथ खून भी निकलता है। उसे सीने और कंधे में दर्द का अनुभव होता है उसे बुखार भी हो जाता।
उपचार
1. रोगी को अनन्नास कर रस एक गिलास सुबह और एक गिलास शाम को पीना चाहिए।
2. अच्छी क्वालिटी का कच्चा प्याज एक गांठ सुबह तथा एक गांठ शाम को नींबू का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर खाना चाहिए।
3. ढाई सौ ग्राम दूध में लहसुन की 10 कलियां छीलकर वाले जब दूध ठंडा हो जाए उसमें शहद एक छोटा चम्मच भर मिलाकर रोगी को दिन में एक बार पिलाएं।
4. 200 ग्राम लौकी को पानी में डालकर हल्का गर्म कर लें, उसे उबाले नहीं इसके बाद उसको काटकर एक छोटा चम्मच भर शहद और एक नींबू का रस डालकर रोगी को खिलाएं सुबह शाम दोनों समय इसी प्रकार दें।
5. पुराने और कठिन रोगों में डॉक्टरी जांच अवश्य करवाएं घरेलू इलाज इतना निरापद है। इसे डॉक्टर को दिखाने के पहले और बाद में भी दिया जा सकता है।
6. कच्चे केले की सब्जी दिन में तीन बार रोगी को खिलाएं इसमें एक नींबू का रस मिला दे। रोगी को आराम मिलेगा।
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