होली का त्योहार सबके लिए खुशियां लेकर आता जरूर है लेकिन कुछ लोगों के लिए ये चिंता का सबब भी बन कर आता है इन कुछ लोगों में शामिल है- गर्भवती महिलाएं।
अन्य इंसानों की तुलना में गर्भवती महिलाओं में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जिस कारण उनके संक्रमित होने का खतरा अन्य महिलाओं से अधिक होता है।
साथ ही ये भी माना जाता है कि गर्भवस्था के दौरान रासायनिक रंगों से होली खेलने से महिलाएं और उनके गर्भ में पलने वाले बच्चे पर नकरात्मक असर पड़ता है ऐसे में इस दिन रासायनिक रंगों से दूर रहना ही बोहतर है।
क्योंकि इन रासायनिक रंगों को बनाने में कई बार व्यापारी एसिड, माइका, ग्लास पाउडर, अल्कालिस, लीड, बेंजीन, तथा एरोमेटिक कंपाउंड का इस्तेमाल करते हैं।
ये पदार्थ तंत्रिका तंत्र, गुर्दे तथा जनन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं इसलिए विशेषज्ञ परामर्श देते हैं कि होली में गर्भवती महिलाएं रंगों से दूर ही रहें, जिससे कि गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य भी न बिगड़े और उनमें त्योहार का उत्साह भी बना रहे।
अगर किसी गर्भवती महिला को होली का आनंद लेना भी है तो वो हर्बल रंग का इस्तेमाल कर सकती हैं
या फिर घर पर ही हल्दी, बीटरूट, प्याज ,पालक और धनिया पत्ता से बने रंगों का इस्तेमाल कर सकती हैं ये नैचुरल रंग होते हैं जिसके कारण इनसे कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता।
होली खेलते वक्त बैठकर ही होली खेलें भागम-भाग ना करें क्योंकि एक भी कदम अगर फिसला तो आपके साथ आपके गर्भ में पल रहे शिशु की जान पर आफत आ सकती है।
भले ही भांग एक प्राकृतिक चीज है, मगर उसका भी नशा बच्चे के जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
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