संदेहास्पद मौत : झाबुआ पॉवर प्लांट बना मौत का अड्डा |
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जबलपुर, । सिवनी जिले के घन्सोर थाने के अंतर्गत स्थित झाबुआ पॉवर प्लांट अपनी स्थापना से ही विवादों में रहा है. प्लांट लगते ही वहां संदेहास्पद मौतों का सिलसिला शुरू हो गया, जिसे प्लांट प्रबंधन द्वारा हर संभव तरीके से स्थानीय पुलिस तथा प्रशाशन के साथ मिलकर दबाने का प्रयास किया गया. जिसकी वजह से इस प्लांट में हुई मौतों की सच्चाई आज तक सामने नहीं आ पायी और सरकारी फाइलों में मामलों को बंद कर दिया गया.
लेकिन मध्य प्रदेश उच्च न्यायलय द्वारा पुलिस, प्रशाशन एवं प्लांट के अधिकारीयों को नोटिस जारी करने के बाद इन मौतों की सच्चाई के सामने आने का रास्ता साफ़ हुआ है. इन मामलों पर पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए उक्त तथ्य श्री संजय स्वामी द्वारा रखे गए. जिनके छोटे भाई की मृत्यु इसी प्लांट के भीतर अगस्त 2017 में हुई थी. घटना के बारे में उन्होंने बताया की उनके छोटे भाई आशीष स्वामी की संदेहास्पद मृत्यु में प्लांट के आला अफसरों और डॉक्टरों के आपराधिक कृत्यों और उनके भाई की हत्या होने के परिस्थितिजन्य एवं ज़ाहिर साक्ष्यों की जानकारी उनके द्वारा पुलिस को विभिन्न अवसरों पे दी गयी, जो की ASI से लेकर DGP तक सभी को दी गयी|
लेकिन प्लांट के रसूख, रुतबे और पैसों के चलते स्थानीय पुलिस ने आज तक कोई नीतिसंगत कार्यवाही नहीं की. बावजूद इसके की 2012 से अबतक कई नौजवान उस प्लांट के भीतर मर चुके हैं और हर घटना में प्लांट के अफसरों की कार्यवाही संदिग्ध रही है स्थानीय पुलिस केवल प्लांट के हितों की रक्षा हेतु कटिबध्ध है. श्री संजय स्वामी का मानना है की मामले की जांच की दिशा, दशा और अवधि ‘न्याय को विलंबित’ करने और पीड़ित परिवार को ‘न्याय से वंचित’ रखने की रही है, जिससे दोषियों को साक्ष्यों से खिलवाड़ का पूरा समय मिला है.
संज्ञेय अपराधों की स्पष्ट सूचना के बावजूद एफ आई आर न लिखा जाना एवं न्याय प्रक्रिया को इस प्रकार विलंबित करना न सिर्फ दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 का उल्लंघन है बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों की भी अवहेलना है उन्होंने बताया की जांच के संबंध में, मध्य प्रदेश पुलिस के अफसरों की अकर्मण्यता, अकुशलता एवं संदिग्ध प्रतीत होने वाली नृशंस कार्यप्रणाली से प्रताड़ित एवं हताश होकर उन्होंने दिनांक 14/12/2017 को CM हेल्पलाइन पे शिकायत क्रमांक 5136010 दर्ज किया था जिसे ‘फ़ोर्स क्लोज’ करते हुए IGP जबलपुर ने यह लिखा की “उपचार के दौरान आशीष स्वामी की मृत्यु हो गई” जबकि उन्ही के मातहत अफसरों द्वारा बनाये सभी मर्ग सम्बंधित दस्तावेजों में यह दर्ज है की “आशीष को मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया” अपनी याचिका (WP 9135/2018) में श्री संजय स्वामी ने IGP जबलपुर से मुक्त और स्वतंत्र जांच की याचना की है, जिसमे उन्होंने जांच के दायरे में पिछली सभी मौतों को लाने का अनुरोध किया है ताकि संपूर्ण न्याय संभव हो सके
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