अरुण श्रीवास्तव
TIMES OF CRIME
गाडरवारा. इटारसी जबलपुर के मध्य कई कस्बा और छोटे शहर रेलवे स्टेषनों के माध्यम से शहरों से जुडे हुये हैं। जिनका आधार पैसेंजर ट्रेने है। जिसके कारण साधारण वर्ग के लोग प्रभावित होते हैं। इन ट्रेनों से नौकरी पेषा, पढने वाले छात्र, मरीज, व्यवसायी नियमित रेल माध्यम के द्वारा जबलपुर एवं अन्य शहरों से लाभांवति होते हैं। लेकिन जब से शटल बंद हुई है, यह वर्ग बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। क्योंकि जबलपुर की ओर सुबह से 12 बजे तक शटल गाडी ही एक मात्र आवागमन का साधन है। और शाम के 6 बजे के बाद शटल के अलावा कोई दूसरी गाडी नहीं है। जो छोटे स्टेषनों पर रूकती हो। शटल की वजह से अप डाउनर्स काफी परेषान हैं।
किसी क्षेत्र के विकास में यातायात का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है। अतः रेल विभाग से अपेक्षा है कि नई टेªन चालू हो या न हों किन्तु शटल जैंसी गाडियाॅं को पुनः सुचारू रूप से चलाया जाये इस संबंध में सांसद महोदय राव उदय प्रताप सिंह के द्वारा संसद में भी बात रखी गई। और जन समुदाय द्वारा भी बार बार इसके परिचालन की मांग की जा रही है एवं ज्ञापन सौंपे गये लेकिन आज तक उक्त ट्रेन को चलाने में रेल विभाग ने कोई योजना नहीं बनाई है। शटल के चालू न होने के कारण से अब लोगों का धैर्य समाप्त हो चुका है सारे क्षेत्रवासी लामबंद होने के लिये तैयार हो रहे हैं। साथ लोगों का कहना है कि बोहानी स्टेषन जो कि कई वर्षों से उपेक्षित पडा हुआ है। यहाॅं अनेक सुविधाओ का अभाव भी है। पर्याप्त मात्रा में शेडों का अभाव और अप प्लेट फार्म को ऊॅचा करने के लिये अनेक बार ज्ञापन दिये जा चुक हैं। लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही न होने के कारण से लोगों में असंतोष व्याप्त है।
इस संबंध में क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि -
‘ शटल जो कि लोगों के लिये प्रतिदिन आवागमन हेतु साधन है। इसके न चल पाने के कारण व्यापार प्रभावित हो रहे हैं और लोगों को रेल की सुविधायें नहीं मिल पा रही हैं ‘‘ - अभिषेक रघुवंशी
जब से शटल बंद हुई हैं समीपी क्षेत्र के लोग अत्यंत परेषान हैं। टेªन को पकडने के लिये अब बहुत जल्दी स्टेषन आना पडता है। ठंड एवं बरसात में तो परेषानी अधिक बढ जाती हैं। - गिरधारी लाल वर्मा
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