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मोदी सरकार ने अपने कामकाज के प्रचार-प्रसार पर मोटा खर्च किया है। काम करो, एलान करो की नीति पर सरकार चली है। पिछले चार साल में अपने कामकाज के प्रसार पर मोदी सरकार ने 4343.26 करोड़ की रकम खर्च की है। ये जानकारी आरटीआई के मध्यम से सार्वजनिक हुई है।
पहले साल में मोदी सरकार ने हज़ार रुपये से कम का बजट अपने कामकाज का एलान करने पर रखा था। ये रकम प्रिन्ट, टीवी और दूसरे माध्यमों के जरिए की गयी। लेकिन ये क्रमश: बढ़ता गया जो चौथे साल में आकर पुन उसी बजट पर पहुंच गया जो 2014 में था।
1 जून 2014 से 31 मार्च 2015 के दौरान विज्ञापन पर खर्च 953.54 करोड़
प्रिन्ट मीडिया 424.85 करोड़
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 448.97 करोड़
बाह्य प्रचार 79.72 करोड़
अगले साल अपनी सरकार के कामकाज को लेकर दिए गये विज्ञापनों पर खर्च और भी ज्यादा हो गया। पिछले साल के मुकाबले 217.57 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए गये। 22.82 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह खर्च पहुंच गयी 1171.11 करोड़।
साल 2015-2016 के दौरान विज्ञापन पर खर्च 1171.11 करोड़
प्रिन्ट मीडिया 510.69 करोड़
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 541.99 करोड़
बाह्य प्रचार 118.43 करोड़
तीसरे साल मोदीसरकार ने विज्ञापनों पर खर्च और भी बढ़ा दिया। मगर, ये बढ़ोतरी महज 92.04 करोड़ रुपये की रही। प्रतिशत रूप में देखें तो यह 7.86 प्रतिशत रही। 2016-17 में सरकार के कामकाज के विज्ञापनों पर 1263.15 करोड़ खर्च किए गये।
साल 2016-2017 के दौरान विज्ञापन पर खर्च 1263.15 करोड़ रुपये
प्रिन्ट मीडिया 463.38 करोड़
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 613.78 करोड़
बाह्य प्रचार 185.99 करोड़
चौथा साल आते-आते नरेन्द्र मोदी की सरकार ने कामकाज के विज्ञापनों पर खर्च घटाकर 955.46 करोड़ कर दिया। पिछले वर्ष के मुकाबले यह करीब 25 फीसदी की कमी थी और तकरीबन 2014-15 में इस मद में हुए खर्च के बराबर है।
1 अप्रैल 2017 से 7 दिसंबर 2017 के दौरान विज्ञापन पर खर्च 955.46 करोड़ रुपये
प्रिन्ट मीडिया 333.23 करोड़
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 475.13 करोड़ (31 मार्च 2018 तक)
बाह्य प्रचार 147.10 करोड़
अगर मनमोहन सरकार से तुलना करते हैं तो आरटीआई से हासिल की गयी जानकारी के अनुसार सरकार के दो साल बीतने पर ये खर्च शून्य था। यानी मनमोहन सरकार ने अपनी सरकार के कामकाज का बखान करने के लिए कोई खर्च डीएवीपी के माध्यम से नहीं किया था। वहीं मोदी सरकार ने अपनी सरकार के दो साल पूरे होने पर विज्ञापनों पर कुल 35 करोड़ 58 लाख 70 हज़ार 388 करोड़ खर्च किए थे। ये खर्च भी केवल प्रिन्ट मीडिया पर हुए खर्च का ब्योरा है। बाकी माध्यमों पर खर्च का ब्योरा सामने नहीं आया है।
प्रिन्ट मीडिया 424.85 करोड़
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 448.97 करोड़
बाह्य प्रचार 79.72 करोड़
प्रिन्ट मीडिया 510.69 करोड़
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 541.99 करोड़
बाह्य प्रचार 118.43 करोड़
तीसरे साल मोदीसरकार ने विज्ञापनों पर खर्च और भी बढ़ा दिया। मगर, ये बढ़ोतरी महज 92.04 करोड़ रुपये की रही। प्रतिशत रूप में देखें तो यह 7.86 प्रतिशत रही। 2016-17 में सरकार के कामकाज के विज्ञापनों पर 1263.15 करोड़ खर्च किए गये।
प्रिन्ट मीडिया 463.38 करोड़
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 613.78 करोड़
बाह्य प्रचार 185.99 करोड़
प्रिन्ट मीडिया 333.23 करोड़
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 475.13 करोड़ (31 मार्च 2018 तक)
बाह्य प्रचार 147.10 करोड़
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