गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी कर विवादों में घिर गए हैं। कर्नाटक में जिस प्रकार उन्होंने अपने समर्थकों को संबोधित किया है, वह किसी भी स्थिति में उचित नहीं माना जा सकता है। अगर किसी भी राजनीतिक दल या नेता से विरोध है, तो उस विरोध को रचनात्मक तरीके से भी सरकार के सामने प्रदर्शित किया जा सकता है।
लेकिन, मेवानी ने जिस प्रकार की भाषा व शैली का प्रयोग किया है, वह किसी भी स्थिति में अच्छी राजनीति का परिचायक तो नहीं ही माना जा सकता है। जिग्नेश मेवानी भले रोजगार की बात कर युवाओं को भड़का रहे हों, लेकिन प्रधानमंत्री की सभा में कुर्सियां उछालने की बात कर एक प्रकार से वे उन युवाओं को कानूनी पचड़े में फंसने की ओर धकेल रहे हैं। इसे पीएम मोदी का खौफ भी कहा जा रहा है।
कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी अपनी सिद्धारमैया सरकार को बचाने में लगी हुई है। आरोप लग रहा है कि मेवानी के माध्यम से कांग्रेस ने यह अपील युवाओं से कराई है, ताकि पीएम की रैली में अशांति फैले। गुजरात में कांग्रेस के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी मेवानी ने जीत हासिल की थी। गुजरात चुनाव के दौरान भी मेवानी ने पीएम मोदी के खिलाफ कई बयान दिए थे। हालांकि, अब मामला कर्नाटक है और वे यहां कांग्रेस को समर्थन करने के लिए आए हुए हैं। ऐसे में भाजपा का सीधा हमला मेवानी के माध्यम से कांग्रेस पर है। भाजपा का कहना है कि पीएम मोदी की चुनावी रैली शुरू होने से पहले ही कांग्रेस के भीतर खलबली मच गई है। इस कारण उनके नेता इस प्रकार का बयान दे रहे हैं। कांग्रेस से भाजपा ने सवाल किया है कि आखिर वे अब इस प्रकार की राजनीति पर भी उतर आए हैं। पीएम के चुनावी रण में उतरने से पहले ही कांग्रेस की हार मान लेने के रूप में प्रसारित किया जाने लगा है।
वैसे, जिग्नेश मेवानी अपने ही जाल में खुद फंस गए है। विवादित बयान पर कर्नाटक में केस दर्ज कराया गया है। भारतीय जनता पार्टी के चित्रदुर्ग जिले के अध्यक्ष ने यह एफआईआर दर्ज कराई है। इससे पहले चुनाव आयोग के पास भी भाजपा की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई थी। मेवानी ने चित्रदुर्ग में युवाओं से अपील की थी कि वे 15 अप्रैल को कर्नाटक में होने वाली पीएम मोदी की रैली में बवाल करें और और बाधा पहुंचाएं। चित्रदुर्ग में जिग्नेश ने कहा कि कर्नाटक के युवाओं का इस समय सबसे बड़ा योगदान यह हो सकता है कि जब 15 अप्रैल को पहली बार कर्नाटक में प्रचार के लिए पीएम मोदी पैर रखें तो उनकी रैली में घुस जाएं और कुर्सियां उछालें। मेवानी ने कहा था कि पीएम मोदी के कार्यक्रम को बाधित कर दें। उनसे पूछें कि दो करोड़ नौकरियों का क्या हुआ? अगर जवाब ना हो, तो उनसे कहें कि हिमालय जाकर सो जाओ और रामजी के मंदिर का घंटा बजाओ।
दरअसल, कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले दलित आंदोलन के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश में विपक्ष लगा है। कर्नाटक की सत्ता में वापसी का सपना देख रही भाजपा के लिए यह स्थिति की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। इससे पहले लिंगायत के मुद्दे पर भी कांग्रेस ने भाजपा को घेरा था। अब इस प्रकार की बातों के माध्यम से कांग्रेस दलित वोटों को अपने पक्ष में करने के प्रयास में है। उन्हें डर है कि पीएम मोदी अपनी बातों से युवाओं व कर्नाटक के लोगों का मन न बदल दें। कांग्रेस किसी भी स्थिति में यह राज्य गंवाना नहीं चाह रही है। इसलिए पीएम मोदी को इस प्रकार की बातों में फंसाने की कोशिश हो रही है। वैसे, पीएम नरेंद्र मोदी 15 अप्रैल से कर्नाटक के रण में उतरने वाले हैं और उसके बाद चुनाव प्रचार नए लेबल पर जाएगा। राज्य में विधानसभा की 224 सीटों के लिए 12 मई को मतदान है। वोटों की गिनती 15 मई को होगी।
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