होस्टल में रहता था विराट। परिवार से दूर रहकर पहले पहल तो अकेलापन हावी रहा लेकिन धीरे धीरे होस्टल के माहौल में वह ढल गया। अब तो उसका घर जाने को भी मन नहीं करता था। लेकिन छुट्टियों में जाना पड़ता। उस दिन भी ऐसा ही कुछ हुआ था।
प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता, ना वक्त के साथ और ना हालात के साथ घर से फोन आया कि किसी शादी में जाना है इसलिये उसे घर जाना था। उसने कई बहाने बनाने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। आखिरकार उसे शादी में जाने के लिए कॉलेज से छुट्टी लेनी पड़ी। अगले सुबह घर पहुंचते पहुंचते देर तो गई। घर गया तो पता चला कि घर वाले पहले ही शादी में जा चुके थे। उसने फोन किया तो उसके पिताजी ने उसे पता बता दिया लेकिन वह ठीक से समझ नहीं पाया। घर से निकल वह शादी वाले समारोह की तरफ चल दिया।
बड़ी मुश्किल से उसे एक घर में समारोह जैसा माहौल दिखा तो वह अंदर घुस गया। भूख से पेट में कुत्ते भोंक रहे थे तो वह खाने में व्यस्त हो गया। "एक्सक्यूज़ मी" एक लड़की की आवाज सुन उसने पीछे देखा तो बस देखता ही रह गया। वो लड़की खूबसूरत थी या खूबसूरती ही उस लड़की की परछाई थी। यह समझने में उसे कुछ पल का वक्त लगा कि वह रास्ते मे खड़ा है। जब दोबारा उस लड़की ने टोका तो वह होश में आया और रास्ते से हटा।
उसकी इस नादानी पर वह लड़की भी मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई और जब उसने पलट कर देखा तो वह समझ गया कि वह भी उसमें इंटरस्टेड है। उसने फैसला किया कि उस लड़की से बात करेगा। पर इतनी भीड़ में उससे अकेले बात करने का मौका मिलना मुश्किल था। वह उसे ही देखता रहा। एक बार फिर उन दोनों की नजरें मिली और वह फिर मुस्कुरा दी। बस फिर क्या था इस हरी झंडी का उसने फायदा उठाया और उसके पास पहुंच गया। थोड़ी देर बातें हुईं और उसने अपना नम्बर उस लड़की को दे दिया। इतने में ही उसका फोन बजा।
"कहाँ रह गया तू" उसकी मम्मी चिल्लाई। उसने बताया कि वह पहुंच गया है। फोन काट वह पार्टी में अपनी मम्मी को ढूंढने लगा। जब उसे अपनी मम्मी नहीं दिखी तो उसने फिर से फोन किया। समझ में आने में थोड़ा वक्त लगा लेकिन जब समझ आया कि वह गलत पार्टी में आ गया है तो वह अपने आप पर हंसा। शायद उस लड़की से मिलवाने के लिये ही भगवान ने उसे यहां भेजा था।
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