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सितंबर 2016 में टेलीकॉम इंडस्ट्री में आई जियो ने मोबाइल के फील्ड में क्रांति ला दी. जिसने उपभोक्ताओं को सबसे सस्ती 4G सेवाएं दीं. जिससे भारत के उपभोक्ताओं ने करीब 60,000 लाख रुपये की बचत की. हाल ही में आई इंस्टीट्यूट फॉर कम्पटेटिवनेस की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ.
रिपोर्ट में बताया गया है कि डेटा सर्विस पर कम शुल्क की वजह से यह बचत हुई. साथ ही इस सर्विस ने देशभर में डेटा के उपभोग को भी बढ़ाया. यही नहीं इससे देश का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) भी 5.65 प्रतिशत बढ़ा है. जियो ने डाटा को सस्ता और लोगों की पहुंच में लाने में भूमिका निभाई है.
1 GB डेटा की कीमत 152 रुपये से घटकर 10 रुपये हुई
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रति जीबी डाटा की औसत कीमत जियो के आने के बाद 152 रुपए से घटकर 10 रुपए पर आ गई. इससे देश की बड़ी आबादी तक इंटरनेट की पहुंच सुलभ हुई. डाटा कीमतों में इतनी भारी गिरावट से समाज के नए वर्ग ने भी पहली बार इसका अनुभव लिया.
बता दें कि जियो मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज का दूरसंचार उपक्रम है. इंस्टीट्यूट ऑफ कम्पटेटिवनेस (आईएफसी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि गणना के अनुसार अगर बहुत कम कर आकलन किया जाए. जियो के प्रवेश से उपभोक्ताओं का सालाना 10 अरब डॉलर की बचत हुई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थमितीय विश्लेषण से पता चलता है कि यदि अन्य चीजें स्थिर रहती हैं, तो व्यापक नेटवर्क की वजह से जियो के प्रवेश ने देश के सकल घरेलू उत्पाद में 5.65 प्रतिशत का योगदान दिया है.
इंटरनेट की पहुंच से GDP में हुई बढ़ोतरी
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटरनेट पहुंच बढ़ने से जीडीपी वृद्धि का प्रभाव सिर्फ दूरसंचार क्षेत्र में योगदान तक सीमित नहीं है, बल्कि इंटरनेट अर्थव्यवस्था की वजह से अन्य दूसरी चीजों में भी इसका योगदान रहा है.
वहीं आईएफसी ने जियो के प्रवेश का आकलन आर्थिक वृद्धि में इंटरनेट की पहुंच के आधार पर किया है. इस मॉडल में 2004-14 से 18 राज्यों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है. इसके अनुसार यदि अन्य चीजें स्थिर रहती हैं और इंटरनेट की पहुंच 10 फीसदी बढ़ती है तो इससे प्रति व्यक्ति जीडीपी में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि होगी.
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