TOC NEWS // 11 फरवरी 2018
- आम आदमी पार्टी ने दिया अतिथि विद्वानों के आंदोलन को समर्थन
- प्रदेश संयोजक ने नीलम पार्क में सभा को किया संबोधित
*भोपाल ।* आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक और राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक अग्रवाल रविवार को नीलम पार्क में अतिथि विद्वानों के धरने में शामिल हुए। उन्होंने अतिथि विद्वानों की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि प्रदेश में आजकल हर काम संविदा पर हो रहा है। प्रदेश की सरकार लूट के लिए ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि तब क्यों न प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री भी नियमित न करके भाड़े पर ही चुन ले।
उन्होंने कहा कि हम आंदोलनों से निकले लोग हैं, चाहे अन्ना आंदोलन हो या प्रदेश के कई बड़े आंदोलन, आम आदमी पार्टी के लोगों ने आंदोलनों के माध्यम से सरकार के सामने अपनी मांगें रखी हैं और सरकार को झुकने पर मजबूर किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक ही नहीं सभी प्रकार के समान काम के लिए समान वेतन दिया जाना चाहिए। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने अतिथि विद्वानों को 35 हजार रुपए वेतन दिया है। दिल्ली में शिक्षा का बजट 24 प्रतिशत है, जो देश में सबसे ज्यादा है। यह इसलिए है क्योंकि हम मानते हैं कि शिक्षक का काम देश के लिए जागरूक नागरिक तैयार करना है।
उन्होंने कहा कि देश की भ्रष्टाचार की समस्या को जागरूक नागरिक ही दूर कर सकते हैं, और इसके लिए शिक्षकों पर बड़ी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। इसलिए उन्हें अपने काम का उचित मानदेय मिलना जरूरी है। लेकिन केंद्र और प्रदेश की सरकारें नहीं चाहती कि प्रदेश के नागरिक जागरूक हों। उलटे यहां मप्र में पिछले दो साल में 25 हजार स्कूल बंद कर दिए गए हैं। इनमें आप जैसे ही अतिथि शिक्षक, विद्वान आदि के परिवारों पर संकट आया।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों की यह लड़ाई अकेली नहीं है। असल में प्रदेश में ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार फैला हुआ है। प्रदेश के बच्चे कुपोषित हैं, फिर उन्हें अच्छी शिक्षा भी नहीं दी जा रही है। यह इसलिए कि शिवराज सिंह सरकार एक बीमार और मानसिक रूप से रूग्ण समाज बनाना चाहती है। ये लोग नहीं चाहते कि नागरिक इनसे सवाल पूछें, अपने अधिकार मांगे। उन्होंने कहा कि आप लोग जानते हैं कि हम आम आदमी पार्टी के लोग विभिन्न मसलों पर मजदूरों, किसानों की लड़ाई लड़ते रहे हैं। अब इन सभी लड़ाइयों को एकत्रित करने का वक्त आ गया है। यह हम सभी की ऐतिहासिल जिम्मेदारी है कि प्रदेश को राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक बदलाव दें। इसमें शिक्षकों की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें