times of crime
तमिलनाडु की राजनीति एमजी रामचंद्रन, एम करुणानिधि और जे जयललिता जैसी सिनेमाई किरदारों के बाद अब जिन दो नयी फिल्मी शख्सियतों से रू-ब-रू होने जा रही है, वे हैं रजनीकांत और कमल हासन। एमजीआर और जयललिता की तरह ही ये दोनों भी सुपर स्टार रहे हैं और इनकी फैन फॉलोविंग भी जबरदस्त है।
लंबे समय से इन दोनों सितारों के तमिलनाडु के राजनीतिक अखाड़े में उतरने की बात कही जा रही थी। और अब इन दोनों ने ही राज्य की राजनीति में उतरने का एलान कर दिया है। पहले रजनीकांत आये और अब कमल हासन भी इस रास्ते पर आगे बढ़ आये हैं।देखा जाये तो तमिलनाडु की राजनीति पूरी तरह से जयललिता और करुणानिधि के रूप में द्रमुक और अन्नाद्रमुक जैसे दो घ्रुवों के बीच बंटी हुई थी।
कांग्रेस यहां की राजनीति में अपना तीसरा कोण बनाने की कोशिश जरूर करती थी, लेकिन इसका जोर कभी भी ज्यादा नहीं चल सका। लेकिन अभी राज्य की स्थिति बदली हुई है। जयललिता का निधन हो चुका है और करुणानिधि इतने वृद्ध हो गये हैं कि राज्य की राजनीति संभालना अब उनके लिए काफी मुश्किल हो गया है। करुणानिधि ने अपनी पार्टी द्रविड़ मुन्नेत्र कड्गम की बागडोर बेटे स्टालिन के हाथ में सौंप दी है। लेकिन स्टालिन के खिलाफ उनके ही भाई एमके अलागिरी बार बार चुनौती पेश करते रहते हैं। बहन कनिमोझी भी पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है। हालांकि फिलहाल वो स्टालिन के साथ ही है।इसी तरह जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक भी तीन धड़ों में बंटी नजर आती है। ओ पनीरसेल्वम, ईडापड्डी के. पलानीस्वामी और टीटीवी दिनाकरन ने अपने तीन कोण बना रखे हैं। प
नीरसेल्वम और पलानीस्वामी फिलहाल समझौता करके एक साथ हो गये हैं और सरकार भी चला रहे हैं, लेकिन जयललिता की मित्र और उनके बाद पार्टी की बागडोर संभालने वाली वीके शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरन अन्नाद्रमुक सरकार को जमकर चुनौती दे रहे हैं। जयललिता की मौत से खाली हुई आरके नगर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर उन्होंने जयललिता का उत्तराधिकारी होने का मजबूत दावा भी ठोक दिया है। साफ है कि अन्नाद्रमुक भी जयललिता के जमाने की तरह संगठित नहीं, बल्कि पूरी तरह से बिखरी हुई है। इनके अलावा बीजेपी और वामपंथी दल यहां अपना दम जरूर ठोकते रहे हैं, लेकिन उनकी स्थिति कभी इतनी मजबूत नहीं रही कि वे द्रमुक या फिर अन्नाद्रमुक के सामने कोई चुनौती पेश कर सकें।
ऐसी स्थिति में रजनीकांत और कमलहासन दोनों के लिए राज्य की राजनीति में एक मौका बनता हुआ नजर आ रहा है और इसीलिए इन दोनों ही सुपर स्टारों ने सही समय देखते हुए अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने का एलान कर दिया है। तमिलनाडु की राजनीति में फिल्मी सितारों या फिल्म से जुड़े लोगों का बोलबाला रहा है। रजनीकांत और कमल हासन दोनों ही अपनी फिल्मों की वजह से तमिलनाडु की जनता के दिलो-दिमाम में बसे हुए हैं। ये सही है कि वे दोनों ही अभी राजनीति में अपनी पारी एकदम नये सिरे से शुरू करने जा रहे हैं, लेकिन दोनों को लग रहा है कि वे अपने फिल्मी सफर के दौरान बने फैन फॉलोविंग को चुनाव के दौरान अपने पक्ष में मोड़ने में आसानी से सफल हो जायेंगे।परेशानी ये है कि राज्य में द्रमुक और अन्नाद्रमुक के समर्पित मतदाताओं की संख्या काफी अच्छी है।
दोनों ही दलों के कार्यकर्ता रजनीकांत और कमल हासन दोनों की ही फिल्में देखना पसंद भी करते हैं। लेकिन जब ये दोनों सितारे सियासी संग्राम में उतरेंगे तो वे पहले से ही द्रमुक और अन्नाद्रमुक के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को अपनी ओर खींच पाने में किस हद तक सफल हो सकेंगे, ये देखने वाली बात होगी। इन दोनों ही सितारों की सियासी सफलता पूरी तरह से इसी बात पर निर्भर करेगी कि वे पहल से ही स्थापित द्रमुक और अन्नाद्रमुक के कैडर बेस में किस हद तक सेंध लगा पाते हैं।इन दोनों ही सितारों को इस बात का अहसास है कि द्रमुक और अन्नाद्रमुक दोनों में ही नेतृत्व को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। दोनों ही दलों की बागडोर जयललिता और करुणानिधि जैसे करिश्माई नेताओं के हाथ नहीं, बल्कि जबरन उनके उत्तराधिकारी बने लोगों के हाथ में है। द्रमुक में तो खैर फिर भी करुणानिधि ने एमके अलागिरी के विरोध के बावजूद स्टालिन को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है, लेकिन अन्नाद्रमुक में तो अभी तक जयललिता की विरासत को लेकर शशिकला और टीटीवी दिनाकरन गुट का ओ पनीरसेल्वम और इडापड्डी के पलानीस्वामी के गुट से विवाद बना हुआ है।
चुनाव आयोग ने भले ही पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी के पक्ष में अपना मंतव्य दिया है, लेकिन ये दोनों ही नेता पार्टी कार्यकर्ताओं की प्रतिबद्धता को पूरी तरह से अपने पक्ष में कर पाने में अभी तक सफल नहीं हो सके हैं। कार्यकर्ताओं की बड़ी तादाद शशिकला और टीटीवी दिनाकरन के साथ जुड़ी हुई है। ऐसी स्थिति में देखा जाये तो द्रमुक और अन्नाद्रमुक दोनों के कार्यकर्ताओं में संभ्रम की स्थिति बनी हुई है। ये स्थिति रजनीकांत और कमल हासन दोनों के लिए ही राजनीतिक दृष्टि से काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। मामूली कोशिश से ही ये सितारे पहले से स्थापित दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच अपनी राजनीतिक पैठ भी बना सकते हैं।
लेकिन परेशानी ये है कि ये दोनों ही सितारे एक साथ ही राज्य की राजनीति में उतरे हैं। अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की औपचारिक घोषणा करने के मामले में राजनीकांत ने बाजी मारी और 31 दिसंबर 2017 को ही एलान कर दिया कि उनकी पार्टी 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य की सभी 234 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। कमल हासन इस मामले में थोड़ा पीछे जरूर रह गये, लेकिन अंतत? उन्होंने भी द्रविड़ अस्मिता की रक्षा करने का नारा देकर राजनीति में उतरने का औपचारिक एलान कर दिया।कमल हासन और रजनीकांत दोनों की ही राज्य की जनता पर अच्छी पकड़ है, लेकिन वैचारिक तौर पर दोनों ही अलग अलग ध्रुव पर नजर आते हैं।
माना जाता है कि रजनीकांत का झुकाव आध्यात्म और हिन्दुत्व की ओर ज्यादा है। इसीलिए इस बात के भी कयास लगाये जाते रहे हैं कि रजनीकांत अपने राजनीतिक सफर में बीजेपी के साथ कदमताल करते हुए भी नजर आ सकते हैं। 2004 के आम चुनाव में भी रजनीकांत ने खुद बीजेपी के पक्ष में अपना वोट डालने की बात कही थी। हालांकि उन्होंने ये भी स्पष्ट कर दिया था कि वे अपने प्रशंसकों से बीजेपी के पक्ष में या फिर उसके खिलाफ वोट देने की अपील नहीं करेंगे। वहीं दूसरी ओर कमल हासन ने शुरू में ही एलान कर दिया कि उनकी राजनीति का मुख्य मकसद भगवावाद का विरोध और द्रविड़ अस्मिता की रक्षा करना होगा।
कमल हासन ने रजनीकांत के साथ राजनीतिक तालमेल की संभावना को भी यह कहकर खारिज कर दिया था कि भगवा रुझान वालों के साथ वे कभी भी सहयोग नहीं करेंगे।साफ है कि तमिलनाडु की राजनीति में ये दोनों सुपरस्टार आयेंगे तो साथ साथ, लेकिन दोनों एक दूसरे के खिलाफ दम ठोंकते ही दिखेंगे। दोनों ही सितारों का इरादा राज्य में मुख्यमंत्री का पद हासिल करने का है और इसलिए भी उनके एक साथ आने की संभावना नहीं के बराबर है। इस तरह से अभी तक राज्य में प्रायोगिक रूप में द्विकोणीय होने वाला चुनावी मुकाबला अगले विधानसभा चुनाव में चतुष्कोणीय या पंचकोणीय मुकाबले में तब्दील होता नजर आयेगा।
एक ओर जहां स्टालिन सीएम की रेस में होंगे, वहीं परंपरागत प्रतिद्वंद्वी के रूप में पनीरसेल्वम या पलानीस्वामी होंगे, जबकि टीटीवी दिनाकरन भी मुख्यमंत्री पद के लिए दावा ठोक रहे होंगे। और अंत में रजनीकांत और कमल हासन भी अपनी अपनी पार्टी के साथ मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर रहे होंगे। हालांकि अगला विधानसभा चुनाव होने में अभी काफी समय बाकी है, लेकिन इन दोनों फिल्मी सितारों के राजनीति में आने से अभी से ही वहां का मुकाबला दिलचस्प होता हुआ नजर आने लगा है।
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