नपाकर्मी घोलपुरे ने बीमार युवक को अस्पताल में भर्ती कराया, तहसीलदार ने कहा युवक के बयान के बाद होगा परिजनों पर प्रकरण दर्ज |
ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा : 8305895567
घोलपुरे ने उपचार के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई
नागदा जं.। लॉकडाउन अवधि में एक बीमार युवक को घर के कमरे में रखा, लगभग दो माह तक युवक को उपचार नहीं मिलने पर वह मरणासन्न पर पहुंच गया ।
सोमवार को सूचना मिलने पर नपा के सहायक स्वच्छता अधिकारी घोलपुरे ने युवक के घर पर पहुंचे और एम्बुलेंस की मदद से उसको उचपार के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। घोलपुरे ने तहसीलदार को मामले से अवगत कराया। तहसीलदार ने अस्पताल पहुंचकर युवक से चर्चा की। युवक के बयान के बाद परिजनों पर प्रकरण दर्ज हो सकता है।
खाचरौद निवासी मनीष धाकड़ ने दूरभाष पर नगरपालिका के सहायत स्वच्छता निरीक्षक कुशल घोलपुरे को सूचना दी कि जवाहर मार्ग निवासी शैलेंद्र पिता बाबुलाल पोरवाल का स्वास्थ्य खराब है, लॉकडाउन अवधि में युवक को उपचान नहीं मिलने के कारण उसकी हालत चिंताजनक हो गई। घोलपुरे अपने साथ महेश चंदेल के साथ सरकारी अस्पताल की एम्बुलेंस लेकर जवाहर मार्ग स्थित युवक के निवास पर पहुंचे और युवक को अस्पताल में भर्ती कराया।
घोलपुरे ने उपचार के लिए युवक के पिता बाबुलाल पोरवाल को एक हजार रुपए भी दिए, लेकिन पिता को पुत्र की चिंता नहीं थी। जिसको लेकर घोलपुरे और युवक के पिता में तीखी नोकझोंक हो गई। इस गंभीर मामले से घोलपुरे ने तहसीलदार विनोद शर्मा को अवगत कराया। मामले की जानकारी लगते ही तहसीलदार शर्मा, नायब तहसीलदार अनु जैन, नायब तहसीलदार सलोनी पटवा, बीएमओ डॉ. कमल सोलंकी युवक के पास पहुंचे और उससे चर्चा की। युवक दर्द के कारण तड़पता रहा था।
तहसीलदार शर्मा ने युवक की हालत देखकर उसके पिता बाबुलाल को फटकार लगाई। फिलहाल युवक ने बयान देने की स्थिति में नहीं है। तहसीलदार के अनुसार युवक के बयान लेने के बाद पिता के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाएगा। युवक को अस्पताल में भर्ती कराने के बाद सबसे पहले डॉ. जितेंद्र वर्मा और नर्स प्रीति मसीह ने अटेंड किया। डॉ. वर्मा के अनुसार भोजन नहीं करने के कारण युवक की हालत चिंताजनक बनी हुई है फिलहाल उसको चेस्ट पेन हो रहा है भोजन के अभाव में उसके शरीर की चमड़ी निकलने जैसी हो गई है। डॉ. वर्मा ने बताया कि युवक के स्वास्थ्य को सामान्य करने के लिए उपचार देना शुरु कर दिया गया है।
स्थिति सामान्य होने के बाद ही मामले की वास्तविकता सामने आ सके। पिता बाबुलाल ने तहसीलदार को बताया कि वह लगातार गुटखा पाउच खाने के लिए मांगता है, लेकिन लॉकडाउन में दो से तीन गुना दर पर गुटखा पाउच मिल रहे है परिवारिक स्थिति ठीक नहीं होने से गुटखा पाउच उपलब्ध नहीं करा सके। पिता के अनुसार उपचार के लिए कई बार शैलेंद्र को अस्पताल ले जाने का प्रयास किया, लेकिन वह हमेशा मना कर देता था। जब तहसीलदार ने पुछा कि मामले से आपने किसी प्रशासनिक अधिकारी को अवगत कराया तो, पिता मौन हो गए। तहसीलदार ने पिता को फटकार लगाई।
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