जिस चिकित्सा पद्धति की डिग्री हो, उसी की दवा लिखें डॉक्टर सी.एम.एच.ओ. डॉ. मिश्रा का डॉक्टर्स से आग्रह |
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जिला ब्यूरो चीफ जबलपुर // प्रशांत वैश्य : 79990 57770
जबलपुर. मान्यता प्राप्त विश्विद्यालय से बी ए एम एस और होम्योपैथिक, यूनानी विषय में उपाधि प्राप्त एवं भोपाल बोर्ड से पंजीकृत योग्यताधारी अनेक बी. ए. एम. एस. और बी. एच. एम. एस., बी. यू. एम. एस. चिकित्सकों द्वारा अपनी चिकित्सा पद्धति में दवाएं लिखने के स्थान पर उसकी आड़ में एलोपथी में दवाएं लिखने और उन दवाओं से मरीजों को नुकसान होने सम्बन्धी शिकायतें मिल रही हैं। ऐसा करना गैरकानूनी है। आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक चिकित्सकों के द्वारा ऐसा करने से उनका पंजीयन निरस्त हो सकता है।
मुख्य चिकितसा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष मिश्रा ने कहा है कि कोरोना महामारी के संक्रमण काल में अनेक आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक, यूनानी चिकित्सकों के द्वारा सर्दी जुखाम बुखार आदि का एलोपैथिक पद्धति से इलाज किये जाने सम्बन्धी शिकायतें प्राप्त हुई हैं । इससे कोरोना मरीज की शीघ्र जाँच में देरी होती है। इसके अलावा कई बी ए एम एस और बी. एच. एम. एस., बी. यू. एम. एस. चिकित्सक अपने क्लीनिक का पंजीयन भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में कराये बिना ही चिकित्सा व्यवसाय कर रहे हैं, जो की गैरकानूनी है। वे शीघ्र ही अपने दवाखाने का पंजीयन सम्बन्धी कार्रवाई पूर्ण कर लें।
आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अतिरिक्त वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में शासन से मान्यता प्राप्त संस्था से आयुर्वेद, होमियोपैथ, यूनानी आदि मान्य चिकित्सा पद्धति में उपाधिधारी आयुष डाक्टर वास्तविक या मान्य डाक्टर की श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं । फर्जी या झोलाछाप की नहीं। किन्तु इन्हें क्लीनिक खोलकर चिकित्सा व्यवसाय करने के पूर्व संबंधित चिकित्सा परिषद और सीएमएचओ कार्यालय में पंजीयन कराना अनिवार्य होता है।
मप्र राजपत्र 19 जून 2003 के अनुसार ऐसे व्यक्ति जिन्होंने आयुर्वेद के साथ मार्डन मेडीसन एन्ड सर्जरी अर्थात इंटीग्रेटेड बी.ए.एम.एस. उपाधि प्राप्त की है, सिर्फ वे ही आधुनिक चिकित्सा पद्धति एलोपैथी में उतने स्तर पर चिकित्सा कार्य कर सकते हैं, जितना की उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इनको छोड़ कर शेष बी. ए. एम. एस. चिकित्सक एलोपैथी में चिकित्सा व्यवसाय नहीं कर सकते हैं।
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