TIMES OF CRIME
फ्लोरिडा। विश्व का सबसे शक्तिशाली रॉकेट “फोल्केन हैवी” को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया हैं। अमेरिकी कंपनी SpaceX द्वारा बनाया इस रॉकेट की लॉन्चिंग के बाद लोगों में उत्साह नजर आया। फ्लोरिडा के केनडी Space X सेंटर स्थित नासा के लॉन्चिग पैड से ऐतिहासिक रॉकेट ने उड़ान भरी।
रात 2 बजकर 25 मिनट पर किया लॉन्च
भारतीय समय के मुताबिक इसे रात 2 बजकर 25 मिनट पर लॉन्च किया गया। Space X कंपनी का कहना है कि यह सबसे पॉवरफुल रॉकेट डेल्टा-4 से दो गुना वेट अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है। मंगल पर मानव जीवन की मस्क की महत्वाकांक्षी योजना की दिशा में यह पहला अहम कदम है। इसके साथ एक मुख्य बात ये भी है कि इस रॉकेट के साथ मस्क की कार को भी अंतरक्षि में भेजा गया है। और ये ऐसा पहली बार हुआ है।
भारतीय समय के मुताबिक इसे रात 2 बजकर 25 मिनट पर लॉन्च किया गया। Space X कंपनी का कहना है कि यह सबसे पॉवरफुल रॉकेट डेल्टा-4 से दो गुना वेट अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है। मंगल पर मानव जीवन की मस्क की महत्वाकांक्षी योजना की दिशा में यह पहला अहम कदम है। इसके साथ एक मुख्य बात ये भी है कि इस रॉकेट के साथ मस्क की कार को भी अंतरक्षि में भेजा गया है। और ये ऐसा पहली बार हुआ है।
इस रॉकेट को Space X कंपनी ने किया निर्मित
शक्तिशाली रॉकेट को टेस्ला के बिलेनियर एलन मस्क की कंपनी Space X ने निर्मित किया है। इससे पहले इस कंपनी ने इससे पहले सफलतापूर्वक रॉकेट बूस्टर्स का उपयोग किया था। भविष्य में इस रॉकेट के जरिए लोगों को मंगल और चांद पर भेजा जा सकेगा। Space X कंपनी के मालिक एलन मस्क ने मीडिया से बात की और कहा कि ‘ये अद्भुत है और इससे स्पेस के लिए एक नई रेस शुरू होगी’ उन्होंने आगे कहा कि “फोल्केन हैवी” के लॉन्च से बाकी प्राइवेट कंपनियां का भी हौसला बढ़ेगा’। सैटर्न-5 अब तक का सबसे पॉवरफुल रॉकेट था, अब उसका इस्तेमाल होना बंद हो गया है। सैटर्न-5 में 140 टन पेलोड ले जाने की ताकत थी. नासा ने सैटर्न-5 की मदद से ही चांद पर खोज के लिए कई मिशन भेजे थे। स्काईलैब भी इसी से लॉन्च की गई थी। यह 1973 तक प्रचलन में था।
शक्तिशाली रॉकेट को टेस्ला के बिलेनियर एलन मस्क की कंपनी Space X ने निर्मित किया है। इससे पहले इस कंपनी ने इससे पहले सफलतापूर्वक रॉकेट बूस्टर्स का उपयोग किया था। भविष्य में इस रॉकेट के जरिए लोगों को मंगल और चांद पर भेजा जा सकेगा। Space X कंपनी के मालिक एलन मस्क ने मीडिया से बात की और कहा कि ‘ये अद्भुत है और इससे स्पेस के लिए एक नई रेस शुरू होगी’ उन्होंने आगे कहा कि “फोल्केन हैवी” के लॉन्च से बाकी प्राइवेट कंपनियां का भी हौसला बढ़ेगा’। सैटर्न-5 अब तक का सबसे पॉवरफुल रॉकेट था, अब उसका इस्तेमाल होना बंद हो गया है। सैटर्न-5 में 140 टन पेलोड ले जाने की ताकत थी. नासा ने सैटर्न-5 की मदद से ही चांद पर खोज के लिए कई मिशन भेजे थे। स्काईलैब भी इसी से लॉन्च की गई थी। यह 1973 तक प्रचलन में था।
इस रॉकेट की मुख्य विशेषताएँ
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपनी वेबसाइट पर इस रॉकेट के निर्माण प्रक्रिया का वीडियो डाला है। नासा के अनुसार इस रॉकेट को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से भारतीय वक्त के अनुसार देर रात 12:00 लांच किया जाएगा। इस स्पेस रॉकेट का कुल वजन 63.8 टन है, जो दो स्पेस शटल के वेट के बराबर है। इसमें 27 मर्लिन इंजन लगे हैं, जो तीन फाल्कन 9 रोकेट के बराबर हैं। जमीन से उठने पर ये 50 लाख पाउंड का थ्रस्ट पैदा करता है जो बोइंग 747 एयरक्राफ्ट के 18 प्लेन द्वारा मिलाकर पैदा करने वाले थ्रस्ट के बराबर है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपनी वेबसाइट पर इस रॉकेट के निर्माण प्रक्रिया का वीडियो डाला है। नासा के अनुसार इस रॉकेट को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से भारतीय वक्त के अनुसार देर रात 12:00 लांच किया जाएगा। इस स्पेस रॉकेट का कुल वजन 63.8 टन है, जो दो स्पेस शटल के वेट के बराबर है। इसमें 27 मर्लिन इंजन लगे हैं, जो तीन फाल्कन 9 रोकेट के बराबर हैं। जमीन से उठने पर ये 50 लाख पाउंड का थ्रस्ट पैदा करता है जो बोइंग 747 एयरक्राफ्ट के 18 प्लेन द्वारा मिलाकर पैदा करने वाले थ्रस्ट के बराबर है।
यह रॉकेट 230 फुट लंबा है
यह रॉकेट 230 फुट लंबा है, जिसमें लगभग एक लाख 40 हजार पाउंड का वेट अंतरिक्ष में भेजा जा सकता है। बता दें कि इस कार्यक्रम को पांच साल की देरी का सामना करना पड़ा है। जुलाई 2017 में मस्क ने स्वीकार किया था कि उनकी टीम बेहद सरल था और ये कार्यक्रम उनकी सोच से ज्यादा कठिन साबीत हुआ है। देखना अब यह है कि क्या लॉन्च सफल होगा या नहीं?
यह रॉकेट 230 फुट लंबा है, जिसमें लगभग एक लाख 40 हजार पाउंड का वेट अंतरिक्ष में भेजा जा सकता है। बता दें कि इस कार्यक्रम को पांच साल की देरी का सामना करना पड़ा है। जुलाई 2017 में मस्क ने स्वीकार किया था कि उनकी टीम बेहद सरल था और ये कार्यक्रम उनकी सोच से ज्यादा कठिन साबीत हुआ है। देखना अब यह है कि क्या लॉन्च सफल होगा या नहीं?
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