नागदा : ग्रेसिम उद्योग बंद होने की कगार पर, यह रही बड़ी वजह |
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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा : 8305895567
नागदा - जल संकट से ग्रेसिम उद्योग बंद होने की कगार पर है। उद्योग के स्टेपल फाईबर के उत्पादन में गिरावट शुरू हो गई है। कुल 11 मशीनों में से मशीने एक एक कर स्लो हो रही है।
चंबल नदी में अब 40 एमसीएफटी पानी ही शेष रहने से प्रबंधक ने ग्रेसिम उद्योगो को धीरे-धीरे बंद करने का निर्णय लिया है। मानसून की स्थिति के अनुसार बाद में एक के बाद एक मशीनों को बंद कर उत्पादन को लगातार कम किया जाएगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उद्योग में प्रतिदिन भारी मात्रा में पानी की खपत रा-मटेरियल के रूप में होती है। उत्पादन में रोजाना तकरीबन 2 एमसीएफटी पानी की आवश्यकता होती है। सवा लाख की आबादी के शहर नागदा में जलापूर्ति भी चबंल नदी के भरोसे हैं। शहर से लगभग 14 किमी दूर कस्बा खाचरौद के वाशीयो की प्यास भी नदी से बुझती है। दोनों शहरों में मिलाकर प्रतिदिन आधा एमसीएफटी पानी की जरूरत आंकी जा रही है। मुख्य जंक्शन होने से यहां से गुजरने वाली रेलगाडिय़ों में पानी की आपूर्ती चबंल से की जाता है।
यदि जल्दी बारिश नहीं हुई तो उद्योग में कार्यरत कर्मचारियों पर भी प्रभाव पडऩे की संभावना है। उद्योग में लगभग 1600 स्थायी मजदूर तथा 2500 हजार ठेका श्रमिक की रोजी-रोटी जुड़ी है।
उद्योग में स्थानीय के अलावा बिहार, राजस्थान, उप्र, केरल, उतराखंड, उड़ीसा आदि प्रांतों के कर्मचारी बड़ी संख्या में कार्यरत हैं। पूरे ग्रेसिम उद्योग के बंद होने से शासन-प्रशासन को भी राजस्व में हानि की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। उद्योग प्रबंधक प्रतिदिन केंद्र एवं प्रदेश सरकार को तकरीबन 1 करोड़ का राजस्व चुकाता है। यहां का उत्त्पादन देश के कई भागों में कच्चा माल के रूप में पहुंचता है। विदेशों में भी ग्रेसिम का उत्पादन निर्यात होता है। ऐसी स्थिति में परिवहन में जुड़े लोगों का कारोबार प्रभावित हो सकता है।
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