शनिवार, 18 जुलाई 2020

गुना में वर्दी की गुंडागर्दी, बेलगाम पुलिस की किसान पर बर्बरता, कटघरे में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की काबिलियत

गुना में वर्दी की गुंडागर्दी, बेलगाम पुलिस की किसान पर बर्बरता, कटघरे में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की काबिलियत
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  • विजया पाठक
VIJIYA PATHAK
विजया पाठक वरिष्ठ पत्रकार
मंदसौर घटना के बाद गुना में एक दलित किसान पर पुलिस की बर्बरता ने शिवराज सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस घटना में भले ही शिवराज सरकार का कोई लेना-देना ना हो लेकिन बैठे-बिठाए विपक्ष को सरकार को घेरने का अवसर मिल गया है।
वहीं उपचुनाव के इस माहौल में विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस मामले को तूल देने पर अड़ी है, क्योंकि गुना के इस मामले में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की सार्थकता भी संदेह के घेरे में आ रही है। पुलिस प्रशासन के मुखिया होने के नाते यह उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह प्रदेश के पुलिस प्रशासन को काबू में रखें। यदि पुलिस बेलगाम होती है तो जिम्मेदार गृहमंत्री होते हैं।
बर्बरतापूर्वक कार्रवाई करने का हौसला पुलिस में कैसे पनपा। वायरल वीडियो में एक साफ दिख रहा है कि पुलिस बल कैसे एक बेबस और लाचार किसान दंपति पर लाठियां भांज रहा है। किसान दंपत्ति गिड़गिड़ाकर रहम की भीख मांग रहा है। इस अमानवीय और बर्बरतापूर्वक की गई कार्रवाई की चारों और निंदा होना स्वभाविक है।
दरअसल मप्र के गुना शहर के जगनपुर में आदर्श कॉलेज के लिए स्वीकृत जमीन से 14 जुलाई को कब्जा हटाने के दौरान दंपती के कीटनाशक पीने और इनके स्वजनों पर पुलिस के लाठीचार्ज का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। आपको बता दें कि नवीन आदर्श महाविद्यालय के लिए ग्राम जगनपुर स्थित भूमि सर्वे नं. 13/1 व 13/4 रकवा क्रमश: 2.090 व 2.090 आरक्षित की गई थी।
तहसीलदार ने अतिक्रामक गब्बू पारदी पुत्र गाल्या पारदी, कथित बटाईदार राजकुमार अहिरवार पुत्र मांगीलाल का कब्जा हटाने के लिए बेदखली की कार्रवाई के दौरान 14 जुलाई को पुलिस बल की उपस्थिति में सीमांकन कराया तथा बेदखली की गई। जब कार्रवाई चल रही थी, उसी समय राजकुमार अहिरवार व उसकी पत्नी सावित्रीबाई ने कीटनाशक पी लिया। इस मामले में कैंट थाने में संबंधितों के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा समेत अन्य धारा में मामला भी दर्ज कराया है। इसमें रामकुमार, शिशुपाल अहिरवार, सावित्री बाई समेत पांच-सात अज्ञात लोग आरोपित बनाए गए हैं।
स्थानीय प्रशासन का दस्ता जेसीबी लेकर यहां पहुंचा और राजकुमार अहिरवार के खेत में बोई जा चुकी फसल पर जेसीबी चलवा दी। ये सब होता देख राजकुमार ने काफी मिन्नत की लेकिन जब कार्रवाई नहीं रुकी तो उसने प्रशासन की टीम के सामने ही कीटनाशक पी लिया। पति को कीटनाशक पीते देख पत्नी में भी उसी बोतल से कीटनाशक पी लिया। इसके बावजूद प्रशासन ने जबरन पिटाई करते हुए दंपति को जीप में बैठाया। अस्पनताल में दोनों जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।
यहां एक सवाल फिर जिंदा होता है कि प्रशासन दबंगों और ताकतवरों के साथ तो बेहद नरमी और रहम के साथ पेश आता है। लेकिन कमजोर और बेबस लाचारों के साथ इतनी सख्ती बरतता है कि वह आत्मंहत्याब करने को मजबूर होते हैं। इस भेदभावपूर्व रवैये के कारण सरकारें और शासन हमेशा कटघरे में खड़ा होता है। मैं पूछना चाहती हूं कि आज प्रदेश के किस शहर किस कस्बे किस गांव में अतिक्रमण या अवैध कब्जा नहीं है। शहरों में शहर के दबंगों,बाहुबलियों या नेताओं का कब्जास है तो गांवों में गांवों के दबंगों का कब्जाि है।
इन शक्तिशाली बाहुबलियों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्महत न तो नेताओं में है और न ही प्रशासन में है। गरीबों पर अत्यााचारों की घटनाएं आम होती जा रही हैं। क्योंईकि सत्ताु में उनका कोई माई-बाप नहीं होता है। वह जिंदगी भर गरीबी से लड़ता रहता है। समाज का उच्चइ वर्ग और शासन और प्रशासन इनकी सुध लेने को तैयार नहीं रहता।
गुना में दलित किसान की घटना ने आज सारे देश को झंकझोर दिया है। दलितों पर होने वाले अत्याचारों को उजागर किया है। देश प्रदेशों में चाहे सरकारें किसी भी दल की हों। दलितों को हमेशा मोहरा बनाया जा रहा है। वह तो सिर्फ राजनीति के मुद्दों तक सीमित रहते हैं। गुना मामले पर भी वही हो रहा है। हम देख रहे हैं कि कांग्रेस कितनी तत्परता से मामले में घुसती जा रही है। पार्टी ने सात सदस्यीय दल तक गठित कर दिया है, जो अपने स्तर पर मामले की जांच करेगा। सब जानते हैं कि इस जांच दल का परिणाम क्या होगा।
कांग्रेस जानती है कि आने वाले समय में 25 जगहों पर उपचुनाव हैं और दलितों और किसानों को अपनी ओर खींचने का इससे बेहतर मौका नहीं मिलेगा। बहरहाल गुना में जो कुछ भी हुआ है वह मानवीय स्तर या प्रशासनिक स्तर पर बिल्कुल भी ठीक नहीं हुआ। एक दलित किसान का परिवार बिखर गया है। इसकी भरपाई कौन करेगा1 यहां बात सिर्फ एक मौसम की फसल की थी, जो उसने कर्ज लेकर बोई थी। इस फसल से उसकी आशाएं थीं।
उसकी आजीविका निर्भर थी। शिवराज सरकार को भी इस घटना से सबक लेना चाहिए। शिवराज जी आप किसानों के हितेषी हैं। आप के शासन के इस तरह की घटनाएं आपकी छवि को धूमिल करती हैं। बेलगाम होती पुलिस व्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत है।

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