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पुलवामा अटैक के एक साल हुए, मगर शहीद के परिवार को न पेंशन न नौकरी, कागज पर ही रह गए सारे वादे |
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पुलवामा हमले के एक साल बीत गए। शहीद महेश कुमार यादव के घर परिवार को अब तक सुविधाएं नहीं मिलीं। शहीद की पत्नी संजू देवी का कहना है कि शासन-प्रशासन की ओर से इस परिवार को कोई सुधि नहीं ली गई। शहीद की पत्नी ने बताया कि राजनेताओं, शासन तथा प्रशासन द्वारा किए गए वादे अब तक पूरे नहीं हुए।
नेताओं, शासन तथा स्थानीय प्रशासन द्वारा डेढ़ एकड़ जमीन देने का वादा किया गया था, लेकिन करीब 11 माह गुजरने के बाद भी जमीन का कोई कागज हमें नहीं मिला। घर तक पहुंचने के लिए सड़क तो मिली लेकिन बड़ी बड़ी गिट्टियां बिछाकर मार्ग अधूरा छोड़ दिया गया। जनप्रतिनिधियों ने शौचालय, सोलर लाइट और शहीद गेट तथा बच्चों की पढ़ाई कराने का वादा किया था, लेकिन अब तक किसी भी वादे के पूरे होने की उम्मीद नहीं दिख रही है।
स्वयं के खर्च पर दोनों बेटे को पढ़ा रहीं:
शहीद के दोनों बच्चे स्कूल जाते हैं। शहीद की पत्नी संजू देवी ने बताया कि दोनों बेटों समर और साहिल को वह अपने खर्चे पर पास के ही एक विद्यालय में पढ़ाती है।
स्कूली बच्चों का आयोजन नहीं:
शहीद के भाई अमरेश ने बताया कि वार्षिकी पर किसी तरह के सांस्कृतिक आयोजन नहीं होंगे। बताया कि गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने 14 फरवरी को पुलवामा अटैक पर बच्चों से एक कार्यक्रम कराने की पेशकश की थी, लेकिन हमने ऐसा कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाने को मना कर दिया।
मां-बाप को नहीं मिल रही पेंशन:
शहीद के बुजुर्ग माता शांति देवी व पिता राजकुमार यादव को पेंशन 11 माह बीत जाने पर अभी तक नहीं मिल रही है। पेंशन नही मिलने से शहीद के बुजुर्ग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए है। इससे दिक्कत हो रही है।
भाई को नहीं मिली नौकरी:
प्रशासन के नुमाइंदों ने शहीद महेश कुमार छोटे भाई अमरेश कुमार की नौकरी के कागजात को तो कई बार लिया लेकिन बार बार बहाना बनाकर टालते रहते हैं।
शहीद की मां शांति देवी ने कहा-पूरे नहीं हुए वादे
शहीद महेश कुमार की मां शांति देवी ने बताया कि प्रशासन व राजनेताओं के तरफ से गांव के प्रवेश द्वार पर शहीद का गेट, गांव में स्कूल एवं चिकित्सा सेवा देने का वादा तो किया गया लेकिन अब तक एक भी वादा पूरा नहीं हो पाया है।

- pulwama attack , mahesh kumar
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