विंध्यप्रदेश हमारा है हमें हमारा प्रदेश लौटा दें : विधायक श्री नारायण त्रिपाठी |
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भोपाल । विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर विंध्य के सपूत विधायक श्री नारायण त्रिपाठी के निवास पर रविवार को बैठक का आयोजन किया गया । जिसमें विंध्य प्रदेश के गठन को लेकर रणनीति तैयार की गई। चर्चा के दौरान पं. विनोद मिश्रा ने बताया कि जहां तक विंध्य प्रदेश का सवाल है तो हम कोई नया प्रदेश बनाने की मांग नहीं कर रहे हैं । हमारी मांग तो सिर्फ इतना है की हमारा विंध्य प्रदेश हमे लौटा दिया जाए।
मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने कहा आपको बता दूं कि विंध्य प्रदेश का गठन 4अप्रैल 1948 को तत्कालीन केंद्रीय लोकनिर्माण मंत्री एन बी गाडगिल ने किया था। जिसमें विंध्यप्रदेश में आठ जिले- रीवा, सीधी, सतना, शहडोल,पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया थे।14 अप्रैल1949 को विंध्यप्रदेश का मंत्रिपरिषद भंगकर इसे केंद्र शासित बना दिया गया। जिसका काफी विरोध हुआ था। 2 जनवरी 1950 को आंदोलनकारियों पर सरकार ने गोली चलवा दी। जिसमें कई लोगों की जानें गई थी। उसके बाद विलयन रुक गया।
2 अप्रैल 1952 को विंध्यप्रदेश की विधानसभा के लिए पहला निर्वाचन हुआ। 1956 में विंध्यप्रदेश के विलय की सिफारिश कर दी गई। 10 मार्च 2000 के दिन मध्यप्रदेश की विधानसभा में विंध्यप्रदेश के पुनरोदय का अशासकीय संकल्प रखा गया। यह अशासकीय संकल्प सर्वसम्मति से पास भी हुआ और उसे अग्रिम कार्रवाही के लिए लोकसभा भेज दिया।
1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ समेत तीन नए राज्य (उत्तराखंड, झारखण्ड) अस्तित्व में आ गए लेकिन विंध्यप्रदेश के बारे में आज तक निर्णय नहीं हो सका, अब हम एक बार फिर से अपने विंध्य प्रदेश की मांग करने लगे हैं । इसी संबंध में विधायक श्री नारायण त्रिपाठी के आवास पर विंध्य क्षेत्र के लोगों की एक बैठक बुलाई गई थी.
बैठक में विमलेश मिश्रा ओपी मिश्रा रामेश्वराय दीक्षित वंदना द्विवेदी लखन गौतम व अन्य लोग उपस्थित रहे
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