पुलवामा हमले की बरसी: महाराजगंज के पंकज त्रिपाठी हुये थे शहीद..परिवार को मलाल..वादे सिर्फ वादे रह गये |
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महाराजगंज । उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के फरेंदा क्षेत्र के हरपुर बेलहिया गांव के सीआरपीएफ जवान पंकज त्रिपाठी 14 फरवरी को शहीद हुए थे। उनकी सहादत को एक वर्ष पूरे होने वाले हैं। लेकिन उनके याद में किए गए वादे अभी भी अधूरे हैं। जिसे लेकर शहीद परिवार में मलाल है। देश के लिये शहीद होनेवाले पंकज के लिये बड़े-बड़े वादे हुए कुछ तो पूरे हुये लेकिन औरों के पूरे होने में कितना समय लगेगा यह नहीं मालूम।
फरेंदा क्षेत्र के हरपुर बेलहिया निवासी ओमप्रकाश त्रिपाठी के बेटे पंकज त्रिपाठी 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। जिसके बाद पूरा देश शहीदो के याद में रोया था। शहीद पंकज के घर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहुंच कर पीड़ित के परिजनों को ढांढस बंधाया था। शहीद परिवार की सहायता के लिए मदद की भी घोषणा की गई थी, जो आधे अधूरे ही रहे।
शहीद पंकज की याद में प्रशासन ने उनके गांव हरपुर में खेल मैदान बनाने की घोषणा की गई थी लेकिन ये अभी बदहाल हालत में है। सिर्फ मैदान का गेट बना कर काम को पूरा कर लिया गया। साथ ही शहीद के गांव जाने का संपर्क मार्ग भी खस्ताहाल है। चौराहे का नाम भी शहीद पंकज होने की घोषणा भी पूरी नहीं हो सकी। घर के बगल में बने शहीद पार्क के निर्माण भी मानक के अनुरूप नहीं है। साथ ही कई अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी जो सहायता की घोषणा की वह सिर्फ घोषणा बन कर रह गया।
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शहीद पंकज की मां सुशीला देवी ने बताया कि बेटे के खोने का गम तो पूरी जिंदगी रहेगा। एक वर्ष तो बेटे के याद मे रोते हुए बीत गया। उस समय तो पूरा क्षेत्र के साथ देश खड़ा था लेकिन अब कोई हाल लेने वाला नहीं रह गया है। पिता ओमप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि बेटे के शहीद होने के बाद पूरी जिंदगी अधूरा हो गई है। अब नाती प्रतीक के छवि में पंकज को देखकर बची जिंदगी को बितानी है। शहीद के भाई शुभम त्रिपाठी ने बताया कि शहीद पंकज के जाने का गम तो आजीवन रहेगा। उनकी कमी पूरे परिवार को खल रही है। उनके याद में 14 फरवरी को शहीद मेला लगेगा। जिसमें पार्क में शहीद पंकज त्रिपाठी के मूर्ति का अनावरण होगा। साथ क्षेत्र के शहीद परिवार को सम्मानित किया जाएगा।
देवरिया के विजय हुये थे शहीद
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के भटनी के छपिया जयदेव के शहीद विजय कुमार मौर्य जम्मू-कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए थे। जो सीआरपीएफ में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात थे। सीआरपीएफ के काफिले की गाड़ी में विजय कुमार मौर्या भी सवार थे जिसे आतंकी हमले में निशाना बनाया गया।
शहीद विजय कुमार मौर्य की पहली पुण्यतिथि 14 फरवरी 2020 को है। एबीपी गंगा की टीम ने शहीद की पत्नी विजयलक्ष्मी मौर्य से बात की। उन्होंने कहा कि वे देश के लिये शहीद हो गये हैं, इसका हम सभी को गर्व है। उन्होंने बताया कि वह कहते थे कि ''हम लोग कब, कहां ड्यूटी लग जाए कोई भरोसा नहीं है, तुम अपना और बच्चियों का ख्याल रखना''। हमेशा ऐसे ही सांत्वना दिया करते थे। ''गोरखपुर में जमीन लेने के लिये वह फ़रवरी में आये थे तो लोन लेने के लिए और बोले कि 24 में लोन पूरा हो जायेगा तो घर बनवा के वहीं बेटीयों को पढ़ाया जाएगा, तबतक यह घटना हो गई''।
पत्नी ने बताया कि वह कहते थे कि हमारा ट्रांसफर लखनऊ हो जायेगा तो वहीं शिफ्ट हो जाएंगे और वहीं बच्ची को पढ़ा लिखा कर डॉक्टर बनाएंगे। पत्नी विजय लक्ष्मी कहती हैं कि बेटी को डॉक्टर बनाने का जो सपना मेरे शहीद पति छोड़ गए उसे अब हम पूरा करेंगे। आपको बता दें कि शहीद विजय कुमार मौर्या अपने पीछे बेटी आराध्या को भी छोड़ गए जो ढाई साल की है।
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