घर का बुझा नन्हा चिराग, बच्चे की मौत होने पर उसे उसकी मां आखिरी बार गले तक नहीं लगा सकी..!! अंतिम दर्शन ऐसे किये |
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- ये कैसा लॉक डाउन है ये कैसी धारा 144 है जहां एक बच्चे की मौत होने पर उसे उसकी मां आखिरी बार गले तक नहीं लगा सकी......!!
- घर का बुझ गया नन्हा चिराग, ऑनलाइन ही किए 14 वर्षीय बेटे के अंतिम दर्शन..?
रतलाम (ताल). नगर के 14 वर्षीय बालक सुमित पोरवाल बीते 30 दिनों तक कैंसर व किडनी जैसी बीमारी से लड़ते हुए बुधवार को इंदौर में अंतिम सांस ली।
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते उसके शव को ताल नहीं लाने दिया। पिता बंकटलाल पोरवाल ने अंतिम संस्कार इंदौर में कर दिया। इधर 30 दिनों से अपने बच्चे से दूर मां ने अंतिम दर्शन ऑनलाइन पर वीडियो कालिग के माध्यम से किए। ताल के हास्पिटल रोड निवासी सुमित पिता बंकटलाल पोरवाल अपने बेटे को बेहतर इलाज के लिए ताल से इंदौर लेकर आए थे।
मिली जानकारी के अनुसार सुमित बंकटलाल पोरवाल (14 साल) का 10 मार्च को रतलाम के आरोग्य हॉस्पिटल में इलाज जारी था 20 मार्च को इंदौर के शेल्बी हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। लाकडाउन हो गया पिता और बेटा इंदौर में ही रिश्तेदार परिजनों के यहां इलाज के लिए रुके रहे। उसने बुधवार को गोकुलदास अस्पताल में दम तोड़ दिया ।
सुमित के शव को ताल लाने के लिए परिजनों ने कई वरिष्ठ अधिकारियों से निवेदन किया। उन्हें ताल लाने की अनुमति नहीं दी गई। ऐसे में मां भाई और बहन को वीडियो कॉलिंग कर सुमित के अंतिम दर्शन कराए। पिता ने बेटे का इंदौर में अंतिम संस्कार पंचकुइया मुक्तिधाम पर पोरवाल समाज इंदौर में मौजूद रिश्तेदार की उपस्थिति में लाकडाउन के नियमों का पालन करते हुए किया।
रो रोकर बुरा हाल
परिवार की सदस्य मां मंजू, बड़ा भाई विशाल, बड़ी बहन शिवानी का पिता बंकटलाल द्वारा सुमित को मुखाग्नि देते देख रो - रोकर बुरा हाल हो गया। सुमित कक्षा सातवी का छात्र था। बता दे कि सुमित की बड़ी बहन शालु का निधन वर्ष 2009 में पिकनिक से बस से लौटते समय उस वक्त हो गया था जब बस क्षिप्रा नदी में गिर गई थी। तब सात बच्चों सहित शिक्षिका की मौत हुई थी। तब सुमित की बड़ी बहन शालु भी इसी हादसे का शिकार हो गई थी।
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