सभी शादी शुदा पुरुषों को समर्पितउठो लाल अब आंखे खोलोबर्तन मांजो कपड़े धो लोझाड़ू लेकर फर्श बुहारोऔर किचेन में पोछा मारोअलसाओ न, न आंखें मूंदोसब्ज़ी काटो, आटा गूंथोतनिक काम से तुम न हारोघी डालकर दाल बघारोगमलों में तुम पानी डालो
छत टंकी से गाद निकालो
देखो हमसे खेल न खेलो
छोड़ मोबाइल रोटी बेलो
बिस्तर सारे, धूप में डालोख़ाली हो अब काम संभालोनहीं चलेगी अब मनमानीयाद दिला दूंगी अब नानीये, आईं है, अजब बीमारी
सब पतियों पे विपदा भारी
नाथ अब शरणागत ले लो
कुछ भी हो ये आफत ले लो।
घर में रहो सुरक्षित रहो यही दुआओ के साथविनय जी. डेविड*शुभ प्रभात*
छत टंकी से गाद निकालो
देखो हमसे खेल न खेलो
छोड़ मोबाइल रोटी बेलो
बिस्तर सारे, धूप में डालोख़ाली हो अब काम संभालोनहीं चलेगी अब मनमानीयाद दिला दूंगी अब नानीये, आईं है, अजब बीमारी
सब पतियों पे विपदा भारी
नाथ अब शरणागत ले लो
कुछ भी हो ये आफत ले लो।
घर में रहो सुरक्षित रहो यही दुआओ के साथविनय जी. डेविड*शुभ प्रभात*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें