बॉलीवुड की मशहूर सिंगर कनिका कपूर जिसे कोरोना वायरस के इस दौर में विष कन्या का नाम दिया गया है, का चौथा कोरोना टेस्ट भी पॉजिटिव आया है। चौथा कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आने का मतलब है कि कनिका कपूर के शरीर में 20 दिन बाद भी कोरोना का संक्रमण बाकी है।
कनिका कपूर 9 मार्च को भारत आयी थी और उन्होंने भारत आने के बाद कई पार्टी और इंवेंट किए। इसके अलावा वो सेकड़ों लोगों से मिली थी। 20 मार्च को ये खबर सामने आयी कि कनिका कपूर को कोरोना वायरस का संक्रमण है।
कनिका कोरोना पॉजिटिव
कनिका कपूर पर ये आरोप लगा कि वह विदेश से लौटी थी और जानती थी ति कोरोना वायरस फैला हुआ है। भारत में भी कोरोना के मरीज दिन पर दिन बढ़ रहे हैं ऐसे में वह पार्टी करती रही और लोगों से मिलती रहीं। कनिका ने सेलेब्रिटी होने के बाद भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। कनिका कपूर ने अपने कोरोना पॉजिटिव होने की बात खुद सोशल मीडिया पर शेयर की थी।
कनिका कपूर की इस हरकत से लोग काफी नाराज थे। प्रसाशन ने भी कनिका कपूर के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की थी। उत्तर प्रदेश में कनिका कपूर के खिलाफ शिकायत भी दर्ज करवायी गई। कोरोना पॉजिटिव पाये जानें के बाद से कनिका कपूर का इलाज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल में चल रहा है। यहां के डॉक्टरों के अनुसार कनिका की हालत स्थिर है।
अगर चौथा कोरोना टेस्ट भी पॉजिटिव आये तो क्या होता है?
कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति को आइसोट करके अलग वार्ड में रखा जाता है। यहां आने वाला डॉक्टर या नर्स हजमत सूट पहन कर ही आते हैं। कनिका कोरोना से लंबे समय से संक्रमित हैं। कनिका का लगातार चौथा टेस्ट भी कोरोना पॉजिटिव आया है।
इसका मतलब है कि कनिका के शरीर में अभी भी संक्रमण बाकी है। डॉक्टर के अनुसार कोरोना वायरस का असर मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता के अनुसार पड़ता है। जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है वह ज्यादा दिनों तक इस वायरस के संक्रमण को सह नहीं पाते हैं।
कनिका की बात करें तो कनिका इस समय डॉक्टर्स की निगरानी में हैं और उन्होंन ज्यादा प्रोब्लम नहीं है। उन्हें केवल खांसी, बुखार और थकावट महसूस हो रही हैं। इस लिए कनिका के फैंस को घबराने की कोई जरूरत नहीं है वह अस्पताल में ठीक है। उन्हें हॉस्पिटल तभी छुट्टी मिलेगी जब उनकी ब्लड रिपोर्ट कोरोना नेगिटिव आएगी।
अच्छे खान-पान से शरीर की रोग प्रतिरोधक श्रमता को बढ़ाया जा सकता है। कोरोना से छोटे बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा खतरा है क्योंकि उम्र के हिसाब से उनके शरीर में रोग से लड़ने की क्षमता कम हो जाती हैं।
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