सियासत के चक्रव्यूह में नागदा नगरपालिका |
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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा : 8305895567
नागदा। नगरपालिका चुनाव की देहलीज पर खड़े केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गेहलोत के गृहनगर नागदा में भाजपा के पुर्व केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त सुल्तान सिंह शेखावत के अनुज वरिष्ठ नेता रामसिंह शेखावत की एक याचिका पर हाईकोर्ट से आए एक निर्णय ने शहर की सियासत में भूचाल खड़ा कर दिया है।
प्रदेश में महाधिवक्ता कार्यालय पर सत्ता बदलने का प्रभाव नागदा की नगर पालिका के वार्डो के परिसीमन में हुई धांधली की याचिका पर देखने को मिला और भाजपा शासन में लंबित याचिका का 5 वर्ष बाद माननीय उच्च न्यायालय द्वारा परिसीमन को अवैध घोषित किया गया । पिछले कई सालो से भाजपा समर्थित महाधिवक्ता कार्यालय एवं याचिकाकर्ताओं की निष्क्रियता से यह याचिका माननीय उच्च न्यायालय में निलंबित कर भाजपा समर्थित नगरपालिका को बचाया जा रहा था ।
लेकिन सत्ता बदलते ही याचिका मा. न्यायाधीश महोदय के समक्ष पहुंचकर निर्णय पर पहुंची । इस याचिका को भाजपा शासन की नगरपालिका के विरुद्ध राम सिंह शेखावत द्वारा लगाई गई थी । इस याचिका के निर्णय से यह स्पष्ट हो गया कि भाजपा शासन में अधिकारी भाजपा नेताओं की भी नहीं सुन कर मनमानी और अवैधानिक काम करते थे ।
अब देखना यह है कि पद से हटाए जाने की संभावना को देखते हुए वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखट आते हैं या नहीं । राज्य शासन के चलते भाजपा समर्थित अधिकारियों के विरुद्ध गाज भी गिर सकती है । अब देखना है कि कितनी जल्दी नागदा के कांग्रेस नेता नगर पालिका के कब्जे से नपा. नागदा को मुक्त कराने का क्या प्रयास करते हैं।
उच्च न्यायालय ने वर्ष 2014 में जो परिसीमन हुआ था उसको शून्य करार घोषित कर दिया। हालांकि इस निर्णय पर अभी मत भेद है। कुछ लोग मात्र 2 वार्ड पर यह फैसला लागू मांन रहे है। पर शेखावत पूरे शहर पर लागू मानते है।
इस निर्णय से कांग्रेस व भाजपा दोनों की सियासत में हलचल मच गई। इसलिए कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है कि कुछ चौक्काने वाला परिणाम सामने आएगा। शायद लोगों की जुबां पर यह चर्चा इसलिए थी कि रामसिंह के अग्रज सुल्तान सिंह शेखावत मप्र की भाजपा सरकार में उस समय में एक बड़े ओहदे अर्थात कैबिनेट मंत्री के वजनदार पद पर काबिज थे।
प्रदेश में सरकार बदलते ही इस पिटीशन ने अपना रंग दिखा दिया। एक भाजपा नेता की पिटीशन पर भाजपा बहुमत की परिषद को एक दम धक्का लगा है।
प्रेस वार्ता के दौरान राम सिह शेखावत के चेहरे पर वर्ष 2014 के अफसरों के प्रति आक्रोश के भाव देखने को मिले। जिन्होंने शेखावत की आपत्तियों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से वार्ड का परिसीमन किया था। रातों- रात 6 हजार घुमक्ड़ लोगों के नाम वार्ड परिसीमन के समय जोड़े गए।
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