सुप्रीम कोर्ट में म.प्र, शासन व बिड़ला घराना के प्रबंधन के बीच अरबों की भूमि के विवाद की सुनवाई 25 को |
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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा : 8305895567
सुप्रीम कोर्ट में म.प्र, शासन व बिड़ला घराना के प्रबंधन के बीच अरबों की भूमि के विवाद की सुनवाई 25 को
नागदा । कैलाश सनोलिया जी अधिमान्य पत्रकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार मप्र शासन एवं ग्रेसिम उद्योग प्रबंधन के बीच नागदा स्थित अरबों की अचल संपत्ति को लेकर उठे विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आगामी 25 अक्टूबर को होगी।
हालांकि यह सुनवाई पहले 18 अक्टूबर को तय मानी जा रही थी, लेकिन अंतिम समय में तिथि बदल गई। सुप्रीम कोर्ट में यह प्रकरण दोनों पक्षों के बीच अरबों की बेशकीमती भूमि के स्वामित्व को लेकर है। यह भूमि नागदा राजस्व क्षेत्र में स्थित हैं। इस मामले में प्रशासन अब ग्रेसिम प्रबंधन को कानूनी पटकनी देने की तैयारी में है।
सुप्रीम कोर्ट में पंजीकृत पिटीशन क्रमांक एसएलपी 15837/ 2018 है। यह पिटीशन मप्र शासन ने दायर की है। पिटीशनर मप्र शासन प्रमुख सचिव वल्लभ भवन भोपाल एवं कलेक्टर उज्जैन हैं। स्थानीय प्रशासन की तरफ एसडीओ राजस्व व तहसीलदार भी पिटीशनर है। ग्रेसिम उधोग प्रबंधन, भारत कॉमर्स तथा परिसमापक उच्च न्यायालय इंदौर विपक्ष पक में है।
सुप्रीम कोर्ट में ग्रसिम प्रबंधन की और से जवाब पेश होने के बाद प्रशासन ने अब प्रत्युतर पेश करने की कानूनी रणनीति बनाई है।
दिल्ली रवाना हो रहे एसडीओ
स्थानीय स्तर के एसडीओ राजस्व नागदा अब इस प्रकरण को कानूनी मजबूती देने के लिए कई वजनदार अभिलेखों को लेकर 18 अक्टूबर की शाम को दिल्ली रवाना हो रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने भूमि को लेकर दो दिनों तक नागदा में जमकर मशक्कत की और कई वजनदार प्रमाणों को जुटाया है। इन प्रमाणों को अब रिजोइडर में प्रस्तुत किया जाएगा।
इस मामले में स्थानीय पिटीशनर एसडीओ राजस्व आरपी वर्मा से हिन्दुस्थान समाचार संवाददाता नागदा ने संपर्क किया तो उन्होंने दूरभाष पर पुष्टि की है कि वे इस कानूनी लड़ाई में मप्र शासन को पक्ष रखने के लिए मुस्तैद हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर होने के बाद ग्रेसिम ने जो जवाब पेश किया, उसका प्रत्युतर पेश करने की तैयारी में 18 अक्टूबर शाम को दिल्ली रवाना हो रहे हैं। वहां वे प्रशासन के अभिभाषक से मुलाकात कर प्रशासन का पक्ष रखने के लिए कई तथ्यों से उन्हें अवगत कराएंगे
एक प्रस्ताव वल्लभ भवन पहुंचा
अरबों की संपति ग्रेसिम प्रबंधन से बचाने के लिए प्रशासन कोई मौका नहीं गवांना चाहता। कानून की इस लड़ाई में प्रशासन के वर्तमान अभिभाषक की मदद के लिए सुप्रीम कोर्ट में और भी वकील को मैदान में उतरने की पेशकश प्रशासन ने की है। इस कार्य के लिए एक प्रस्ताव कलेक्टर से वल्लभ भवन पहुंचा है। इस प्रस्ताव में स्थानीय प्रशासन भी भागीदार है। इस रणनीति की भनक जब हिन्दुस्थान समाचार संवाददाता को लगी तो एसडीओ राजस्व आरपी वर्मा से जब संपर्क किया। उन्होंने इस प्रकार की कार्यवाही की पुष्टि की है। उन्होंने यह भी बताया इस प्रकार का प्रस्ताव स्थानीय स्तर के बाद कलेक्टर के माध्यम से वल्लभ भवन प्रेषित किया गया है। उनका कहना है कि इस कानूनी लड़ाई में प्रशासन बेहत्तर कानूनीविदों से संपर्क में है। हर संभव प्रयास जीत के लिए किए जाएंगे।
दरअसल, नागदा में आजादी के पहले बिड़ला घराना ने उद्योग चलाने के लिए कदम रखे थे। ग्वालियर रेयान व पद्मावती राजे काटन मिल्स के नाम पर भूमि का आवंटन हुआ और उद्योग भी शुरू हुए। यह उद्योग तत्कालीन उद्योगपति दिवंगत धनश्याम दास बिड़ला ने स्थापित किया। इसी प्रकार से पदमावती राजे काटन मिल्स की बागडोर बसंतकुमार बिड़ला ने संभाली थी। ग्वालियर रेयान का नाम बाद में ग्रेसिम हुआ। जाने-माने मजदूर नेता भवानीसिंह शेखावत ने एक शिकायती आवेदन में यह मसला उठाया था कि नागदा के मेतवास क्षेत्र में 17 जुलाई 1943 को मेसर्स बिड़ला ब्रदर्स कलकता को पद़मावती राजे कॉटन मिल्स वर्तमान में भारत कॉमर्स नाम को 24 फरवरी 1945 में हजारों बीघा भूमि उद्योग चलाने के लिए तत्कालीन रियासत ने आवंटित की थी। बाद में भारत कॉमर्स उद्योग 3 जून 2000 को बंद हो गया। इसलिए इसकी भूमि पुन: शासन की है। शासन ने एक शर्त पर उद्योग चलाने के लिए भूमि दी थी। इसके पहले हाईकोर्ट के एक आदेश पर भारत कॉमर्स की सारी भूमि बंद उद्योग के मजदूरों के वेतन, ग्रेज्युटी तथा बैंकों का कर्ज चुकाने के लिए नीलाम हो गई थी। इस भूमि को ग्रेसिम ने कोडिय़ों के दाम महज 39 करोड़ 39 लाख में खरीद लिया। शेखावत की शिकायत पर तत्कालीन उज्जैन कलेक्टर पवन जैन ने आदेश दिनांक 19 सितंबर 2014 को इस सारी भूमि को सरकारी घोषित कर दिया।
प्रशासन ने किया भूमि पर कब्जा
तत्कालीन अपर कलेक्टर पवन जैन के आदेश पर तत्कालीन नागदा तहसीलदार ममता पटेल ने 18 सितंबर 2014 को कुल किता 41 रकबा 27.933 हैक्टेयर तथा कुल किता 70 रकबा 84. 267 हैक्टेयर पर कब्जे की कार्यवाही की। यह विवाद आगे बढा और हाईकोर्ट में जब पहुंचा तो प्रशासन को जीत हाथ लगी। डबल बैच में बाजी पलट गई। ग्रेसिम कानूनी लड़ाई जीत गया। इस निर्णय को अब मप्र शासन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
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