बालाघाट : डीएलसीसी की विशेष बैठक में किसानों, मत्स्य पालकों एवं पशु पालकों को क्रेडिट कार्ड देने पर हुई चर्चा |
ब्यूरो चीफ बालाघाट // वीरेंद्र श्रीवास : 83196 08778
बालाघाट। अग्रणी बैंक कार्यालय, बालाघाट द्वारा दिनांक 15 जून 2020 को दुग्ध संघो से जुड़े हुये पशु पालको एवं मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़े कृषको को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा उपलब्ध करने हेतु विशेष जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक का आयोजन कलेक्टर श्री दीपक आर्य की अध्यक्षता में किया गया।
बैठक में अपर कलेक्टर श्री राघवेन्द्र सिंह एवं जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती रजनी सिंह भी उपस्थित थी। बैठक में अग्रणी जिला प्रबंधक दिगम्बर भोयर द्वारा बताया गया कि दुग्ध उत्पादक किसानो को किसान क्रेडिट कार्ड प्रदाय करने के लिए दिनांक 01 जून से 31 जुलाई 2020 तक विशेष अभियान प्रारंभ किया गया है।
यह अभियान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के किसानो के लिए घोषित पैकेज के अंतर्गत वित्त मंत्री द्वारा दिनांक 15 मई 2020 को 2.5 करोड़ किसानो को किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत जोड़ने हेतु कोविड-19 के कारण उत्पन्न लॉक-डाउन की स्थिति से निपटने के लिए प्रारंभ किया गया है। दुग्ध उत्पादक किसानो को अल्प अवधि के क्रेडिट प्रदाय करने का मूल उद्देश्य उनकी कार्यशील पूंजी, मार्केटिंग आदि की आवश्यकताओ की पूर्ति करना है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सभी पशु पालक किसानो को KCC अंतर्गत शामिल किया गया है।
अग्रणी जिला प्रबंधक श्री भोयर ने बताया कि ऋण पर किसानो को 2 प्रतिशत ब्याज की छूट और समय पर भुगतान करने पर ब्याज में 3 प्रतिशत की अतिरिक्त छुट प्राप्त होगी। वर्तमान परिस्थिति में ऐसे सभी किसानो को किसान क्रेडिट कार्ड प्रदाय किये जाने है जो की डेयरी सहकारी समितियों के सदस्य है और उनके पास केसीसी नहीं है। यदि इन किसानो के पास भूमिस्वामी होने के कारण किसान क्रेडिट कार्ड है तो वे अपनी लिमिट बढ़वा सकते है, परन्तु ब्याज पर छुट 3.00 लाख रुपये तक की सीमा तक ही रहेगी। इस प्रक्रिया के लिए म.प्र.शासन एवं राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति द्वारा दिशा निर्देश सभी बैंको को दिए गये है।
बैठक में बताया गया कि दुग्ध संघो द्वारा किसानो के लिए निर्धारित प्रपत्र प्रिंट कर उन्हें दुग्ध उत्पादक समिति के सचिव अथवा NRLM के बैंक मित्र के सहयोग से भरवाया जा रहा है। समिति यह भी प्रमाणित करेगी की जिस किसान का इस फॉर्म में जानकारी भरी गयी है उसके पास पर्याप्त मात्रा में दुधारू पशु हैं एवं वह सोसाइटी में दूध प्रदाय कर बेचता है एवं सोसाइटी द्वारा किसान को भुगतान DBT के माध्यम से सम्बंधित किसान के आवेदन फार्म में उल्लेखित खाते में किया जाता है। फार्म भरने की प्रक्रिया 15 दिनों के भीतर उपलब्ध करायी जाएगी तथा बैंक शाखाओ को भरे गए फॉर्म उपलब्ध कराये जायेंगे। यदि किसान सहमत हो तो दुग्ध संघ/दुग्ध सहकारी समिति के द्वारा एक त्रि-पक्षीय अनुबंध बैंक किसान के साथ किसान क्रेडिट कार्ड के बकाया को बैंक को भुगतान करने को सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकेगा।
जिला दुग्ध संघ की प्रबंधक सुश्री माधुरी सोनेकर द्वारा जानकारी दी गयी कि बालाघाट जिले में 102 दुग्ध समितियों में 3781 सदस्य है जिसमे से लगभग 1600 के आसपास ही सक्रीय है। साथ ही बैंको द्वारा दुग्ध समिति के महिला सदस्यों के नाम से भी किसान क्रेडिट कार्ड बनाया जाना चाहिए। कलेक्टर श्री आर्य द्वारा बैठक में निर्देशित किया गया कि सभी सदस्यों को इस योजना में शामिल किया जाये तथा बंद पड़ी समितियों को भी पुनर्जीवित कर उन्हें भी योजना का लाभ दिलाया जाये। अग्रणी जिला प्रबंधक द्वारा सूचित किया गया कि भारत सरकार द्वारा प्रति सप्ताह इस योजना की समीक्षा की जा रही है। जनपद स्तर पर योजना की समीक्षा हेतु जनपद स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
बैठक में बताया गया कि दुग्ध उत्पादक पशुपालकों की तरह ही जिले में मत्स्यपालन गतिविधि में शामिल किसानो को भी क्रेडिट कार्ड प्रदाय किया जाना है। इस दौरान उप संचालक मत्स्योद्योग श्रीमती शशि धुर्वे द्वारा बताया गया कि जिले में मत्स्यपालन योजना के क्षेत्र में अच्छी संभावना है। शासन द्वारा छोटे छोटे तालाब निर्मित कर उनमे मत्स्यपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना के तहत भी यदि किसानो के पास भूमिस्वामी होने के कारण किसान क्रेडिट कार्ड है तो वे अपनी लिमिट बढ़वा सकते है, परन्तु ब्याज पर छुट रु.3.00 लाख तक की सीमा तक ही रहेगी।
जिले में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत किसानो से प्रस्ताव ऑनलाइन प्राप्त किये जा रहे है। पूर्व में मत्स्यपालन समितियों के सदस्यों को जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक से क्रेडिट कार्ड प्रदाय किये जाते रहे है अब व्यावसायिक बैंक शाखाओ को भी मत्स्यपालन योजना के अंतर्गत आवेदन भेजे जा रहे है। जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती रजनी सिंह, ने बैठक में सुझाव दिया कि नहरों के समीप वाली जमीन में पानी के रिसाव से खेती नहीं हो पाती अतः ऐसे क्षेत्रो में किसान चाहे तो छोटे छोटे पानी के कुण्ड निर्मित कर मत्स्यपालन कर सकते है। जिससे जिले में ग्रामीण स्तर पर सदृढ़ आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलेगा।
बैठक में श्री जी.के.शेट्टे, नाबार्ड, श्री एम.,एल.समुद, भारतीय स्टेट बैंक, श्री आर.के. सोलंकी, दुग्ध उत्पादन विभाग, डॉ.पी.के.अतुलकर, उप संचालक पशु चिकित्सा सेवा विभाग, श्री ओमप्रकाश बेदुआ, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, बैंको के जिला समन्वयक, RSETI एवं FLCC के डायरेक्टर उपस्थित थे।
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