बारिश प्रारंभ होते ही बढऩे लगी ग्रामीण अंचलों में सर्पदंश की घटनाएं, 70 वर्षीय वृद्धा की सर्पदंश से मौत |
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ब्यूरो चीफ मुलताई, जिला बैतूल
मुलताई। बारिश प्रारंभ होते ही प्रतिवर्ष ग्रामीण अंचलों में सर्प दंश की घटनाएं बढ़ जाती है तथा प्रतिदिन कहीं ना कहीं कोई न कोई ग्रामीण सर्पदंश का शिकार होता है। रविवार ग्राम रिधोरा में दोपहर लगभग 3 बजे घर के पीछे स्नान करने जा रही 70 वर्षीय सुभदिया पति गणपत गोहिते को सर्प ने काट लिया जिससे वृद्धा निढाल हो गई।
परिजनों द्वारा तत्काल निजी वाहन से सर्पदंश से पीडि़त वृद्धा को सरकारी अस्पताल मुलताई लाया गया जहां मौजूद बीएमओ डा.पल्लव द्वारा उनका उपचार किया गया। लेकिन इसके बावजूद वृद्धा को बचाया नही जा सका और उसकी मौत हो गई। सर्प पीडि़ता वृद्धा के नाती मनीष बुआड़े ने बताया कि ग्रहण के बाद उनकी नानी पीछे बने बाथरूम में नहाने गई थी इसी दौरान उनकी चीख सुनाई दी जिससे सभी घरवाले पीछे गए तो देखा कि नानी को सर्प ने काट लिया है जिन्हे निजी वाहन से तत्काल मुलताई अस्पताल लाया गया।
डा.पल्लव के अनुसार सर्पदंश पीडि़त वृद्धा को आवश्यक दवाईयां देते हुए लगभग 9 एंटी स्नेक विनम इंजेक्शन लगाए गए इसके बावजूद वृद्धा की मौत हो गई।
अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में है एएसवी
बारिश में सर्पदंश की प्रतिदिन घटनाएं होती है तथा कई बार तो एक दिन में कई लोग सर्पदंश से पीडि़त हो जाते हैं। स्थिति के दृष्टिगत जब बीएमओ पल्लव से पूछा गया कि क्या अस्पताल में पर्याप्त एंटी स्नेक विनम इंजेक्शन हैं तो उन्होने बताया कि बारिश में इसकी तैयारी पूर्व से ही की जाती है तथा कभी एएसवी की कमी नही आने दी जाती। सर्पदंश पीडि़त को तत्काल एएसवी लगाया जाता है जिसमें अधिकांश लोग बच जाते हैं। कभी सर्पदंश के बाद देरी से लाने वाले पीडि़त को बचाना मुश्किल हो जाता है इसलिए सर्पदंश का शिकार बनते ही पीडि़त को तत्काल अस्पताल लाकर इंजेक्शन लगाना चाहिए।
तंत्र मंत्र, झाड़ फूंक में कई बार चली जाती है जान
ग्रामीण अंचलों में सर्पदंश से पीडि़त को तत्काल अस्पताल नही लाया जाता। ग्रामीणों द्वारा पहले तंत्र मंत्र झाड़ फूंक आदि कराने में समय लगाया जाता है जिससे सर्प का जहर पूरे शरीर में फैल जाता है तथा फिर विषरोधी इंजेक्शन भी काम नही कर पाता। बीएमओ पल्लव के अनुसार सर्पदंश से पीडि़त को तत्काल अस्पताल लाकर उपचार कराना चाहिए। तंत्र मंत्र झाड़ फूंक में समय बेकार नही करना चाहिए क्योंकि पीडि़त को सबसे पहले विष रोधी इंजेक्शन की ही जरूरत होती है जिससे जान बचाई जा सकती है।
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