Tablighi Jamaat Chief Maulana Saad |
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नई दिल्ली: निजामुद्दीन के तबलीगी जमात के मरकज मामले में क्राइम ब्रांच की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. क्राइम ब्रांच को अभी तक अपनी जांच में पता चला है कि मरकज को साल 2005 के बाद हवाला के जरिए सऊदी अरब और बाकी देशों से मरकज में आने वाले जमातियों के खाने पीने के नाम पर नकद पैसा आता था.
इसी बात को पुख्ता करने के लिए क्राइम ब्रांच ने मरकज को 91 सीआरपीसी के तहत नोटिस जारी कर मरकज के बैंक अकाउंट और बैंक स्टेटमेंट मुहैय्या कराने के साथ साथ वहां पर काम करने वाले कर्मचारी, मरकज के खर्चो समेत काफी जानकारी मांगी है. क्राइम ब्रांच के सूत्रों की माने तो मरकज में ज्यादातर फंडिंग हवाला के जरिए हो रही थी.
बुधवार को भी क्राइम ब्रांच (Crime Branch) की टीम एक बार फिर मरकज के अंदर गई और फिर पूरे मरकज की तलाशी ली गई. क्राइम ब्रांच की टीम करीब तीन घंटे तक वहां पर रही. आसपास के लोगों से बात की गई. इसके अलावा क्योंकि आज एमसीडी को मरकज का कूड़ा और जमातियों का बेकार समान अपने साथ ले जाकर जलाना था.
मौलाना साद की मरकज का अमीर बनने की कहानी!
निज़ामुद्दीन के तबलीगी जमात के मरकज के मुखिया को अमीर बोला जाता है. मोहम्मद साद (Saad) तब्लीगी के संस्थापक इलियास कंधावली का पोता है जिसकी पैदाइश 1965 में यूपी के शामली में हुई. नवंबर 2015 से तबलीगी के सबसे ऊंचे ओहदे अमीर भी वही है. तबलीगी की सबसे बड़ी एडवायजरी काउंसिल को शूरा कहते हैं. साद तबलीगी का अमीर बनने से पहले 1995 से 2015 तक शूरा का सदस्य रहा.
शाद के दादा मौलाना इलियास कंधावली पहले अमीर थे. बाद में इलियास के बेटे मौलाना मोहम्मद युसूफ कंधावली और मौलाना इनाम उल हसन अमीर बने. 1995 से पहले जुबैर के पिता अमीर थे लेकिन 1995 में उनकी मौत के बाद उनके बेटे जुबैर को अमीर बनना था. लेकिन मौलाना साद ने मेवात से अपने लोगों को बुलाकर जुबैर और उसके समर्थकों के साथ हिंसा की और ऐलान कर दिया कि मरकज में अब कोई अमीर नहीं होगा, बल्कि मरकज को एक कमेटी चलाएगी जिसमें जुबैर और मौलाना साद के अलावा कई और भी रहेंगे. लेकिन 2014 में जुबैर की मौत के बाद मौलाना साद अपने आप को मरकज का अमीर घोषित कर देता है, जिसका विरोध करने वाले लोगों की दिन four जून 2016 को बुरी तरह पिटाई की जाती है. इसके बाद मौलाना साद के हाथ में मरकज की पूरी बागडोर आ जाती है.
मौलाना साद के रसूख का आलम ये है कि इलाके की पुलिस भी बिना इजाजत मरकज में नहीं जा सकती. इलाके के डीसीपी भी मौलाना साद से मिलने के लिए 2 घंटे तक इंतजार करते थे. पहले मरकज में धर्म प्रचार के लिए जमाती अपने पैसों को खर्च करते थे लेकिन 2005 के बाद मौलाना साद ने सऊदी अरब समेत अन्य देशों के दौलत मंद तबलीगी जमात के लोगों को धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए नकद पैसा देने को कहा तो उन देशों से ज्यादातर पैसा हवाला के ज़रिए मरकज़ को मिलता था.
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