दिल्ली. आज पूरा देश गणतंत्र दिवस मना रहा है. देशभर में खुशी औऱ उत्सव जैसा माहौल है. दिल्ली में देश की आन-बान-शान को पूरे जोश के साथ न सिर्फ हिंदुस्तानियों को दिखाया गया बल्कि पूरी दुनिया को भारत की ताकत का एहसास दिलाया गया. इस दौरान एक ऐसा वाकया भी घट गया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.
दरअसल राजपथ पर देश की कला-संस्कृति और ताकत का मुजाहिरा किया गया. देश की सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर भी इस परेड की सलामी लेने के लिए मौजूद था. जी हां, भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 69वें गणतंत्र दिवस परेड की सलामी ली. उन्होंने इस दौरान विदेशी अतिथियों को देश की आन-बान-शान से परिचित भी कराया. राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री समेत पूरी कैबिनेट इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए मौजूद थी.
इस दौरान राष्ट्रपति को वायुसेना के गरुड़ कमांडो ज्योति प्रकाश निराला को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित करना था. निराला 18 नवंबर 2017 को बांदीपोरा में आतंकियों के साथ हुए मुठभेड़ में शहीद हो गए थे. अकेले निराला ने अपने अदम्य साहस और शौर्य के दम पर तीन आतंकियों को मार गिराया था. निराला जब शहीद हुए थे उस वक्त उनकी उम्र महज तीस साल की थी. वे बिहार के रहने वाले थे औऱ उनके परिवार में पत्नी, माता-पिता, बेटी और तीन अविवाहित बहने हैं.
जब राजपथ पर निराला की पत्नी को अशोक चक्र से सम्मानित करने की बारी आई तो उद्घोषक ने निराला की शौर्य गाथा का बयान किया. जैसे ही निराला की पत्नी को सम्मान देने की बारी आई राष्ट्रपति बेहद भावुक हो उठे और उन्होंने बेहद भावुक क्षणों में निराला की पत्नी को शांतिकाल के समय दिए जाने वाले सर्वोच्च सैन्य सम्मान से नवाजा. राष्ट्रपति ने किसी तरह उस भावुक क्षण में खुद को संभालते हुए निराला की पत्नी को सम्मानित किया लेकिन जैसे ही उन्होंने सम्मान दिया. उसके बाद वे अपने आंसू नहीं रोक पाए.
गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ में ऐसा पहली बार हुआ जब सर्वोच्च सेनाओं का कमांडर भावुक होकर रो पड़ा हो. इस क्षण की चर्चा पूरे देश में हो रही है. शायद यही है हमारे शहीदों के प्रति सच्चा सम्मान कि उनकी शहादत को न सिर्फ देश का बच्चा बच्चा नमन करता है बल्कि देश के सर्वोच्च व्यक्ति की आंखें भी उस शहादत पर नम हो जाती हैं.
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