डा. रवीन्द्र अरजरिया |
सहज संवाद / डा. रवीन्द्र अरजरिया
भविष्य के बारे में चिंतित रहना मानव की सहज प्रवृत्ति है और इसी के कारण वह आने वाले समय में क्या घटित होने वाला है, आज ही जान लेना चाहता है। इसके लिए विभिन्न उपायों की ओर आकर्षित होना, अस्वाभाविक नहीं होता। छत्रसाल नगर में रहने वाले एक प्रतिष्ठित परिवार में आयोजित मांगलिक उत्सव में प्रोफेसर आर. पी. साहू के साथ एक लम्बी मुलाकात हुई। साहू जी का नाम पूरे बुंदेलखण्ड में सम्मान से लिया जाता है। पी.जी. कालेज के प्राचार्य पद से सेवानिवृत हुए साहू जी गणित विषय के विशेषज्ञ के रूप में स्थान बना चुके हैं। अनेक शोधार्थियों ने उनके मार्गदर्शन में न केवल अपना शोध कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया बल्कि आश्चर्यजनक अनुसंधानों से विषय को नई दिशा भी दी।
लम्बे समय से आध्यात्मिक क्षेत्र में सक्रिय साहू जी की एक पहचान सटीक भविष्यवक्ता के रूप में भी है जिसके आधार में ज्योतिष का गणितीय विश्लेषण है। अभिवादन के आदान-प्रदान के बाद बातचीत का सिलसिला शुरू हुई। क्या ज्योतिष के माध्यम से भविष्य का खाका खींचा जा सकता है, एक प्रश्न मन में कौधा। जिग्यासा को सामने रखते ही उन्होंने खगोलीय व्याख्याओं के सहारे अनेक गणितीय उदाहरण प्रस्तुत किये। ग्रहों की प्रकृति से लेकर उनकी स्थिति तक की वर्तमान खोजों पर ज्योतिषीय शास्त्रों की सदियों पुरानी विवेचनायें प्रस्तुत की। चर्चा चल ही रही थी कि आयकर विभाग के निरीक्षक पद से सेवानिवृत हुए एन.के.सिंह ने अपनी आमद दर्ज की। हमारी बातचीत में व्यवधान हुआ।
उन्होंने आते ही साहू जी से आशीर्वाद लिया और पुत्र के विवाह तय हो जाने की भविष्यवाणी के साकार होने पर बधाई दी। हमारी ओर मुखातिब होकर बताया कि साहू जी ने जन्मांक के आधार पर हमारे पुत्र के निरंतर टल रहे विवाह की जो तिथि घोषित की थी, वह शत-प्रतिशत सही साबित हुई। कन्या की शिक्षा-दीक्षा, निवास की दिशा और दूरी सभी कुछ बताये अनुसार ही हुआ। हमने आश्चर्यजनक दृष्टि से साहू जी की ओर देखा। उन्होंने बताया कि ग्रहों की चाल, दिशा और दशा के समुच्चय पर व्यक्ति के भविष्य को रेखांकित किया जा सकता है। गहराई से गणितीय विश्लेषण करने पर ग्रहों की स्थिति का अति सूक्ष्मतर स्वरूप सामने आता है जिसकी व्याख्यायें घटनाओं को प्रगट कर देतीं हैं। हर ग्रह का अपना स्वरूप होता है, उसका उर्जा-चक्र होता है और यही ऊर्जा-चक्र प्रत्यक्ष अनुभव से कोसों दूर पूरे बृह्माण्ड को निरंतर प्रभावित करता रहता है।
हमारी पृथ्वी भी इसी प्रभाव के पर्यावरण से लेकर स्वभावजनित कारकों के मध्य हिचकोलें खाती है। ज्योतिष इन सभी स्थितियों को पहले से ही उजागर करने में सक्षम है। संवाद चल ही रहा था कि उत्सव के आयोजक की ओर से भोजन के लिए आमंत्रण आ गया। अभी हमारी जिग्यासा शान्त नहीं हुई थी। अगले दिन साहू जी के आदर्श नगर स्थित प्रातीण आश्रम में पुनः भेंट का समय निर्धारित हुआ। अगले दिन उस ऊर्जामय क्षेत्र में पेड के नीचे स्थापित साधना स्थली बनी हमारी जिग्यासा शान्ति का केन्द्र। वहां दूर-दराज से आये तीन परिवार कम्प्यूटरीकृत जन्मांक के पहले दो पन्ने लिये हुये अपनी बारी आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। हमने भी साहू जी को अभिवादन किया और एक ओर कुर्सी पर बैठ गये। बस दस मिनिट दीजिये, कहकर वे सामने बैठे व्यक्ति के साथ धीमे स्वर में बातचीत करने लगे।
आगन्तुक का जन्मांक देखते, प्रश्न पूछने को कहते, उत्तर देते, प्रश्नकर्ता दिये गये उत्तर को नोट करता और प्रणाम करते स्थान खाली कर देता। नौ मिनिट में ही सभी आगन्तुक चले गये। साहू जी ने खडे होकर सहज ढंग से कोटिसः प्रमाण कह कर हमारे द्वारा किया गये अभिवादन का जबाब दिया। जन्मांक पर एक सरसरी नजर डाली और उत्तर देने को तैयार। इतनी जल्दी कैसे हो जाता है यह सब सम्भव। उन्होंने मुस्कुराकर कहा कि जब आप चिकित्सक के पास मौसमी बुखार की पीडा का निदान खोजने जाते हैं तो वह आपका पूरा वृतांत सुने बिना ही दवाइयां दिख देता है। परन्तु जब किसी जटिल बीमारी का इलाज करना होता है तो विशेष जांच, जांच की रिपोर्ट और रिपोर्ट की समीक्षा करनी पडती है। इसी तरह लोगों की सामान्य सी समस्याओं पर उनके जन्मांक के आधार पर फलादेश करना सहज होता है। विवाह, नौकरी, बीमारी और धन की समस्याओं से जुडे लोग अपने समाधान को कब, कहां और कैसे की सोपानों पर चाहते हैं।
इस तरह की समाज सेवा से आत्म संतुष्टि के साथ-साथ समय का सदुपयोग भी हो जाता है। तभी कुछ और लोग अपने हाथों में जन्मांक लिये आश्रम के प्रवेश द्वार पर दिखाई पडे। साहू जी के द्वारा निःशुल्क, निःस्वार्थ और निर्लिप्त भाव से की जा रही इस समाज सेवा से संतुष्ट लोगों के आशातीत प्रतिशत ने जहां उनके श्रम-साध्य लक्ष्य के परचम को फहराया वहीं हमारे किसी अनजाने कोने में अनोखी ऊर्जा का संचार हो गया। इस सघनीकृत ऊर्जा का अनुभव हमें अभी तक रोमांचित किये है। गणित, खगोल और ज्योतिष के समुच्चय से जनकल्याण के नये सोपान तय करना सहज नहीं होता। इस तरह के असहज कार्यों में लगे संतवत जीवन को अंगीकार करने वाले साहू जी के इस कृतित्व को सेवा निवृत हुए लोगों के लिए एक प्रेरणादायक निरूपित किया जा सकता है। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नये मुद्दे के साथ फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए खुदा हाफिज।
Dr. Ravindra Arjariya
Accredited Journalist
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