अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा, क्या हो जाएगा जनसंपर्क संचालनालय मध्य प्रदेश का निजीकरण? जाने पूरी ख़बर |
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- अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा लगाऐगी शिवराज सरकार?
- क्या हो जाएगा जनसंपर्क संचालनालय का निजीकरण?
- निजी कंपनी को पीआर का काम देने से सैकड़ों पत्रकारों के सामने खड़ा हो जाएगा बड़ा संकट
भोपाल // विजया पाठक
मप्र की बीजेपी सरकार प्रदेश के जनसंपर्क विभाग का सारा काम एक निजी एजेंसी को सौंपने की तैयारी कर रही है। यह निजी एजेंसी मुंबई की है। बताया जा रहा है कि लगभग सारा खाका तैयार कर लिया गया है। यानि हम कह सकते हैं कि अब प्रदेश में जनसंपर्क संचालनालय का निजीकरण हो जाएगा? इस एजेंसी के काम की जो सूची का प्रस्ताव बना है, उसमें मीडिया को खरीदना भी शामिल है। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी पीआर एजेंसी को ठेका देने की आधिकारिक शर्तों में मीडिया को खरीदने की बात शामिल की गई है।
सरकार के जनसंपर्क संचालनालय ने मार्च में पीआर मैनेजमेंट और कंटेट क्रिएशन के लिए एक निजी एजेंसी को ठेका देने का प्रस्ताव जारी किया है। प्रस्ताव की शर्तों के तहत कम से कम 50 करोड़ रुपए सालाना कारोबार वाली कंपनी इसके लिए आवेदन कर सकती है। अगर कंपनी का टर्न ओवर कम है तो अधिकतम तीन कंपनियां मिलकर एक कंसोर्शियम बनाकर आवेदन कर सकती हैं। जानकारों की मानें तो यह इस काम के लिए इन्पैनल होने वाली कंपनियों में विन्ड चाइम्स कम्युनिकेशन प्रा.लि., मुम्बई और तुषार की कंपनी को प्रमुखता दी जाएगी।
लेकिन अब सवाल यह है कि यदि प्रदेश सरकार मीडिया की खरीद फरोख्त करती है तो यह प्रदेश की जनता के साथ सरासर धोखा होगा। क्योंकि मीडिया ही एक मात्र वह रास्ता है जिसके माध्यम से सरकार की नाकामियों और उनकी गलतियों से जनता को परिचित होने का मौका मिलता है और फिर जनता अपने वोट का फैसला करती है। इतना ही नहीं यदि सरकार किसी निजी कंपनी को पब्लिक रिलेशन का दायित्व सौंपती है तो इससे स्वतंत्र पत्रकार और मासिक पत्रिका-समाचार संचालन करने वाले पत्रकारों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।
क्योंकि अभी प्रदेश सरकार साल में दो बार सभी पत्रकारों को विज्ञापन देने का कार्य करती है। लेकिन यदि निजी कंपनी को यह दायित्व सौंप दिया जाता है तो यह प्रदेश के सैकड़ों पत्रकारों के आय पर शिंकजा कस जाएगा। इसलिए मुख्यमंत्री को एक बार फिर से अपने फैसले पर राय शुमारी करने की आवश्यकता है। निजी एजेंसी को यह काम देने के बाद जनसंपर्क संचालनालय का तकरीबन पूरा काम जनसंपर्क विभाग से हटकर इस कंपनी के पास चला जाएगा। कंपनी को ठेका मिलने के बाद पूरे प्रदेश में तैनात योग्य जनसंपर्क अधिकारियों के पास असल में कोई काम ही नहीं बचेगा।
अखबारों की कतरन काटना, मुख्यमंत्री और सरकार की नीतियों के लिए विज्ञापन और विज्ञप्ति तैयार करना, इवेंट आयोजित करना, मीडिया संस्थानों से संपर्क करना, मीडिया में प्रकाशित समाचारों की समीक्षा तक का काम निजी एजेंसी को दिया जा रहा है। इस निर्णय से जनसंपर्क विभाग में तैनात कर्मचारी व अधिकारियों की नौकरी पर भी संकट आ जायेगा और विभाग में पहले से ही खाली पदों पर योग्य युवाओं की भर्ती का रास्ता भी बंद हो जाएगा।
गौरतलब है कि देश के इतिहास में आजतक मीडिया की आवाज़ को कभी कोई ना दबा पाया है और ना ख़रीद पाया है। इसके लिये जनसंपर्क विभाग को पंगु बनाकर, उसका सारा काम एक निजी एजेंसी को सौंपने की तैयारी गुपचुप तरीक़े से की जा रही है। सरकार ने इस निजी एजेंसी के लिए काम की जो सूची संबंधित प्रस्ताव में बनायी है, उसमें मीडिया को खरीदना भी शामिल किया गया है। प्रदेश में सौदेबाज़ी, बोली व ख़रीद फ़रोख़्त कर सत्ता पर क़ाबिज़ वर्तमान शिवराज सरकार वैसे तो पहले दिन से ही मीडिया पर शिकंजा कसने, उसे दबाने की कोशिश में लगी हुई है लेकिन देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि किसी पीआर एजेंसी को ठेका देने की आधिकारिक शर्तों में मीडिया को खरीदने की बात शामिल की गई है। निजी कंपनी को काम देने के प्रस्ताव की शर्तों पर यदि गौर किया जाये तो इसमें प्रदेश सरकार खुद को एक कॉर्पोरेट की तरह पेश कर रही है। प्रस्ताव में बार-बार यह उल्लेखित किया गया है कि यह निजी एजेंसी सरकार की ब्रांडिंग और मार्केटिंग करेगी। ब्रांडिंग और मार्केटिंग तो रोज़ उपयोग में आने वाले घरेलू उत्पादों की, की जाती है, न कि जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली सरकारों की। यही नहीं प्रस्ताव में यह भी लिखा गया है कि यह एजेंसी नेगेटिव न्यूज को मॉनीटर करेगी और कोशिश करेगी कि निगेटिव न्यूज ही न छपे। यानि सरकार के घोटाले, भ्रष्टाचार, असफलताएँ, नाकामी, जनता की समस्याओं को मीडिया में आने से रोकने का काम भी इस निजी एजेंसी का रहेगा।
शिवराज सरकार का यह कदम जनसंपर्क विभाग को अपने राजनैतिक हितों के लिए एक प्राइवेट कंपनी में बदल देने का व लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की निष्पक्ष आवाज़ को पूरी तरह से कुचल देने का कुत्सित प्रयास स्पष्ट रूप से प्रतीत हो रहा है। साथ ही यह कदम पत्रकारिता और जनसंपर्क संस्थानों में पढ़ रहे योग्य युवाओं को भविष्य में मिलने वाले सम्मानजनक रोजगार की संभावनाएं खत्म करने वाला भी है। प्रदेश के जनसंपर्क विभाग और स्वतंत्र, निष्पक्ष मीडिया संस्थानों के लिए भी यह खतरे की घंटी है।
मजबूरी में हटाया तुषार पांचाल को
तीन दिन पहले प्रदेश में एक बड़ा सियासी ड्रामा हुआ और उसके शांत होते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कम्युनिकेशन एक्सपर्ट तुषार पांचाल को अपना ओएसडी बनाने का निर्णय लिया। मुंबई निवासी तुषार के ओएसडी बनने के निर्देश जारी होते ही प्रदेश में राजनीतिक गलियारों में एक अलग ही हवा चल पड़ी। कांग्रेस से लेकर खुद बीजेपी पार्टी के नेताओं ने भी इस फैसले पर नाराजगी जताई। विपक्ष के नेता पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा तुषार के एंटी मोदी और एंटी बीजेपी होने के सबूत पेश करने के बाद न चाहते हुए भी शिवराज सरकार को तुषार पांचाल को दिए गए पद के निर्णय को वापस लेना पड़ा। जाहिर है कि तुषार पांचाल पिछले लगभग 6 सालों से शिवराज सिंह चौहान के साथ हैं और पर्दे के पीछे रहकर शिवराज सिंह चौहान की इमेज बिल्डिंग का काम कर रहे हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार अपने खजाने से हर वर्ष तुषार की कंपनी को बड़ी राशि का भुगतान भी करती है।
मीडिया पर शिकंजा कसने की तैयारी में शिवराज सरकार- पूर्व सीएम कमलनाथ
*इस मामले पर कमलनाथ ने यह भी आरोप लगाया है कि मप्र सरकार मीडिया पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार की मीडिया की स्वतंत्र आवाज़ को दबाने-ख़रीदने की कोशिश कभी सफल नहीं होगी, देश के इतिहास में मीडिया की आवाज़ को आज तक कभी भी कोई ना दबा पाया है और ना ही ख़रीद पाया है। कमलनाथ द्वारा तुषार के एंटी मोदी और एंटी बीजेपी होने के सबूत पेश करने के बाद न चाहते हुए भी शिवराज सरकार को तुषार पांचाल को दिए गए पद के निर्णय को वापस लेना पड़ा। जाहिर है कि तुषार पांचाल पिछले लगभग 6 सालों से शिवराज सिंह चौहान के साथ है और पर्दे के पीछे रहकर शिवराज सिंह चौहान की इमेज बिल्डिंग का काम कर रहे है। इसके लिए प्रदेश सरकार अपने खजाने से हर वर्ष तुषार की कंपनी को बड़ी राशि का भुगतान भी करती है। इतना ही नहीं कमलनाथ ने यह भी आरोप लगाया है कि मप्र सरकार मीडिया पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। सरकार जनसंपर्क विभाग को कमजोर कर उसका सारा काम एक निजी एजेंसी को सौंपने की तैयारी कर रही है।*
कौन सी कम्पनी को दे सकते हैं पीआर का काम विन्ड चाइम्स कम्युनिकेशन प्रा.लि., मुम्बई में रजिस्टर्ड है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसी कम्पनी को मध्यप्रदेश की सरकार जनसंपर्क संचालनालय का संपूर्ण काम सौंपना चाहती है। खासकर प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दिये जाने वाले विज्ञापन का काम यही कम्पनी जारी करेंगी। विन्ड चाइम्स कम्युनिकेशन प्रा.लि. सोशल मीडिया, मीडिया प्रोडक्शन वेब डब्लपमेंट, डिजीटल सर्विस, विज्ञापन सर्कुलेशन आदि का काम करेंगी। इस कम्पनी ने लोटस, आईटीसी, होटल्स, एस बैंक, आर्गिनिव इंडिया के साथ काम कर चुकी है। यह कम्पनी 29 सितम्बर, 2008 में मुम्बई में रजिस्टर्ड हुई थी। इसके डायरेक्टर नीमेश शाह, उर्मिला रमणिक डायरेक्टर हैं। इस कम्पनी का पता है- 420, चौथी मंजिल, कापरी बिल्डिंग, ए.के. मार्ग बांद्रा (ईस्ट) मुम्बई है।
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