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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा : 8305895567
नागदा. लोकायुक्त के चंगुल में फंसे मध्यप्रदेश के 279 अफसरों में से 181 अधिकारियों के खिलाफ मप्र शासन ने चालान पेश करने की अनुमति दे दी है। शेष बचे 98 के खिलाफ भी शीघ्र अनुमति का भरोसा दिलाया गया। शासन की ओर से उच्च न्यायालय इंदौर में सोमवार को एक शपथ पत्र के साथ यह कार्यवाही की गई है।
हाईकोर्ट में यह मामला *नागदा जिला उज्जैन आरटीआई कार्यकर्ता अभय चौपडा़* ने एक जनहित याचिका में उठाया था। यह मुद़दा बनाया था कि मप्र के 279 अधिकारियों पर लोकायुक्त ने कार्यवाही की है। लेकिन सरकार ने अनुमति नहीं दी है, इस कारण अदालत में चालान नहीं पेश किए गए।
हाईकोर्ट में यह याचिका क्रमांक 2312/ 2019 पर पंजीकृत माह फरवरी में हुई थी। शासन को नोटिस जारी करने के बाद सोमवार का शासन की ओर से एटानी जनरल ने उक्त निर्णय की जानकारी हाईकोर्ट में प्रस्तुत की।
अभय चौपड़ा से बातचीत में बताया कि मप्र शासन अपर सचिव केके सिंह के हस्ताक्षर से हाईकोर्ट में अपनी बात प्रस्तुत की है। चोपड़ा का कहना है कि मप्र में 279 अधिकारी पर अदालत में कार्यवाही इसलिए नहीं हो रही थी कि शासन की ओर से इनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। इस कार्यवाही से आरोपित अफसरों में हडक़ंप मच गया है।
अधिकांश तो बड़े- बडे पदों पर आसीन है। वर्ष 2013 से सरकार ने अनुमति रोक रखी थी। वही लोकायुक्त की कार्यवाही में अधिकतम 120 की अवधि होती है जिसमे कार्यवाही करना आवश्यक माना जाता है । परंतु राजनीतिक और उच्च पद पर बैठे अधिकारी आपसी साठ गाठ के चलते 2013 से लोकायुक्त की कार्यावाही होने के बावजूद भी पद पर बने रहते हुवे मज़े कर रहे थे जिन पर अब मामला दर्ज होना तय है ।
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