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शनिवार, 11 मई 2019

कौन है पीली साड़ी पहनी खूबसूरत पोलिंग ऑफिसर ? Viral फोटो पर कई दावे, वॉलीवूड हीरोइन भी फेल

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    कौन है पीली साड़ी पहनी खूबसूरत पोलिंग ऑफिसर ? Viral फोटो पर कई दावे, वॉलीवूड हीरोइन भी फेल

    TOC NEWS @ www.tocnews.org
    सोशल मीडिया पर एक महिला पोलिंग ऑफिसर की फोटो वायरल हो रही है. सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे के मुताबिक, ये महिला लोकसभा चुनाव के दौरान किसी पोलिंग सेंटर पर तैनात की गईं थीं. (फोटोज- सोशल मीडिया) 
    सोशल मीडिया पर कुछ लोग महिला पोलिंग ऑफिसर की ड्रेसिंग सेंस और खूबसूरती की तारीफ कर रहे हैं. कई लोगों ने ऐसा भी लिखा है कि इनकी वजह से अधिक संख्या में लोग वोट डालने पहुंचे.
    हालांकि, पीली साड़ी पहनी महिला पोलिंग ऑफिसर के बारे में ठोस जानकारी सामने नहीं आई है. फोटो के वायरल होने के बावजूद महिला ने अपने बारे में कोई जानकारी किसी सार्वजनिक माध्यम में नहीं दी है.
    हालांकि, कुछ लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि इनका नाम नलिनी सिंह है. लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती. वहीं कुछ लोगों ने इस फोटो को उत्तर प्रदेश का बताया है तो कुछ इसे मध्य प्रदेश का बता रहे हैं. किसी ने लिखा है कि महिला का नाम रीना द्व‍िवेदी है और वह लखनऊ के पीडब्‍लूडी विभाग में काम करती हैं.
     संभव है कि आने वाले दिनों में महिला की वास्तविक पहचान सामने आए. फिलहाल सोशल मीडिया पर महिला की चर्चा थम नहीं रही है.


  • शुक्रवार, 25 मई 2018

    भीगे चने खाने के फायदे भीगे बादाम से भी ज्यादा होते है, जानिये कैसे

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    भीगे चने खाने के फायदे भीगे बादाम से भी ज्यादा होते है, जानिये कैसे
    TIMES OF CRIME @ www.tocnews.org
    अगर आप भी,हर दिन,सुबह उठ कर भीगे बादाम खाना पसंद करती हैं - तो इससे अच्छी सेहतमंद आदत और कुछ हो ही नहीं सकता है! लेकिन क्या आप को पता है की भीगे बादाम से भी ज्यादा फायदेमंद है भीगे हुए चने खाना ? विश्वास नहीं होता !
    अक्सर हम लोगों की फितरत होती है की हम महंगे आहार को - ज्यादा सेहत से भरपूर समझते हैं। जैसे की सेब और बदाम को हम लोग जितनी एहमियत देते हैं - शायद अमरुद और मोमफली को उतनी तवज्जो नहीं देते हैं। गर आज हम आप को एक रहस्य की बात बताते हैं - मानिये या न मानिये मगर भीगे चने खाने के फायदे भीगे बादाम से भी ज्यादा।
    चने में मिलने वाले पोषक तत्व
    कार्बोहाइड्रेट,प्रोटीन, नमी, फैट,फाइबर,कैल्शियम,आयरन, कई तरह के फायदेमंद विटामिन्स,आदि पोषक तत्व होते है
    चने में मिलने वाले यह पोषक तत्व आप के दिमाग को तेज़ करने के साथ ही साथ आप की सुंदरता और चेहरे की रौनक भी बढ़ाते हैं।
    गांवो - देहात में आप ने देखा होगा की लोग अक्सर सुबह उठ कर नाश्ते में भीगे चने कहते हैं।
    क्या यही है उनके स्वस्थ का राज?
    गांवो के लोगों को उतने डॉक्टरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं जितना की शहर के लोगों को। फिर भी गांवो के लोग - शहरी लोगों की तुलना में कई साल ज्यादा जीते हैं। इसके बहुत से कारण है और उनमें से एक कारण यह भी है की गांवो के लोग हर दिन सुबह उठकर भीगा हुआ चना खाते हैं।
    आइये हम आप को विस्तार से बताते हैं की चने खाने की क्या क्या फायदे हो सकते हैं।
    शरीर की रोग प्रतिरोधक छमता बढ़ती है
    चने में घनिष्ट मात्रा में विटामिन, मिनरल्स, क्लोरोफिल और फास्फोरस पाया जाता है। इसीलिए हर दिन सुबह उठ कर भीगे चने खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक छमता (immune system) सुदृण बनती है। इसका मतलब आप का शरीर बाहरी संक्रमण से लड़ने में सक्षम बनता है।
    डायबिटिज (मधुमेह) में है फायदेमंद
    डायबिटिज (मधुमेह) के मरीज अगर हर दिन सुबह उठकर, खली पेट, मात्रा २५ ग्राम भीगा हुआ चने खा लें तो उनके शरीर को डायबिटिज को नियंत्रण में करने में काफी मदद मिलेगी।
    पेट दर्द और कब्ज
    अगर आप को पेट दर्द या अक्सर कब्ज की समस्या रहती है तो आप हर दिन सुबह खली पेट चने खाना शुरू कर दें। कुछ ही दिनों में आप को कब्ज से रहत मिल जाएगी। चने में भरपूर मात्रा में fiber होता है जो पाचन तंत्र में मोशन को बेहतर बनाता है। आप चाहें तो चने में स्वाद के लिए नमक, जीरा और अदरक मिला सकते हैं।
    शरीर में स्फूर्ति का संसार
    रोज सुबह चने खाने से शरीर स्वस्थ रहता है और दिन भर काम करने के लिए ऊर्जा भी मिलती है। विशेषज्ञों के अनुसार चना इतना फायदेमंद है की यह पुरुषों में होने वाली किसी भी कमजोरी को ख़त्म कर सकता है।
    मोटापा कम करता है
    अगर आप मोटापे की समस्या से परेशान हैं तो चना खाना शुरू कर दें। कच्चे चने को पचाना उतना आसान काम नहीं जितना की पकाये हुए चने को। कच्चे चने को पचाने के लिए शरीर को बहुत कैलोरी खर्च करनी पड़ती है। शरीर के मोटापे को कम करने के लिए भी बहुत कैलोरी बर्न करने की आवश्यकता पड़ती है। आप चने खा के वो कैलोरी बर्न कर सकती हैं। दूसरी बात यह है की कच्चा चने को चबाने में पाचन तंत्र को बहुत मेहनत करनी पड़ती है और इस काम मैं बहुत समय लगता है। यानी कच्चे चने खाने के बाद आप को बहुत देर तक भूख नहीं लगेगी। - यह तो बहुत अच्छी बात है। जब आप को भूख ही नहीं लगेगी तो आप बिना-समय के और बिना-मतलब के दिन भर खाते नहीं रहेंगे। चने में अच्छी मात्रा में fiber होता है। यह तो सबको पता है की fiber शरीर में मौजूद कोलेस्टोरल (cholesterol) की मात्रा को कम करता है। जाहीर सी बात है की चना कम से कम तीन तरह से आप के वजन को कम करने में सहायता करता है।

    गुरुवार, 24 मई 2018

    विराट कोहली की पत्नी अनुष्का शर्मा डिविलियर्स के संन्यास पर हुईं भावुक, ट्वीट किया

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    TIMES OF CRIME @ www.tocnews.org
    नई दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका के दिग्गज बल्लेबाज एबी डिविलियर्स के संन्यास की खबर ने हर एक फैन को सन्न कर दिया। डिविलियर्स के संन्यास से हर कोई उदास हो गया। कारण ये था कि वो अभी भी अपने करियर के चरम पर थे। हालांकि उनके संन्यास के बाद ट्विटर पर जैसे संदेशों का बाढ़ सी आ गई हो।
    हर कोई अपनी-अपनी तरह से उन्हें अगली पारी के लिए शुभकामनाएं दे रहा है तो कई जल्दी क्रिकेट छोड़ने को लेकर शिकायर कर रहा है। इसी क्रम में विराट कोहली की पत्नी बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा ने भी डिविलियर्स के संन्यास पर एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने काफी भावुक बाते लिखी हैं।
    इस महान खिलाड़ी के प्रति अपना सम्मान और भावनाएं जाहिर करने के लिए अनुष्का शर्मा ने एक इमोशनल ट्वीट किया है। अनुष्का शर्मा ने ट्वीट किया कि "जीवन में, हम दूसरों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए जो करते हैं, वह हम अपने लिए जो उपलब्धि हासिल करते हैं उससे कहीं अधिक मायने रखता है। आपने इन दोनों ही कामों को इतनी ईमानदारी और खूबसूरती से किया है। आपको और डेनियल को भविष्य के लिए शुभकामनाएं!"
    आपको बता दें कि कोहली औक डिविलियर्स की यारी काफी पुरानी है। विराट कोहली और एबी डिविलियर्स ने जहां आईपीएल में एक साथ कई मैच खेले हैं तो वहीं मैदान के बाहर भी यह दोनों खिलाड़ी अच्छे दोस्त हैं। यही नहीं उनकी फैमिली भी एक दूसरे का काफी नजदीक है।

    चेहरे की झुर्रियां हटाने के असरदार घरेलू उपाय

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    TIMES OF CRIME @ www.tocnews.org
    एक समय ऐसा था जब झुर्रियों को बुढ़ापे की निशानी माना जाता था। लेकिन आजकल झुर्रियां होना आम बात हो गयी है क्योंकि झुर्रियां आजकल 20 की उम्र में भी होने लगी है। ढीली स्किन पर झुर्रियां जल्दी आती हैं। झुर्रियों की समस्या सिर्फ फेस पर नहीं बल्कि हाथों, पैरो और गले पर भी होती है।  आजकल के बिजी लाइफस्टाइल में तनाव, नींद की कमी और अनुचित आहार अक्सर स्किन को नुकसान पहुंचाते हैं। 
    झुर्रियों से छुटकारा पाने के लिए कुछ लोग क्रीम का इस्तेमाल भी करते हैं।  इसके अलावा कुछ लोग झुर्रियों के इलाज के लिए लेजर ट्रीटमेंट भी कराते हैं।  आज इस पोस्ट में हम आपको चेहरे की झुर्रियां हटाने के घरेलु उपाय, झुर्रियां हटाने का तरीका, झुर्रियां कम करने के उपाय और साथ ही बतायेंगे झुर्रियां होने के कारण। हम जो आपको नुस्खें बतायेंगे इनकी मदद से आप बहोत जल्द झुर्रियों से छुटकारा पा सकेंगे।

    चेहरे की झुर्रियों के कारण 

    • उम्र बढ़ने के कारण
    • विटामिन डी और सी की कमी होना
    • पानी कम पीने से भी त्वचा पर झुर्रियां आने लगती हैं
    • चेहरे की स्किन ढीली होने के कारण
    • धूप में ज्यादा रहना
    • प्रदूषण

    झुर्रियां आने के लक्षण

    • माथे पर लकीरों का दिखना
    • आँखों के आस पास सिलवटें नजर आना
    • होठों के पास महीन रेखाएं
    • बेजान चेहरा

    झुर्रियां हटाने का घरेलु उपाय करें शहद और ग्लिसरीन से 

    शहद और ग्लिसरीन में त्वचा से झुर्रियों को मिटाने में बहोत फायदेमंद होते हैं। एक चमच्च शहद में 2-3 बूँद ग्लिसरीन मिलाये। अब इसे रात को सोने से पहले लगायें। ऐसा कुछ दिन लगातार करने से चेहरे से झुर्रियां गायब हो जाती हैं। घरेलु नुस्खें फॉर रिंकल्स में यह सरल पद्धति है।

    आमला से करें झुर्रियां हटाने के घरेलु उपाय 

    हमेशा जवान दिखने के लिए आमला खाए और त्वचा पर इसका प्रयोग करें। आमले का चेहरे पर रात को लगा कर के सो जाए सुबह चेहरा धो लें। आप आमला का चूर्ण और आमला मुरब्बा का भी सेवन कर सकते हैं।  आमला खाने और लगाने से झुर्रियां हमेशा-हमेशा के लिए हट जाएँगी।

    झुर्रियां हटाने के घरेलु नुस्खें उड़द की दाल से

    थोड़ी सी उड़द की दाल को रातभर के लिए भिगो कर रख दें  अगले दिन सुबह इसे पीसकर इसका पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को अपने फेस पर लगायें। और 20  मिनट बाद फेस धो दें। ऐसा करने से चेहरे से झाइयां दूर होगी और स्किन ग्लो करने लगेगी।

    झुर्रियां खत्म करने का तरीका है टमाटर 

    टमाटर चेहरे की झुर्रियां हटाने का असरदार उपाय है। टमाटर में एंटी एजिंग गुण पाए जाते हैं। टमाटर का रस निकालकर रुई की मदद से चेहरे पर लगायें। 20  मिनट बाद जब ये सुख जाये तो गीले हाथो से मसाज करते हुए उतार दें।

    झुर्रियां कम करने के उपाय अदरक से 

    चेहरे की झुर्रियां हटाने के घरेलु उपाय में अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। इलास्टिन का नाश होने से त्वचा में रिंकल्स हो जाते हैं अदरक इलास्टिन का नाश होने से रोकता है। अदरक का रस और शहद बराबर मात्रा में लें अब इन दोनों को मिलाकर फेस पर लगाए। ऐसा करने से हमारी स्किन से झुर्रियां तो हटेंगी ही साथ ही स्किन पर ग्लो भी आएगा।

    झुर्रियां मिटाने के उपाय करें निम्बू से 

    घरेलु नुस्खे फॉर रिंकल्स के लिए हम इस्तेमाल करेंगे नींबू । नींबू को काटकर चेहरे पर घिसे। नींबू हमारी स्किन से डेड स्किन सेल्स को हटा देता है। और त्वचा पर झुर्रियों को आने से रोकता है।

    चेहरे की झुर्रियां हटाने के घरेलु उपाय केले से 

    चेहरे की झुर्रियों के घरेलु उपचार में केला गुणकारी होता है पके केले का पेस्ट बनाकर अपने चेहरे पर 20 मिनट तक लगाके रखें। अगर आप चाहे तो इसमें थोड़ा सा शहद भी मिला लें।

    चेहरे की झुर्रियां मिटाये गाजर से 


    चेहरे की झुर्रियां हटाने के घरेलु उपाय में गाजर में विटामिन A पाया जाता है जो त्वचा में कोलोजन बढ़ाता है और रिंकल्स को खत्म करता है। गाजर को उबालकर उसका पेस्ट बना लें। अब इसमें नींबू का रस और शहद मिलाकर पेस्ट बना लें। गाजर का सेवन भी हमारी आँखों और त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है।

    बुधवार, 23 मई 2018

    शर्माने की जगह इन तरीकों से सुलझाये पीरियड्स की प्रॉब्लम

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    TIMES OF CRIME @ www.tocnews.org
    पीरियड्स अर्थात मासिक चक्र महिलाओं के जीवन से जुडी एक सामान्य प्रक्रिया हैं जिससे हर महिला को गुजरना पड़ता हैं। यस प्रक्रिया है सामान्य से लेकिन इस पर आज भी खुलकर बात नहीं की जाती हैं। हांलाकि अब लोग इस मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर बात करने लगे हैं। लेकिन आज भी जब लड़कियों को 12 से 14 साल की उम्र में पहले पीरियड्स आते हैं तो माँ शर्म के कारण अपनी बच्चियों को इसके बारे में खुलकर नहीं बताती हैं। जबकि आप आसानी से अपनी बच्चियों को इके बारे में बता सकती हैं ताकि बच्चियां पीरियड्स से घबराये नहीं। आज हम आपको कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं जिनको अपनाकर आप पीरियड्स की प्रॉब्लम को सुलझा पाएंगे।

    * हार्मोनल बदलाव बताएं 

    बेटी को पहले महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव की जानकारी दें। उसे बताएं कि इस बदलाव के कारण महिलाओं में चिड़चिड़ी और तनाव होना स्वाभाविक है। बेटी को बताएंगे कि यह प्रक्रिया किसी एक लड़की में नहीं बल्कि इस उम्र की हर लड़की होती है।

    * साफ-सफाई जानकारी दें 

    पीरियड्स की जानकारी देते हुए कहें कि यह नैचुरल प्रोसेस है, जिससे हर लड़की गुजरती है। यह प्रोसेस उनकी अच्छी सेहत के लिए जरूरी भी है। इसके बाद बेटी को नैपकीन का इस्तेमाल करने और उसे डिस्पोज करने, साफ-सफाई रखने की जानकारी दें।
     
    * टीवी या किताबों के जरिए 

    बहुत सी लड़कियों को तो इसके बारे में जानकारी ही नहीं होती है, जिस वजह से फर्स्ट टाइम पीरियड्स आने पर लड़कियां घबरा जाती है। इसलिए उन्हें समय पर इसकी जानकारी देना बहुत जरूरी है। टीवी में अक्सर आने वाली नैपकिन एड के बारे में अगर बेटी सवाल करें तो वह समय उसको पीरियड्स की जानकारी देने के लिए बैस्ट होगा।

    * सैनिटरी नैपकिन के बारे में बताएं 

    बेटी को सैनिटरी नैपकिन जानकारी दें। नैपकीन को यूज करने का तरीका और कितने समय में उसे बदलना है, शुरूआती समय में बेटी के लिए यह जानकारी काफी मयाने रखती है। इसलिए इसके बारे में कोई शर्मिंदगी महसूस न करें।

    रविवार, 6 मई 2018

    फैशन: आपको स्टाइलिश और कूल लुक देंगे ये डिफरेंट गले के ब्लाउज

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    शादी या फंक्शन में जाने के लिए लड़कियां दूसरी किसी और ड्रेस की तुलना में साड़ी पहनना ज़्यादा पसंद करती हैं. साड़ी पहनने के बाद आपका लुक कैसा दिखेगा ये साड़ी के साथ-साथ ब्लाउज पर भी डिपेंड करता है. ये ब्लाउज ही होता है जो सिंपल सी साड़ी पहनने के बाद आपको शानदार लुक देता है.

    अब जब बात ब्लाउज की हो रही है तो हम आज आपको ब्लाउज के कुछ ऐसे लेटेस्ट डिजाइन के बारे में बतायेंगे जो आपको ग्लैमरस लुक देंगे.

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    1. अगर ब्लाउज के स्लीव्स आप सिंपल रखती हैं तो इसके बजाय स्लीव्स में हल्का सा कट लगवा लें. ये कट लगवाने के बाद आपका ब्लाउज स्टाइलिश लुक देगा और आपकी खूबसूरती बढ़ जाएगी.

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    2. डिफरेंट लुक के लिए अपने ब्लाउज के बैक में राउंड कट लगवाइए. यह राउंड कट वाला ब्लाउज आपको पार्टी और फंक्शन में एक अलग ही लुक देगा और आप औरों से अलग नजर आएंगी. इसके साथ-साथ आप ब्लाउज के कट में लटकन लगवा सकती हैं, जो ब्लाउज के डिफरेंट लुक के साथ आपको पार्टी में ख़ास बना देगा.

    3. आपकी सिंपल साड़ी पर राजस्थानी डिजाइन का ब्लाउज आपको स्टाइलिश लुक देगा. आपको देखकर लोगों के मुंह से आपकी तारीफ़ ही निकलेगी.

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    4. पार्टी और फंक्शन में आप अलग लुक के लिए साड़ी के साथ फुल स्लीव या कॉलर वाला ब्लाउज कैरी करके लोगों पर अपना जादू चला सकती हैं.

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    5. ब्लाउज के डिफरेंट लुक के लिए इन दिनों लड़कियां ब्लाउज के बैक में क्रिस क्रॉस डिजाइन बहुत पसंद करती दिखाई दे रही हैं. ये ब्लाउज देखने में बहुत खूबसूरत लगने के साथ आपको शानदार लुक देते हैं.

    रविवार, 22 अप्रैल 2018

    यह संकेत बताते है की आपका साथी आपको धोखा दे रही है इन बातों से जानें

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    अक्सर बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड के रिश्ते विश्वास पर टिके होते हैं इन रिश्तो में भरोसा टूटना एक आम बात है किसी छोटी सी बात या छोटे से शक के कारण बरसों पुराना रिश्ता टूट सकता है कई बार यह शक बेवजह का होता है और कई बार शक करने के उचित कारण भी होते हैं ऐसी कुछ परिस्थितियां होती हैं जिन्हें देखकर आप यह जान सकते हैं कि आपका साथी आपको धोखा दे रहा है या नहीं।
    1. यदि वह सजने-संवरने में ज्यादा समय बिताने लगे - जब आपका साथी सजने-संवरने में पहले से कहीं ज्यादा समय बिताने लगे तो यह खतरे की घंटी हो सकता है वह पहले से ज्यादा कपड़ों की शॉपिंग करने लगे या बाल बनाने में पहले से कहीं ज्यादा समय बिताने लगे। यह भी हो सकता है कि वह खुद को फिट रखने के लिए जिम ज्वाइन कर ले।

    2. यदि वह आपके करीब आने से झिझकने लगे - पहले आप दोनों को एक दूसरे के साथ वक्त गुजारना पसंद था परंतु अचानक वह आपके करीब आने से झिझकने लगी है जब भी आप उसके करीब जाने की कोशिश करते हैं वह बहाना बनाकर आपसे दूर चली जाती है यह एक खतरे की घंटी है हो सकता है उसे कोई और पसंद आने लगाओ।
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    3. बिना बताये लंबे वक्त के लिए गायब होना - ऐसा हो सकता है कि आपका साथी बिना बताए किसी से मिलती हो। कई बार आप उसके ऑफिस कॉल करते हैं और वह ऑफिस में नहीं होता। कई बार वह झूठ बोलता है कि वह अपने मम्मी पापा से मिलने गए हैं परंतु वह वहां भी नहीं होता। ऐसे में शक करना लाजमी है।
    4. आपके दोस्तों से दूरियां बनाना - पहले उसे आपके दोस्तों के साथ फिल्म देखने जाना या पिकनिक पर जाना पसंद था परंतु अचानक वह ऐसे प्रोग्राम टालने लगी है शायद उसे आपके दोस्तों के साथ वक्त बिताने में कोई दिलचस्पी नहीं। ऐसा हो सकता है कि वह अब आप से छुटकारा पाना चाहती हो।
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    5. बिल चुकाना - अक्सर जब आप दोनों बाहर घूमने जाते हैं तो बिल आप चुकाते हैं परंतु अचानक ही आपका साथी बिल चुकाने की जिद करने लगे।
    दोस्तों यदि आपको यह न्यूज़ पसंद आई हो तो आप हमारे चैनल को फॉलो जरूर करें। आप इस आर्टिकल को लाइक और शेयर भी करें। यदि आप इस जनकारी से जुड़ा कोई भी सवाल पूछना चाहते है तो कमेंट कारिये हम जवाब जरूर देंगे। 

    सोमवार, 9 अप्रैल 2018

    प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता, ना वक्त के साथ और ना हालात के साथ

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    होस्टल में रहता था विराट। परिवार से दूर रहकर पहले पहल तो अकेलापन हावी रहा लेकिन धीरे धीरे होस्टल के माहौल में वह ढल गया। अब तो उसका घर जाने को भी मन नहीं करता था। लेकिन छुट्टियों में जाना पड़ता। उस दिन भी ऐसा ही कुछ हुआ था। 

    प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता, ना वक्त के साथ और ना हालात के साथ घर से फोन आया कि किसी शादी में जाना है इसलिये उसे घर जाना था। उसने कई बहाने बनाने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। आखिरकार उसे शादी में जाने के लिए कॉलेज से छुट्टी लेनी पड़ी। अगले सुबह घर पहुंचते पहुंचते देर तो गई। घर गया तो पता चला कि घर वाले पहले ही शादी में जा चुके थे। उसने फोन किया तो उसके पिताजी ने उसे पता बता दिया लेकिन वह ठीक से समझ नहीं पाया।  घर से निकल वह शादी वाले समारोह की तरफ चल दिया।
    बड़ी मुश्किल से उसे एक घर में समारोह जैसा माहौल दिखा तो वह अंदर घुस गया। भूख से पेट में कुत्ते भोंक रहे थे तो वह खाने में व्यस्त हो गया। "एक्सक्यूज़ मी" एक लड़की की आवाज सुन उसने पीछे देखा तो बस देखता ही रह गया। वो लड़की खूबसूरत थी या खूबसूरती ही उस लड़की की परछाई थी। यह समझने में उसे कुछ पल का वक्त लगा कि वह रास्ते मे खड़ा है। जब दोबारा उस लड़की ने टोका तो वह होश में आया और रास्ते से हटा। 
    उसकी इस नादानी पर वह लड़की भी मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई और जब उसने पलट कर देखा तो वह समझ गया कि वह भी उसमें इंटरस्टेड है। उसने फैसला किया कि उस लड़की से बात करेगा। पर इतनी भीड़ में उससे अकेले बात करने का मौका मिलना मुश्किल था। वह उसे ही देखता रहा। एक बार फिर उन दोनों की नजरें मिली और वह फिर मुस्कुरा दी। बस फिर क्या था इस हरी झंडी का उसने फायदा उठाया और उसके पास पहुंच गया। थोड़ी देर बातें हुईं और उसने अपना नम्बर उस लड़की को दे दिया। इतने में ही उसका फोन बजा। 
    "कहाँ रह गया तू" उसकी मम्मी चिल्लाई। उसने बताया कि वह पहुंच गया है। फोन काट वह पार्टी में अपनी मम्मी को ढूंढने लगा। जब उसे अपनी मम्मी नहीं दिखी तो उसने फिर से फोन किया। समझ में आने में थोड़ा वक्त लगा लेकिन जब समझ आया कि वह गलत पार्टी में आ गया है तो वह अपने आप पर हंसा। शायद उस लड़की से मिलवाने के लिये ही भगवान ने उसे यहां भेजा था।

    शुक्रवार, 30 मार्च 2018

    Good Friday 2018: जानें क्या है इतिहास, ईसा मसीह को क्यों चढ़ाया गया था सूली पर

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    नई दिल्ली: इस शुक्रवार को यानी 30 मार्च को गुड फ्राइडे है. इस दिन भगवान ईसा मसीह को यहूदी सिपाहियों ने सूली पर लटका दिया था. इसकेे पीछे भी एक कहानी है. लगभग 2 हजार साल पहले ईसा मसीह ने लोगों को सही राह दिखाने की पहल की थी. लोगों का हाथ पकड़ उन्हें अंधेरे से रोशिनी में लेकर आए. यह सब देख यहूदियों के कट्टरपंथी धर्मगुरुओं को सहन नहीं हुआ और उन्होंने इसका विरोध किया. उन्हें ईसा मसीह में कोई मसीहा वाली बात नहीं नजर आती थी.

    यहूदियों के कट्टरपंथी धर्मगुरुओं को ईसा मसीह द्वार खुद को ईश्वर पुत्र बताना भारी पाप लगता था. सोमनों को हमेशा यहूदी क्रांति का डर सताता रहता था. इस कारण कट्टरपंथी धर्मगुरुओं ने इस बात की शिकायत रोमन गवर्नर पिलातुस को कर दी. इसके बाद कट्टरपंथी धर्मगुरुओं खुस करने के लिए पिलातुस ने ईसा को क्रूस पर लटकाने की सजा सुनाई. ईसा मसीह के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी गईं.
    जीसस को निर्दोष होने के बावजूद सूली पर लटकाया गया था. बावजूद इसके यीशु ने किसी बात का उलाहना नहीं दिया. न ही किसी बात की शिकायत की. बस इतना ही कहा, ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करना, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं.’ ये कहकर ईसा ने प्राण त्याग दिए.
    इस दिन को ‘गुड’ क्यों कहते हैं
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    लेकिन आज भी लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि जब इस दिन (फ्राइडे) ईसा मसीह ने अपने प्राण त्यागे थे तब इस दिन को ‘गुड’ क्यों कहा जाता है. गुड का मतलब तो अंग्रेजी में अच्छा कहा जाता है. गुड इसलिए कहा जाता है क्योंकि क्रिश्चन समुदाय का मानना है कि भगवान यीशु मसीह ने अपनी जान लोगों की भलाई के लिए दे दी थी इसलिए इस दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है. मौत के तीन दिन के बाद ईसा जीवित हो गए थे. लोगों में इस बात की खुशी थी. उनके दोबारा जीवित होने की इस घटना को ईसाई धर्म के लोग ईस्टर दिवस या ईस्टर रविवार मानते हैं. इस साल यह पवित्र सप्ताह इस साल 9 अप्रैल को रविवार शुरु हुआ और शनिवार, 15 अप्रैल तक चलेगा. रविवार, 16 अप्रैल को ईस्टर मनाया जाएगा. गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं.
    कैसे मनाते हैं गुड फ्राइडे
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    इस बलिदान के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कई विश्वासी चालीस दिन तक उपवास रखते हैं तो कोई केवल शुक्रवार को ही व्रत रखकर प्रार्थना करते हैं. इस दिन लोग चर्च में जाते हैं और गीत गाते हैं, प्रार्थना करते हैं, कहीं जगह नृत्य और अन्य कार्यक्रम के आयोजन होते हैं. सभी एक दूसरे को गिफ्ट्स, फ्लावर्स, कार्ड, चाॅकलेट, केक देकर विश करते हैं. गुड फ्राइडे के दिन कई देशों में हॉलीडे रहता है. गुड फ्राइडे प्रायश्चित्त और प्रार्थना का दिन है अतः इस दिन गिरजाघरों में घंटियां नहीं बजाई जातीं. इस दौरान श्रद्धालु प्रभु यीशु द्वारा तीन घंटे तक क्रॉस पर भोगी गई पीड़ा को याद करते हैं.
    कौन थे ईसा मसीह
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    ईसाई धर्मानुसार ईसा मसीह परमेश्वर के पुत्र थे. ईसा मसीह को यीशु के नाम से भी पुकारा जाता है. यीशु का जीवन, भाईचारे, सहनशीलता और अमन की मिसाल है. उनके संदेश आज भी अत्यंत प्रासंगिक हैं. उनका जीवन, बल्कि सूली पर किया गया बलिदान भी मानवता को सदैव राह दिखाता रहेगा. ईसा मसीह के बलिदान दिवस को गुड फ्राइडे कहते हैं. इस दिन श्रद्धालु प्रेम, सत्य और विश्वास की डगर पर चलने का प्रण लेते हैं. कई जगह लोग इस दिन काले कपड़े पहनकर शोक व्यक्त करते हैं.
    कैसे हुआ था जन्म
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    आज से हजारों साल पहले नासरत में गेब्रियल नामक एक स्वर्गदूत ने मरियम को दर्शन दिया और कहा कि तू पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी, उसका नाम यीशु रखना. बैतलहम में ही मरियम के जनने के दिन पूरे हूए और उसने एक बालक को जन्म दिया और उस बालक को कपड़े में लपेटकर घास से बनी चरनी में लिटा दिया और उसका नाम यीशु रखा. गडरियों ने यह जानकर कि पास ही उद्धारकर्ता यीशु जन्मा है जाकर उनके दर्शन किए और उन्हें दण्डवत् किया. हालांकि बाइबल, यीशु के जन्म की तारीख नहीं बताती है.

    रविवार, 18 मार्च 2018

    सहज संवाद : वैचारिक आन्दोलन की जननी के रूप में स्थापित होती है प्रतिमायें

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    DR RAVINDRA ARJARIYA

    अनुभव से अनुभूतियों तक पहुंच चुके हैं महाराज छत्रसाल

    सहज संवाद / डा. रवीन्द्र अरजरिया
    संस्कृति, संस्कार और संरचना की ऐतिहासिक धरोहर को संजोने का प्रयास युगों से किया जाता रहा है। अतीत की सुखद स्मृतियों के प्रेरणादायक प्रसंग, आने वाले कल का निर्माण करने की आधारशिला रखते हैं।
    जीवन शैली से लेकर स्वीकारे गये सिद्धान्तों तक के आइने में आदर्श का प्रतिबिम्ब निरंतर परिलक्षित होता रहे, इस हेतु प्रतिमाओं की स्थापना करने का सिलसिला चल निकला। बुंदेलखण्ड केसरी महाराज छत्रसाल की विशाल प्रतिमा की स्थापना का आमंत्रण प्राप्त हुआ। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक डा. मोहन भागवत के मुख्य आतिथ्य में लोकार्पण समारोह की रूपरेख को कार्ड में विस्तार दिया गया था। 
    प्रतिमाओं की सार्वजनिक स्थलों पर स्थापना, भावी पीढी को गुजरे हुए कल के कथानकों से अवगत कराने का सराहनीय प्रयास होता है। समारोह के विवरण को पढ ही रहा था कि तभी फोन की घंटी बज उठी। बुंदेलखण्ड के आंदोलन पुरुष के नाम से चर्चित जगदम्बा निगम जी का फोन था। पूर्व विधायक एवं समाजसेवी की वर्तमान भूमिका के सशक्त पहलुओं ने उन्हें, जनसमस्याओं के लिए निरंतर आन्दोलनरत रहने के लिए हमेशा बाध्य किया।
    आन्दोलन के माध्यम से हर समस्या का समाधान करवाने में महारत हासिल करने के कारण ही उन्हें वहां की आवाम आन्दोलन पुरुष के रूप में सम्मान देती है। उन्होंने सुबह की चाय पर आमंत्रित किया। इस आमंत्रण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए हमने समय निर्धारित करने का बात कही। निश्चित समय पर हम आमने-सामने थे। हमारा उत्साहवर्धक स्वागत किया। कुशलक्षेम पूछने-बताने की औपचारिकताओं से बाहर पहुंचते ही हमने प्रतिमाओं की स्थापना पर उनका दृष्टिकोण जानना चाहा।
    बचपन, युवा और प्रौढ की पायदानो को पार करके अनुभव के चरम पर बैठे आन्दोलन पुरुष ने एक लम्बी सांस खींची। अंतरिक्ष को घूरा। ललाट की रेखायें उनके चिन्तन भाव में पहुंचते व्यक्तित्व की चुगली कर गई। कुछ क्षण शांत रहने के उपरान्त उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत आदर्श को सामूहिक स्वीकारोक्ति के उपरान्त स्थायित्व प्रदान करना ही प्रतिमा स्थापना का वास्तविक उद्देश्य होता है। प्रतिमा की मूक उपस्थिति उसके जीवन काल के समग्र घटनाक्रम को प्रकाशित करती है। मूर्ति में समाया व्यक्तित्व प्रतिपल जीवित रहता है। उसका कृतित्व और व्यक्तित्व अनुकरणीय बनकर भावी पीढी का मार्गदर्शन करता है।
    वैचारिक आन्दोलन की जननी के रूप में स्थापित होती है प्रतिमा। वैचारिक शब्द को रेखांकित करते हुए हमने बीच में ही प्रश्न कर दिया। लेनिन की मूर्ति का प्रकरण, अन्य मूर्तियों पर प्रतिक्रिया स्वरूप उभरा। सामांजस्यपूर्ण वातावरण को मूर्ति के विवाद ने असहज कर दिया। इस परिपेक्ष में आपका नजरिया क्या है। विचारधारा की स्थापना की सार्थकता को निरूपित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिमा को निश्चय ही प्रतिमानों का प्रतिनिधि माना जाता है। यही प्रतिमान आवश्यकता की कसौटी से गुजरकर लोकप्रियता के ग्राफ पर अपनी आमद दर्ज करते हैं। मूर्तियों की स्थापना एक सार्थक पहल है। उनके मौन होते ही हमने महाराज छत्रसाल की मूर्ति के लोकार्पण समारोह के विशेष संदर्भ में टटोलना शुरू किया। निर्विवाद रूप से महाराज छत्रसाल का कृतित्व और व्यक्तित्व वर्तमान समय में प्रेरणा का प्रकाश स्तम्भ है।
    जुझारूपन, राष्ट्रप्रेम और समानता का भाव उनके व्यक्तित्व के प्रमुख आकर्षण हैं। उनकी 52 शार्यगाथाओं को 52 फुट की प्रतिमा के रूप में स्थापित करने का प्रयास निश्चित ही सार्थकता की दिशा में एक महात्वपूर्ण पहल है जिसे स्वीकारोक्ति ही नहीं मिलना चाहिये बल्कि अनुकरणीय आदर्श के रूप में आत्मग्राह भी होना चाहिये। क्षेत्रीय परिधि से निकलकर विस्त्रित भूभाग तक पहुंचने वाले महाराज छत्रसाल की आराध्यदेव के रूप में स्थापना होने से संबंधित प्रश्न पर उन्होंने कहा कि कृष्ण प्रणामी सम्प्रदाय ने इतिहास पुरूष से लोकदेव बन चुके बुंदेलखण्ड केसरी को आराध्यदेव के रूप में स्थापित कर दिया है।
    कंकरीट से निर्मित मंदिर से लेकर मन मंदिर तक में स्थापना पा चुके महाराज छत्रसाल की आत्मिक ऊर्जा, अन्य शरीरधारियों की जीवन-प्रत्यासा को ऊर्धगामी करने लगी है। अनुभव से अनुभूतियों तक पहुंच चुके हैं महाराज छत्रसाल। चर्चा चल ही रही थी कि तभी नौकर ने एक बडी ट्रे के साथ कमरे में प्रवेश किया। वह मेज पर भोज्य सामग्री सहित चाय के प्याले सजाने लगा। बातचीत में व्यवधान उत्पन्न हुआ किन्तु तब तक हमें इस विषय पर आन्दोलन पुरूष के विचारों की बानगी मिल ही चुकी थी। सो चर्चा को विराम देकर भोज्य पदार्थों को सम्मान देने की गरज से मेज की ओर बढ गये। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नये मुद्दे के साथ फिर मिलेंगे। तब तक के लिए खुदा हाफिज।

    गुरुवार, 8 मार्च 2018

    43 साल पहले पति ने छोड़ दिया था साथ, संघर्ष के दम पर राजनीति में ऐसे चमकी 'महारानी'

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    देश के कई राज्यों में अगर आज महिलाएं मुख्यमंत्री बनीं हैं तो इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ उनका संघर्ष है।
    तमिलानाडु में 'अम्मा' यानी जयललिता का राज चला तो पश्चिम बंगाल में 'शेरनी' और दीदी कही जाने वाली ममता का दबदबा है। लेकिन, राजस्थान में 2003 से 2008 और 2013 से अब तक बतौर मुख्यमंत्री सरकार चला रही वसुंधरा राजे का संघर्ष भी मिसाल है। यूं तो राजघराने में जन्म होने से विरासत में सियासत मिली। लेकिन आगे कठिन हालातों में भी जनता में अपने दम पर पकड़ बनाने के लिए वसुंधरा राजे को कम संघर्ष नहीं करना पड़ा।
     
     
    आज के दिन यानी 8 मार्च 1953 को वसुंधरा राजे का मुंबई में सिंधिया राजघराने में जन्म हुआ। वो ग्वालियर राजघराने में पली बढ़ी हैं। उनके पिता का नाम जीवाजीराव सिन्धिया और माँ का नाम विजयाराज सिन्धिया है। वो मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता माधव राव सिंधिया की बहन हैं। साल 1972-73 में महज 20 साल की उम्र में ही में उनकी शादी धौलपुर राजघराने के हेमंत सिंह से हुई। शादी के बाद जब बेटे दुष्यंत का जन्म हुआ तो आपसी खटपट शुरू होने लगी। नतीजा साल 1975 में दोनों अलग हो गए।
     
     
    राजनैतिक कैरियर में एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक होने के बावजूद वसुंधरा जी का जीवन बहुत संघर्षमय बीता, लेकिन जीवन के हर संघर्ष का उन्होंने दृढ़ता से सामना किया। केवल आठ साल की उम्र में इन्होंने अपने पिता को खो दिया था, लेकिन मां श्रीमती विजयाराजे द्वारा दिए गए संस्कारों ने इन्हें सदैव संबल प्रदान किया। जनसेवा और राजनीति के माहौल में पली बढ़ी वसुंधरा में परमार्थ सेवा के गुण स्वतः ही विकसित हुए।
     
     
    वसुंधरा की मां विजया राजे सिंधिया भाजपा की राजनीति में सक्रिय रहीं। जब पति से वसुंधरा अलग हो गई तो खाली वक्त में उन्होंने जनता के बीच जाना शुरू कर दिया। इसी बहाने जनता से जुड़ाव रखने के लिए वसुंधरा राजे ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। 1984 में वसुंधरा राजे भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हुईं। इस बीच मध्य प्रदेश के भिंड से लोकसभा चुनाव लड़ीं मगर हार का सामना करना पड़ा। वसुंधरा को लगा कि मध्य प्रदेश में सियासत नहीं चमक सकती तो राजस्थान चलीं आईं।
     
     
    साल 1985 में ससुराल की धौलपुर सीट से विधानसभा चुनाव लडीं तो पहली बार विधानसभा पहुंची। दो साल बाद वसुंधरा को राजस्थान का भाजपा ने प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया। जब 1998-99 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार रही तो वसुंधरा ने विदेश राज्यमंत्री का पद संभाला। वसुंधरा राजे के सियासी सफरनामे में किस्मत ने भी बहुत साथ दिया। 2003 में जब राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने को हुए तो राज्य के दो शीर्ष नेता दिल्ली में स्थापित हो चुके थे। भैरो सिंह शेखावत जहां उप राष्ट्रपति बन चुके थे तो जसवंत सिंह केंद्रीय मंत्री रहे। ऐसे में भाजपा ने वसुंधरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उनकी अगुवाई में राजस्थान में चुनाव लड़ने का फैसला किया। वसुंधरा का मतदाताओं पर जादू दिखा। चुनाव परिणाम आया तो भाजपा ने 110 सीटें जीतकर पहली बार अपने दम पर राजस्थान में सरकार बनाई। इसी के साथ वे राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
     
     
    1978 में दुष्यंत की नानी विजयाराजे सिंधिया ने नाती के नाम पर स धौलपुर घराने की संपत्ति को लेकर महाराजा हेमंत सिंह पर मामला दर्ज कराया। इसके बाद 29 साल तक मुकदमा चला। इस बीच वसुंधरा के पूर्व पति हेमंत सिंह के रिश्तेदार भरतपुर के महाराजा विश्वेंद्र सिंह ने पिता-पुत्र के बीच समझौता कराया। कहा जाता है कि समझौते के बाद दुष्यंत को धौलपुर का महल, शिमला का घर, धौलपुर घराने के जवाहरात और एक दर्जन विंटेज कारें मिलीं। जबकि हेमंत सिंह को दिल्ली में पंचशील मार्ग का घर व अन्य संपत्तियां मिलीं। इस घर में ही वे दूसरी पत्नी इंद्राणी सिंह के साथ रहते हैं।

    सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

    बेटे की चाहत ने 83 साल का बुजुर्ग फिर बना दूल्हा, 30 साल की महिला से की शादी

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    times of crime
    जयपुर। भले ही आज के समाज में लड़कों और लड़कियों को बराबर का दर्जा दिया जाता है लेकिन आज भी देश के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां लड़कियों की तुलना में लड़कों को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। भ्रूण हत्या जैसी घटनाएं इसी सोच की बानगी है। ऐसी ही एक घटना राजस्थान के एक गांव से सामने आई है जहां बेटे की चाहत में 83 साल के बुजुर्ग ने खुद से 53 साल छोटी महिला की साथ शादी रचाई। केवल इतना ही नहीं, इस बुजुर्ग की शादी में उसकी बेटी और दामाद भी शामिल हुए और जमकर डांस भी किया। 
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    मिली जानकारी के अनुसार, राजस्थान के करौली जिले में स्थित सैमर्दा गांव में रहने वाले सुखराम बैरवा ने बेटे की चाहत में 30 साल की एक महिला से शादी की। बताया जा रहा है कि यह शादी बुजुर्ग सुखराम अपनी पहली पत्‍नी से रजामंदी लेने के बाद रचाई। शादी में पहली पत्‍नी के साथ बेटी-दामाद भी मौजूद रहे और सभी जमकर नाचे भी।
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    बताया जा रहा है कि सुखराम की पहली पत्नी से दो बेटी और एक बेटा कान्हू था। मगर 30 साल की उम्र में किसी बीमारी के कारण उसकी मौत हो गई थी। इस कारण वंशवृद्धि का संकट पैदा हो गया। ऐसे में बुजुर्ग ने नजदीक के राहिर गांव में रहने वाली 30 वर्षीय रमेशी के साथ शादी रचाने का फैसला किया। बताया जा रहा है कि सुखराम के पास दिल्ली में एक प्लाट और गांव में सात बीघा जमीन है।
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    बेटे की मौत के बाद से मानसिक रूप से बीमार चल रहे सुखराम काफी समय पहले अपने परिजनों के समक्ष बेटे की चाह में एक और शादी करने की इच्छा जताई थी। बेटे की चाहत में सुखराम बैरवा ने 30 साल की रमेशी के साथ शनिवार रात विवाह किया और रविवार को आसपास के 12 गांवों के एक हजार लोगों को दावत दी। फिलहाल उनकी पहली पत्‍नी उनके साथ ही रह रही है। बेटी, दामाद और उनके पांच बच्‍चे भी साथ रह रहे हैं।

    शनिवार, 17 फ़रवरी 2018

    नीता अंबानी की ये तस्वीरें आपने आज से पहले कभी नही देखी होगी, एक बार जरुर देखें

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    TIMES OF CRIME
    नमस्कार दोस्तों आपका हमारे यूसी न्यूज़ चैनल में स्वागत हैं, और हम एक बार फिर आपके लिए एक चटपटी खबर लेकर हाजिर हैं। दोस्तों अंबानी परिवार के बारे में तो हर कोई जानता हैं, अंबानी परिवार भारत का सबसे अमीर परिवार हैं। और आज हम बात करेंगे मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी की।
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    Nita Ambani AND Praful Patel
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    नीता अंबानी का जन्म 1 नवम्बर 1963 को मुंबई में हुआ था। नीता अंबानी की उम्र 54 साल हो गयी हैं, लेकिन उनकी ख़ूबसूरती को देखकर कोई उनकी उम्र का अंदाज नही लगा सकते हैं।
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    भज्जी और नीता अंबानी की फोटो हुई वायरल
    नीता अंबानी का स्पोर्ट्स में बहुत इंटरेस्ट हैं, खास करके क्रिकेट में। दुनिया के सबसे मशहूर टी-20 लीग IPL की टीम मुंबई इंडियन्स की मालकिन भी हैं। आज हम आपको नीता अंबानी की कुछ एसी तस्वीरें देखेंगे जो आपने पहले नही देखि होगी।
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    Narendra Modi with Nita and Mukesh Ambani
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    मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

    हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा ठग जिसने 3 बार ताजमहल, 2 बार लाल किला और 1 बार राष्ट्रपति भवन को बेच डाला

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    TIMES OF CRIME

    'मैंने कभी भी लोगों को पैसों के लिए डराया-धमकाया नहीं, लोग ने तो हाथ जोड़कर खुद मुझे पैसे दिए हैं'...'आप में बुद्धि होगी तो आप सच्चाई का पता लगा लेंगे'... ये बात किसी आम इंसान ने नहीं बल्कि एक ठग ने पुलिस वालों को कही थी। एक ऐसा ठग जिसने वेश्याओं तक को नहीं छोड़ा। वो हर रोज वेश्याओं के पास जाता और उनको जहरीली शराब पिलाकर उनके पैसे और गहने लूट लेता था।

    आज हम आपके सामने हिन्दुस्तान के एक ऐसे ठग की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने 3 बार ताजमहल, 2 बार लाल किला और एक बार राष्ट्रपति भवन तक को बेच दिया था। इस संसार में इससे बड़ा ठग शायद ही किसी मुल्क में पैदा हुआ हो।
    एक पढ़ा-लिखा इंसान, जिसने वकालत की पढ़ाई करने के बाद ठगी को अपना पेशा बनाया। 8 राज्यों में 100 से ज्यादा मामलों में पुलिस इस ठग को ढूंढ रही थी। 8 बार वो अलग-अलग जेलों से फरार हो चुका था। एक ऐसा ठग जिसने ठगी के लिए राजीव गांधी से लेकर राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के नाम तक का इस्तेमाल किया। मिथिलेश कुमार उर्फ मिस्टर नटवरलाल नाम था इसका। नटवरलाल एक ऐसा नाम जो ठगी का पर्यायवाची शब्द और मुहावरा बन गया। सत्तर, अस्सी और नब्बे के दशकों में एक के बाद एक कई ठगी की घटनाओं को अन्जाम देकर नटवरलाल भारत का कुख्यात ठग बन गया। कानून की नजर में नटवर की गतिविधियां भले ही अपराध हों, लेकिन वह इसे एक समाजसेवा मानता था।
    अपने जीवनकाल में करोड़ों रुपए ठगने वाले नटवर का कहना था कि वह लोगों से झूठ बोलकर पैसे मांगता है और लोग उसे देते हैं, इसमें उसका क्या कसूर है। यही नहीं, नटवरलाल का दावा था कि अगर सरकार इजाजत दे तो वह ठगी के माध्यम से भारत का विदेशी कर्ज उतार सकता है। अपनी ठगबुद्धि की वजह से कई दशकों तक भारत का मोस्ट वान्टेड मैन बना रहा।नटवरलाल का वास्तविक नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था और वह पेशे से एक वकील था। उसका जन्म बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव बंगरा में हुआ था। अब नटवरलाल यहां दन्तकथाओं में याद किया जाता है।
    उसने भारत की कई ऐतिहासिक धरोहरों को बेच दिया। जी हां, यह सच है। नटवरलाल ने तीन बार ताजमहल, दो बार लाल क़िला और एक बार राष्ट्रपति भवन को बेच दिया। यही नहीं, एक बार तो उसने भारत के संसद भवन को भी बेच दिया था। नटवरलाल को वेश बदलने में महारत हासिल थी। उसने एक बार राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का फर्जी हस्ताक्षर कर ठगी की थी। नटवरलाल उसके 52 ज्ञान नामों में से एक था। कहा जाता है कि नटवरलाल ने धीरूभाई अम्बानी, टाटा और बिरला घटना के उद्योगपतियों के अलावा सरकारी अधिकारियों से भी ठगी की थी।
    नटवरलाल पकड़ा गया। उसे 113 साल की सजा हुई। मोस्ट वान्टेड अपराधियों में की लिस्ट में शुमार नटवरलाल के खिलाफ 8 राज्यों में 100 से अधिक मामले दर्ज थे। वह अपने जीवनकाल में 9 बार गिरफ्तार हुआ, लेकिन प्रत्येक बार किसी न किसी तरह पुलिस की चंगुल से भाग निकला। अंतिम बार जब वह पुलिस की पकड़ से भागा, तब उसकी आयु 84 साल थी। 24 जून 1996 को उसे कानपुर जेल से एम्स (AIIMS) अस्पताल लाया जा रहा था। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पुलिस टीम को चकमा देकर वह भाग निकला। इस घटना के बाद उसे फिर कभी देखा नहीं जा सका।
    50 और 60 के दशक में नटवरलाल ने देश के बड़े-बड़े जौहरियों, साहूकारों और व्यपारियों को ठगा था। 8 राज्यों में 100 से अधिक मामलों में नटवरलाल का नाम ‘मोस्ट वांटेड’ की सूची में था। पुलिस ने 9 बार नटवरलाल को गिरफ्तार किया था, जिसमें से 8 बार वो पुलिस वालों को चकमा दे फरार हुआ थे। सिंहभूम की अदालत ने नटवरलाल को 19 साल, दरभंगा की अदालत ने 17 साल की कैद और 2 लाख का जुर्माना और पटना के एक जज ने 5 साल की सजा सुनाई थी। सिर्फ बिहार में नटवरलाल को 100 साल से ज्यादा की सजा सुनाई गई थी। अपने जीवन के 20 साल नटवरलाल ने जेल में बिताया है। 2009 में नटवरलाल के वकील ने उसके खिलाफ दर्ज 100 मामलों को हटाने की याचिका दायर की थी। उस याचिका के हिसाब से नटवरलाल की मौत 25 जुलाई 2009 को हो चुकी थी।नटवरलाल ने मरने का नाटक कर भी लोगों से ठगी की थी। वर्ष 2009 में नटवरलाल के वकील ने उसके खिलाफ दायर 100 मामलों को हटाने की याचिका दायर की थी। उसने दलील दी कि 25 जुलाई 2009 को नटवरलाल मर चुका है। लेकिन नटवरलाल के भाई का दावा है कि उसकी मौत करीब 13 साल पहले वर्ष 1996 में ही हो गई।
    नटवरलाल के जीवन से प्रेरित होकर बॉलीवुड में एक फिल्म बनी, मिस्टर नटवरलाल। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में थे अमिताभ बच्चन। अभी हाल ही में राजा नटवरलाल नामक एक फिल्म बनी है, जिसमें मुख्य भूमिका निभाई है इमरान हासमी ने।आपराधिक वारदातों को अन्जाम देने के बावजूद नटवरलाल के प्रशंसकों की संख्या कम नहीं थी। बिहार में उसके गांव के लोगों की मांग थी कि यहां नटवरलाल के नाम एक स्मारक की स्थापना की जाए। यहां लोग मानते हैं कि नटवरलाल एक भला आदमी था और लोगों की मदद करता था। नटवरलाल से प्रभावित होकर कई लोग उसके शागिर्द बने। लेकिन कोई भी उसके सरीखा नहीं हुआ।

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