हिंडाल्को प्रबंधक की तानाशाही, विस्थापित भूख हड़ताल करने को मजबूर |
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जिला ब्यूरो चीफ सिंगरौली // नीरज गुप्ता 7771822877
सिंगरौली. मध्य प्रदेश की पिछली मामा (शिव राज सिंह चौहान) सरकार द्वारा सिंगरौली को बड़े-बड़े सपने दिखा कर क्षेत्र में कई इकाइयों को स्थापित करने का कार्य किया गया |
जिसमें क्षेत्र के रहवाशिओं द्वारा मीठे सपनों को देख, खुद की जमीनों को पानी के भाव दे भी दिया गया | और उन सपनों को इन उद्द्योगिक इकाइयों के बरिष्ट अधिकारियों द्वारा मात्र खाना पूर्ति हेतु या यह कहिये की बाहरी दिखावा के लिए मात्र पूर्ण भी किया जा चुका हैं |
पर अगर जमीनी हकीकत में देखा जाए तो इन इकाइयों के वादे पूर्णतः खोखले साबित नजर आते साबित हो रहे हैं | जी हां हम बात कर रहे हैं बरगवां स्थित महान एल्युमिनियम पावर प्लांट (हिंडाल्को) की | जहां के विस्तापितों की माने तो, उनका आरोप हैं कि वो पिछले जून 2015 से लगातार जनवरी 29, 2019 तक 14 बार अपनी मांगों को ले कर महान विस्थापित एवं श्रमिक संघ सिंगरौली द्वारा अनशन किया जाना बताया गया हैं |
हिंडाल्को प्रबंधक की तानाशाही, विस्थापित भूख हड़ताल करने को मजबूर |
परन्तु आज तक कंपनी प्रबंधक और जिला प्रशासन द्वारा मात्र आश्वासन ही दिया जाना बताया गया हैं | आश्चर्य की बात यह हैं कि आज दिनांक को कड़ाके की ठंड के बीच क्षेत्र के विस्थापितों द्वारा भूख हड़ताल करने को मजबूर हैं | पर न तो कम्पनी प्रबंधक और न ही जिला प्रशासन के कानों में जूं तक रेंगी हो | आज हड़ताल को 6 दिन पूर्ण होने के बाद विस्थापितों द्वारा भूख हड़ताल का रूप ले लिया गया हैं |
जहां एक ओर हिंडाल्को के बरिष्ट अधिकारियों द्वारा दावा किया जा रहा हैं कि क्षेत्र के विस्थापितों की सभी प्रकार की मांगों की पूर्ति कर दिया गया | वही नागेश्वर जैसवाल सचिव महान विस्थापित एवं श्रमिक संघ द्वारा 39 सूत्रीय मांगों को लेकर सैकड़ों विस्थापितों के साथ पिछले 6 दिनों से हड़ताल में डटे हुए हैं | जो आज दिनांक 21/01/2020 दिन मंगलवार से भूख हड़ताल में परिवर्तित हो गई हैं | इनका कहना हैं कि कम्पनी के बरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मात्र पेपर पर ही सभी 39 मांगों की पूर्ति कर छलने का कार्य किया जाना बताया गया हैं |
यही नही विश्वस्त सूत्रों की माने तो हिंडाल्को के मौजूदा बरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विस्थापितो के साथ अन्याय व अत्याचार के अलावा कुछ और नही किया जाना बताया जा रहा हैं जिसके सबूत के तौर पर जानकारी लेने पर पता चला कि विस्थापितों के हित के लिए कई संगठनों व राजनैतिक पार्टीया भी सम्लित रही हैं | बावजूद इसके यहां के विस्थापितों को उनके हक नही दिलाया जा सका | जिन्होंने हिंडाल्को से सीधा लोहा लिया बताया गया |
यहा देखने वाली बात यह है कि खुद की जमीन दे भूखों मरने की कगार में पहुँचने वालों को झूठा दिखाने, हिंडाल्को के बरिष्ट अधिकारी किस हद तक सफल हो पाते है, या जिला प्रशासन इन विस्थापितों का हक भी दिलवा पाती हैं | या पिछले कई बार असफल हुए इस संगठन फिर एक बार और असफल होगी | यह जानने के लिए बने रहिये ANI News India
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