शुक्रवार, 28 मई 2021

कथित महिला कशिश नवलानी अवधेश भार्गव की रखैल ने पत्रकार पर दर्ज करवाया फर्जी मुकदमा, पुलिस ने जांच कर जालसाज का किया पर्दाफाश, रासुका की कार्यवाही की हो रही मांग


कथित महिला कशिश नवलानी अवधेश भार्गव की रखैल ने पत्रकार पर दर्ज करवाया फर्जी मुकदमा, पुलिस ने जांच कर जालसाज का किया पर्दाफाश, रासुका की कार्यवाही की हो रही मांग


कथित महिला कशिश नवलानी अवधेश भार्गव की रखैल ने पत्रकार पर दर्ज करवाया फर्जी मुकदमा, पुलिस ने जांच कर जालसाज का किया पर्दाफाश, रासुका की कार्यवाही की हो रही मांग

*यह पहली कड़ी ( कशिश फर्जी एफआईआर FIR कांड पार्ट 01 ) अभी औऱ भी है खुलासे इस स्टोरी का अगली कड़ी क्रमशः..*

*पत्रकार अनूप सक्सेना पर महिला से छेड़छाड़ का झूठा प्रकरण लगवाने के मुख्य सूत्रधार अवधेश भार्गव*

*अगली खबर का करें इंतज़ार ( आइशा कौन थी जिसका बलात्कार करने की कोशिश की, अवधेश भार्गव की हुईं ठुकाई किया बलात्कारी को खुनम खून... जल्द प्रस्तुत*

TOC NEWS INDIA // 9893221036

भोपाल। सोशल मीडिया के जरिये राजगढ़ जिले के जुझारू पत्रकार अनूप सक्सेना को ब्लैक मेलर बताने वाले अवधेश भार्गव जैसे धूर्तो की करतूतों का खुलासा उस समय हुआ जब आवेदिका श्रीमती संगीता सक्सेना के आवेदन पर पुलिस उप महानिरीक्षक भोपाल रेंज ने मामले की जांच नगर पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा को करने के निर्देश दिए। जब नगर पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा ने मामले की जांच की तो पता चला कि अनूप सक्सेना पर लगा छेड़छाड़ का आरोप पूरी तरह फ़र्ज़ी है और इसके सूत्रधार अवधेश भार्गव हैं।

[caption id="attachment_33851" align="alignnone" width="300"] कथित महिला कशिश नवलानी अवधेश भार्गव की रखैल ने पत्रकार पर दर्ज करवाया फर्जी मुकदमा[/caption]

नगर पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा ने पुलिस उप महानिरिक्षक को प्रेषित अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि " तथ्यों के संबंध में मेरे द्वारा आवेदिका संगीता सक्सेना व प्रकरण से सम्बंधित फरियादिया श्रीमती कशिश नवलानी पत्नी सतीश नवलानी, प्रकरण के साक्षी गौरव पिता समतेराज, बलराम पिता कन्हैया, अन्य साक्षी गोलू रावत पिता काशीराम, सतीश नवलानी को तलब कर पूछताछ कर कथन लिए गए हैं  तथा घटना के सम्बन्ध में  वास्तविक स्थिति स्पष्ट करते हुए सीएसपी एम पी नगर श्री अरविन्द खरे, थाना प्रभारी अशोका गार्डन श्री रुपेश दुबे व प्रकरण के विवेचक उप निरीक्षक आर सी जर्या से लिखित में स्पष्टीकरण प्राप्त किया गया तथा जांच के दौरान पाये गए तथ्यों एवं आये नामो के आधार पर कशिश, अवधेश भार्गव के मोबाईल नंबरों की काल डिटेल प्राप्त की गयी, जो जांच में संलग्न है।"

नगर पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा ने अपने चार पृष्ठ की रिपोर्ट में आगे लिखा है कि " प्रकरण की फरयादिया कशिश नवलानी ने अपने कथन में बताया है कि इसका इसके पति से तलाक़ का केस भोपाल कोर्ट में चल रहा है , वही अवधेश भार्गव से मिली और इसके कहने पर इसने घटना दिनांक 27.12.13 को अनूप सक्सेना नाम के व्यक्ति के विरुद्ध झूठी छेड़छाड़ की शिकायत थाना अशोक गार्डन में व सीएसपी आफिस एम पी नगर एवं एस पी आफिस में की थी , जिस पर झूठा छेड़छाड़ का अपराध अनूप सक्सेना के विरुद्ध दर्ज कराया है। यह अनूप सक्सेना को कभी नहीं मिली है और न ही जानती पहचानती है। अनूप सक्सेना द्वारा इसके साथ घटना दिनांक को कोई छेड़छाड़ नहीं की है। 

प्रकरण के मुख्य गवाह गौरव पिता समतेराज, बलराम पिता कन्हैया एवं गोलू रावत ने भी एक दूसरे के कथनों की ताईद करते हुए बताया है कि घटना दिनांक को अवधेश भार्गव के कहने पर व उनके द्वारा लालच व नौकरी दिलाने का प्रलोभन दिए जाने के कारण इन्होंने पुलिस के सामने झूटी गवाही दी थी, इनके सामने घटना दिनांक 27.12.14 को घटना स्थल साक्षी इंटरप्राइजेस के सामने अशोक गार्डन में ऐसी कोई छेड़छाड़ जैसी घटना किसी के साथ नही हुई थी, यह किसी कशिश व अनूप सक्सेना नाम के व्यक्ति को जानते पहचानते नहीं है।"

नगर  पुलिस अधीक्षक गोविंदपुरा की सनसनी खेज़ इस  रिपोर्ट  से स्पष्ट है  कि किस प्रकार से ईमानदार पत्रकारों को दुष्ट और जालसाज़ लोगों के कारण झूठे मुक़दमों से दो -चार होना पड़ता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और पुलिस महानिदिशक श्री सुरेन्द्र सिंह को चाहिए कि अवधेश भार्गव जैसे चीटरों की पृष्ठभूमि की जांच कराकर समाज के सामने बे नक़ाब करें जिससे फिर कोई अनूप सक्सेना जैसा निर्दोष पत्रकार फिर कभी झूठे मामले में ना फंस सके. इसी तरीके से षडयंत्र कारी जालसाज अवधेश भार्गव कईं पत्रकारों को फंसा चुका है फ्रॉड करने के इसके सैकड़ो कहानी है । इसके सभी मामले एकत्रित करके प्रशासन को रासुका की कार्यवाही करना चाहिए। पुलिस द्वारा की गई जांच रिपोर्ट की हम जल्द जनता के सामने पेश करेंगे जिससे इनकी काली करतूतें का और जनता ठीक से जान चुकी थी।

विशेष आग्रह : इस फ़र्जी प्रकरण मामले से जुड़े तथ्य एवं जालसाज अवैध भार्गव के कारनामें की कोई और जानकारी हो तो आप 9893221036 वाट्स एप नम्बर पर भेज सकते हैं। इस खबर को सभी पत्रकार साथी कॉपी करके रख ले पत्रकारों पर फिर ऐशे मुकदमे दर्ज न हो इस खबर को जनहित में शेयर करें जागरूकता फैलाये ताकि इस षड्यंत्रकारी हरामखोर से लोग सतर्क रहे। 
अभी औऱ भी है खुलासे इस स्टोरी का अगली कड़ी, (स्रोत्र : पुलिस फ़ाइल से ) क्रमशः..

मंगलवार, 25 मई 2021

मोखा की पत्नी जसमीत और मैनेजर सोनिया की जमानत खारिज, जेल भेजा

 

 

मोखा की पत्नी जसमीत और मैनेजर सोनिया की जमानत खारिज, जेल भेजा 


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नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामला

जबलपुर । कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु मरीजो को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाकर उनसे मोटी रकम वसूल करने और जीवन के साथ खिलवाड करने के आरोपी सिटी अस्पताल के संचालक आरोपी सरबजीत सिंह मोखा की पत्नी जसमीत मोखा तथा अस्पताल की मैनेजर सोनिया खत्री शुक्ला की जमानत अर्जी जिला न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश अयाज मोहम्मद ने गंभीर मामला मानकर, धारा-420, 120, 467, 468, 273, 275 एवं अन्य धाराओ के तहत खारिज कर दी।

सुनवाई के दौरान शासन की ओर से अधिवक्ता अशोक पटेल तथा आपत्तिकर्त्ता अधिवक्ता मनीष मिश्रा व रविन्द्र दत्त ने आपत्ति ली। उल्लेखनीय है कि मुख्य आरोपी सरबजीत सिंह मोखा एन.एस.ए. के तहत जेल मे निरुध है और उसका पुत्र हरकरण मोखा को सोमवार को जिला न्यायालय में सरेंडर करने जाते समय पुलिस ने गिरफ्तार किया था। मोखा के खास राजदार राकेश शर्मा को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।

शुक्रवार, 21 मई 2021

आज मनाई गई पूर्व प्रधानमंत्री स्व राजीव गांधी की पुण्यतिथि

 

आज मनाई गई पूर्व प्रधानमंत्री स्व राजीव गांधी की पुण्यतिथि


 पाढुर्णा // पंकज मादान 

 पाढुर्णा। आज दिनांक 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री स्व राजीव गांधी जी की पुण्यतिथि ब्लॉक एवं नगर कांग्रेस कमेटी पांढुर्ना द्वारा मनाई गई कांग्रेस कार्यालय में सर्वप्रथम स्व राजीव गांधी जी के छायाचित्र पर माल्यर्पण कर उनके जीवनी पर प्रकाश डाला गया उसके बाद  राजीव गांधी मार्केट स्थित उनके मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया  उनके पुण्यतिथि के उपलक्ष्य पर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र पर गरीब मरीजो को फल वितरण किया गया सभी लोग उपस्थित थे

विस्वास जी काम्बे  योगेश खोड़े  ताहिर पटेल। ओम पटेल। संदीप घाटोड़े। बापू बालपांडे  राजू कोल्हे। प्रशांत दाडे  नारायण वादबुढे। अरुण धुर्वे  प्रदीप जुननकर  अनिल खण्डार अनिल तिड़के रत्नाकर जी कामड़े आदि लोग उपस्थित थे

गुरुवार, 20 मई 2021

दिशा पाटनी ने पूल से शेयर की हॉट बिकिनी फोटो, सेक्सी लुक देख फैन्स ने कह दी यह बड़ी बात

Disha Patni shares hot bikini photo from pool


TOC NEWS , INDIA

दिशा पाटनी निस्संदेह बी-टाउन की सबसे हॉट और सेक्सी सुंदरियों में से एक हैं और जब बात होती है सोशल मीडिया पर अपने हॉट और सेक्सी अवतार से आग लगाने की, तो दिशा सर्वश्रेठ सभीत होती हैं।

वह इंडस्ट्री की सबसे सेक्सी अभिनेत्री के तौर पर जानी जाती हैं जो बोल्डनेस की क्वीन हैं और वह अक्सर अपने इसी अंदाज़ से अपनी हॉटनेस वाइब्स से लाखों लोगों को घायल करती रही हैं।

एक बार फिर, स्विमिंग पूल से उनकी नवीनतम सेक्सी हॉट बिकनी फोटो हम सभी को घायल कर रही है और हम एक बार फिर उनके प्यार में हैं। 

जनता कर्फ्यू का उल्लंघन करने एवं बे-वजह घूमने वाले लोगों के विरूद्ध पुलिस सख्त कार्रवाई करें : कलेक्टर लवानिया

जनता कर्फ्यू का उल्लंघन करने एवं बे-वजह घूमने वाले लोगों के विरूद्ध पुलिस सख्त कार्रवाई करें : कलेक्टर लवानिया


TIMES OF CRIME
 
भोपाल। कलेक्टर अविनाश लवानिया ने सभी अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि यह सुनिश्चित करें कि लोग अपने घरों में रहे और बे-वजह बाहर ना निकले, मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंस का पालन करें। मेडिकल आपात स्थिति की जरूरत के बिना घरों से बाहर निकलने और झूठ बोलकर बिना वजह बाहर घूमने वालों के विरुद्ध पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की कार्रवाई लगातार जारी रहेगी।
 
कलेक्टर लवानिया और डीआईजी वली ने आज कमला पार्क सहित अन्य जगहों पर अचानक चेकिंग करने पहुँचें। दोनों अधिकारियों ने पुलिस अधिकारियों और जवानों के साथ सड़कों पर उतरकर बिना वजह घूमने वालों के विरुद्ध हो रही कार्रवाही का औचक निरीक्षण किया, लालाघाटी, हमीदिया और पॉलिटेक्निक चौराहा पर खुद व्यवस्थाओं को संभाला और लोगों की गाड़ियों को रोककर पूछताछ की। घरों से बाहर निकलने की वजह पूछी और उचित कारण नहीं बताने तथा बे-वजह घूमने वाले लोगों के विरूद्ध पुलिस को कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
 
डीआईजी श्री इरशाद वली ने सभी पुलिस के जवानों को ऐसे लोगों के विरुद्ध सख्ती करने के निर्देश दिए है। भोपाल शहर में भ्रमण कर घर से बेवजह बाहर सड़कों पर निकलने वाले लोगों के विरुद्ध धारा 188 में करवाई किए जाने के निर्देश भी दिए गए है। उन्होंने कहा कि बिना मास्क लगाए कोई भी व्यक्ति सड़को पर नही दिखना चाहिए , इसके लिए सख्ती से कर्रवाई की जाए।

एकता कपूर ने बताया कि वह 'द मैरिड वुमन' जैसा शो क्यों करना चाहती थी, जाने यहाँ!


The Married Woman Web Series 


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एकता कपूर ने बताया कि वह 'द मैरिड वुमन' जैसा शो क्यों करना चाहती थी, जाने यहाँ!

एकता कपूर एक खास वजह से द मैरिड वुमन के साथ अर्बन कहानियों से आगे निकल गईं है। कंटेंट क्वीन ने साझा करते हुए बताया कि वह केवल महानगरों में ही नहीं, बल्कि हार्टलैंड एरिया पर आधारित शो क्यों करना चाहती थी।

एकता ने साझा किया, "बॉम्बे और दक्षिण बॉम्बे को छोड़कर वहां एक पूरा भारत है जो पूरी तरह से अलग तरह का कंटेंट देखना पसंद करता है। और हाल ही में मैंने द मैरिड वुमन को सिर्फ इसलिए किया क्योंकि मुझे लगता था कि मेरे पास अलग दर्शक होंगे और यह काम कर गया।"

वह आगे कहती हैं, "मैंने इसके काम करने की कल्पना नहीं की थी, लेकिन इसने काम किया और इसलिए अब मैं थोड़ा सा डेटा और थोड़ी राहत के साथ बैठी हूं, जबकि हम 75% प्रोग्रामिंग करते हैं, जो उस ज्ञान के नेतृत्व में होता है जो हमें डेटा से मिलता है। 25% कम से कम प्रयोग कटौती करने के लिए छोड़ दिया जाएगा, उन विचारों के लिए जो शायद संख्याओं के साथ लगातार दबाव में नहीं हैं, लेकिन शायद ये दबाब है कि वे नए दर्शकों को आकर्षित करेंगे।"

कंटेंट की रानी ने समय-समय पर अपने विविध शो से हमें हमेशा आश्चर्यचकित किया है। द मैरिड वुमन के साथ, उन्होंने एक महानगरीय शहर की तुलना में भारत के एक अलग हिस्से में एक कहानी की खोज की है और यह एक बड़ी सफलता साबित हुई है।

एकता कपूर का करियर 2 दशकों से अधिक लंबा है और उन्होंने बालाजी टेलीफिल्म्स व ऑल्ट बालाजी के साथ अलग-अलग और नई कहानियों की खोज करते हुए भारतीय टीवी और ओटीटी लैंडस्केप को अकेले ही बदल दिया है।

बुधवार, 19 मई 2021

पांढुरना सिविल अस्पताल में सांसद दारा 3 वेंटीलेटर प्रदान किए

 

पांढुरना सिविल अस्पताल में सांसद दारा 3 वेंटीलेटर प्रदान किए 



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पांढुर्ना ब्यूरो चीफ // पंकज मदान 

पांढुर्ना . आज कोविट सेंटर पांढुर्ना में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी एवम सांसद नकुलनाथ  द्वारा भेजे गये वेंटिलेटर विधायक निलेश उइके  हस्ते प्रदान किये गये

कोरोना महामारी के चलते पूरे देश मे हाहाकार मचा हुआ है ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी जिले के सांसद नकुलनाथ  द्वारा जिले में कोरोना मरीजो के लिये लगने वाले दवाइया ऑक्सीजन इंजेक्शन वेंटिलेटर से लेकर सभी प्रकार की जीवनोपयोगी सामग्री का इंतजाम कर जिला चिकित्सालय पर दिया जा रहा हैं 

जिसमे से आज 3 वेंटिलेटर पांढुर्ना कोविट सेंटर को भी प्रदान किये गए अब पांढुर्ना कोविट सेंटर भी अत्यंत सुविधा  से लेस हो गया है 3 वेंटिलेटर माननिय विधायक नीलेश उइके के हस्ते और कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों के उपस्थिति में पांढुर्ना sdm महोदया मेघा शर्मा  बीओमो गोन्नाडे के उपस्थिति में शासन को प्रदान किये गये 

*नीलेश उइके विधायक पांढुर्ना  विश्वास काम्बे  योगेश खोडे  सुनील बुधराजा सुनील जुननकर। ताहिर पटेल मधुकर धुर्वे ओम पटेल चिंतामन पराड़कर  बापू बालपांडे उपस्थित रहे।

मंगलवार, 18 मई 2021

कोरोना किल अभियान 3 की शुरूआत कर लोगों के घर घर जाकर स्वास्थ्य की जानकारी ली गई

 

 

कोरोना किल अभियान 3 की शुरूआत कर लोगों के घर घर जाकर स्वास्थ्य की जानकारी ली गई


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कटनी जिला ब्यूरो चीफ // रमेश कुमार पाण्डे 6264045369

कटनी जिला - तहसील क्षेत्र के सिलौंडी ग्राम में शासन के निर्देश पर कोरोना किल अभियान 3 की शुरुआत की गयी है । इसके अंतर्गत लोगों के घर घर जाकर परिवार के सभी लोगों के स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त की है । सभी लोग को घर में रहने की सलाह दी गयी है ।

बहुत ही आवश्यक कार्य होने पर मास्क लगाकर ही घर से निकाले की अपील की है । सभी लोगों को वैक्सीन लगावाने की अपील की गई । पंचायत सचिव दुर्गा श्री वास ने ग्रामीणों को वैक्सीन के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी।

जिसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता जगदीश उद्दे ,पंचायत सचिव दुर्गा श्रीवास ,रोजगार सहायक अमरीश राय ,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मीना महोबिया ,सावित्री नामदेव ,जागरूकता समिति अध्यक्ष धीरज जैन आदि रहे ।

सोमवार, 17 मई 2021

महिला पुलिसकर्मी की ईमानदारी व मानवीयता से पीड़ित को सकुशल वापस मिले 7 हजार रुपये, पीड़ित ने पुलिसकर्मी की सराहना कर धन्यवाद दिया

 


महिला पुलिसकर्मी की ईमानदारी व मानवीयता से पीड़ित को सकुशल वापस मिले 7 हजार रुपये, पीड़ित ने पुलिसकर्मी की सराहना कर धन्यवाद दिया

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भोपाल। दिनाँक 5 मई को सुबह महिला हेड कांस्टेबल इशरत परवीन खान को आजाद मार्केट में रोड किनारे 7 हजार रुपये के नोटों की गड्डी मिली थी।

जिसे इशरत परवीन खान ने ईमानदारी व मानवता का परिचय देते हुए उक्त 7 हजार रुपये थाना मंगलवारा में जमा करा दिए थे, जिसकी सूचना पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पर जारी कर वायरलेस पर भी सूचना प्रसारित कराई गई थी।

उक्त सूचना व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से पीड़ित *सलीम खान पिता श्री जलील खान उम्र 32 साल निवासी कच्ची मस्जिद के पास टीला भोपाल* को मिलने पर उन्होंने थाना मंगलवारा फोन सूचना दी, कि मैं किराना दुकान चलाता हूँ और मेरे पास online डिलीवरी के जेब मे रुपये की गड्डी रखी हुई थी। मैं बाइक से घर जा रहा था, तभी अचानक जेब से नोट की गड्डी गिर गई। मैंने 100 नम्बर पर call कर सूचना दे दी थी। मेरी कोरोना positive रिपोर्ट आ गई है। मैं ठीक होने के बाद थाना आकर रुपये ले लूंगा।

आज दिनाँक 16 मई को पीड़ित सलमान रुपये लेने थाने पहुँचे, जिनसे रुपये के सम्बंध में तस्दीक कर महिला हेड कांस्टेबल नुशरत परवीन खान के हाथों उक्त 7 हजार रुपये की राशि सलमान को वापस लौटाई। पीड़ित सलमान द्वारा महिला पुलिसकर्मी व स्टॉफ की सराहना करते हुए धन्यवाद दिया।

रविवार, 16 मई 2021

पत्रकार जितेन्द्र चौरसिया की दर्द भरी आपबीती : कोरोना, माँ की मौत और जेके अस्पताल भोपाल

 

पत्रकार जितेन्द्र चौरसिया की दर्द भरी आपबीती : कोरोना, माँ की मौत और जेके अस्पताल भोपाल 

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भोपाल के युवा पत्रकार #जितेन्द्र_चौरसिया ने अपनी मां को खो दिया। उनका दिल मां की मौत को सहज स्वीकार नहीं कर पा रहा है। उन्हें क्यों लगता है कि अस्पताल की लापरवाही ने उनकी मां को छीन लिया है। मां के जाने के बाद जितेन्द्र एक रात भी ढंग से नहीं सो पा रहे। भारी और दुखी मन से आखिर कलम उठाकर जितेन्द्र चौरसिया ने जो आपबीती लिखी है, वह आम लोग पढें या न पढें, लेकिन सत्ता के साकेतों में बैठे जिम्मेदार मंत्रियों और जिम्मेदार अफसरों को जरूर पढ़ना चाहिए


भोपाल। कहते हैं कि होनी विधि का विधान होती है, लेकिन जब किसी सेवा-कार्य में बेईमानी, अमानवीयता और बेहयाई शामिल हो जाए, तो मन में असंतोष बना रहता है। पिछले दिनों मेरी मम्मी की मौत में सिर्फ दो कारण रहे। पहला, मेरा मम्मी को जेके अस्पताल में भर्ती कराना  और दूसरा जेके अस्पताल के कामकाज का तरीका, जिसे दुष्चक्र ही कहा जा सकता है। 


ये एक गंभीर विषय है, क्योंकि सिर्फ मेरी माँ ही नहीं, ऐसे अनेक मरीज हो सकते हैं, जिनके परिजनों को इस दुष्चक्र ने सदा के लिए छीन लिया होगा। जिस दिन मेरी माँ की मौत हुई, उसी दिन अस्पताल में 5 मौत हुई थी। हो सकता है कि कोई लापरवाही हो, जैसी मेरी माँ के साथ हुई। खास यह भी कि मेरी लिए कलेक्टर सहित कई लोगों ने फोन लगाये और पूरे मन से मदद की, लेकिन अस्पताल प्रबंधन मुझसे, उनसे और अन्य अफसरों से झूठ बोलता रहा। ऐसे में आम आदमी की क्या दुर्दशा होगी, सोचने वाली बात है।


1. घबराकर एडमिट कराया यह गलती की :

वह 10 अप्रैल का दिन था, जब मैं और मम्मी जेके अस्पताल में सीटी स्कैन कराने पहुंचे। हम दोनों ही 7 अप्रैल को पॉजीटिव हुए थे। जेके अस्पताल के डॉ यशवंत से बात हुई थी। किसी अधिकारी के कहने पर उन्होंने मुझे सीटी स्कैन के लिए अस्पताल बुला लिया। सोचा था कि सिटी स्कैन की रिपोर्ट पर तय करेंगे कि आगे क्या करना है। रिपोर्ट में जरूरत होने पर एडमिट हो जाएंगे। इसलिए शाम 6:00 बजे बताएं टाइम पर पहुंचा, तो डॉ यशवंत का मोबाइल बंद था। फिर करीब डेढ़ घंटे परेशान होने के बाद सीटी स्कैन कराने के पैसे जमा कराएं और पर्ची बनवाई। इस सब में करीब 8:00 बज गई। मम्मी ने बीपी की गोली नहीं खाई थी, इसलिए सीटी स्कैन कराने जाते समय कॉरिडोर में चक्कर आने से वह बैठ गई। मुझे भी मम्मी को बीपी की गोली खिलाना ध्यान नहीं रहा। मम्मी को बैठा देखकर डॉक्टर आए और जांच की। डॉक्टर ने कहा, बीपी हाई है, ऑक्सीजन सेचुरेशन भी कम है और उसका लेवल भी कम-ज्यादा हो रहा है। डॉक्टर ने कहा कि मम्मी को इस हालत में लेकर जाना खतरनाक है, तुरंत एडमिट करना चाहिए। मैं घबरा गया और एडमिट कर दिया। समझ नहीं सका कि मम्मी को उस समय कोई समस्या नहीं थी। डॉक्टर के कहने पर भर्ती किया, तो इस पूरी प्रक्रिया में रात के 12:30 बज गए। इतना लंबा समय होने के बावजूद भी उस समय मैं भांप नहीं पाया कि अस्पताल कितना ज्यादा अव्यवस्थित और सिस्टम बेरहम है। ये ही मुझे बाद में भारी पड़ा।


2.  बिना ऑक्सीजन का मास्क लगाकर मम्मी को कर दिया क्रिटीकल : 11 अप्रैल पूरे दिन मम्मी बिल्कुल अच्छी रही। मम्मी ने कहा- खाना ठीक है, कोई समस्या नहीं है। इसी तरह 12 अप्रैल रात तक भी मम्मी अच्छी रही। पहली शिकायत मम्मी ने की कि कोई पानी देने तक नहीं आता। फिर भी स्थिति ठीक थी। सुबह से रात तक कम से कम पांच-छह बार बात होती। इंदौर में मामा से भी मम्मी ने बात की। हर बार आधे से एक घंटे लगातार बातें हुई। फिर 12 अप्रैल शाम से देर रात तक तीन बार बात हुई। आखरी कॉल रात 11.30 से 12 बजे के बीच आया होगा। हर बार ये कहा कि मुझे कोई दिक्कत नहीं, लेकिन ये नर्स बार-बार ऑक्सीजन मास्क लगा रही है। इस मास्क को लगाने पर खूब घबराहट हो रही है और न लगाने पर ठीक महसूस कर रही हूँ। मैंने तीनों बार कहा कि नर्स कह रही है, तो लगा लें और घबराहट हो तो हटा देना। मैं उस समय समझ नहीं सका कि शायद, उस मास्क में ऑक्सीजन ही नहीं आ रही थी या फ्लो बेहद कम था। नतीजा ये कि रात को एक घंटे तक अच्छी तरह बात करने वाली मम्मी सुबह  तक क्रिटिकल हो गई। सुबह 9-10 बजे मम्मी का फोन आया कि स्थिति अच्छी नहीं हैं , साँस लेने में बहुत ज्यादा दिक्कत है। मैंने कहा कि मैं आ रहा हूँ। मैं घर से निकला ही कि अस्पताल से किसी नर्स का फोन आया कि मम्मी क्रिटिकल कंडीशन में है और आईसीयू शिफ्ट कर रहे हैं। बस, बिना ऑक्सीजन वाले मास्क ने मम्मी को क्रिटिकल कर दिया।


3. मौत तक सिटी स्कैन की रिपोर्ट नदारद : जेके अस्पताल की घोर लापरवाही ऐसी रही कि एडमिट होने के 2 दिन होने पर भी सीटी स्कैन नहीं किया गया। जबकि, हम इसी सीटी स्कैन को कराने अस्पताल पहुंचे थे। अफसरों को फोन लगाएं, अस्पताल प्रबंधन पर दबाव डाला, तब अस्पताल के सेकंड ओनर धर्मेंद्र गुप्ता का फोन आया। उन्होंने कहा कि सीटी स्कैन करा रहा हूं। 12 अप्रैल को तीसरे दिन सीटी स्कैन कराया, लेकिन रिपोर्ट मम्मी की 16 अप्रैल को मौत तक नहीं आई। हर दिन सीटी स्कैन की रिपोर्ट पूछता रहा, लेकिन मिली नहीं। मम्मी क्रिटिकल कंडीशन में हुई, तो डॉक्टरों ने कहा कि रिपोर्ट नहीं आई है, लेकिन मोटे अनुमान के मुताबिक 55 फ़ीसदी लंग इन्फेक्शन हैं। रेमडिसेवर इंजेक्शन लगाने की बात कहकर मुझसे 55 फ़ीसदी इन्फेक्शन होने की जानकारी के सहमति पत्र पर दस्तखत भी कराएं। मैंने प्रबंधन के डॉ यशवंत से सीटी स्कैन की रिपोर्ट पूछी, तो बोले कि रिपोर्ट नहीं आई। उन्होंने कंट्रोल रूम  चौहानजी के पास भेजा, उनसे बात की तब भी रिपोर्ट नहीं आई थी। फिर 15 अप्रैल को नाराजगी जाहिर की, तो डॉ यशवंत ने बताया कि रिपोर्ट नहीं आई है, लेकिन पता करके बताया कि 20 से 28 फीसदी लंग्स इंफेक्शन है। मैंने बताया कि आईसीयू में मुझे 55 फीसदी बताया, तो सही क्या? जवाब उनके पास नहीं था। एक और अहम् बात कि जब 16 अप्रैल को मम्मी की मौत हुई, तब तक फ़ाइल में सिटी स्कैन की रिपोर्ट नहीं थी। मैंने खुद आईसीयू में दोपहर 2 बजे फ़ाइल देखी थी।


4.  रेमडिसेवर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आगे सब बेअसर : रेमडिसेवर इंजेक्शन की जद्दोजहद ने एहसास कराया कि अस्पताल में कितनी कालाबाजारी है। मम्मी क्रिटिकल होकर आईसीयू में पहुंची, तो हाईफ्लो मशीन की ऑक्सीजन पर थी। माँ को अब टाइट वाला आक्सीजन मास्क लगा था। वो बोल नहीं सकती थी। मैं मिला तो मम्मी को साहस आया, घर वालों से फोन पर एकतरफा बात कराई। इससे ऑक्सीजन लेवल 80 से 88-90 तक आ गया, पर बात के बाद फिर 82-84 हो गया। डॉक्टर बोले कि 6 रेमडिसेवर इंजेक्शन लाओ। तब 2 इंजेक्शन लाकर लगवाए। फिर शासन-प्रशासन के अफसरों को फोन किया कि इंजेक्शन नहीं मिल रहे। अफसरों ने अस्पताल प्रबंधन से बात की। माँ के इंजेक्शन अस्पताल पहुँच गए। अस्पताल के सेकण्ड ओनर धर्मेंद्र गुप्ता से बात हुई, तो बोले चिंता मत करो, आपकी माँ के इंजेक्शन रखवा दिए गए हैं। एचओडी डॉक्टर चौधरी का फोन आया कि चिंता मत करो। माँ के इंजेक्शन हैं, उन्हें लगवा रहे हैं। अस्पताल पहुँचा तो आईसीयू में डॉक्टर से पूछा इंजेक्शन आ गए। डॉक्टर बोले कि आप जल्दी लाइए, समय हो गया है । प्रबंधन का हवाला दिया, तो बोले कि इंजेक्शन है ही नहीं और हमें कोई सूचना नहीं। मैं इंजेक्शन के इंतजाम के लिए दौड़ा। अगले दोनों दिन दोपहर 12.30 से शाम 4 बजे तक इंजेक्शन की भाग- दौड़ करके इंतजाम किया। इस दौरान मिस्टर गुप्ता और डॉ चौधरी झूठ बोलते रहे। मैंने ब्लेक मार्केट से इंजेक्शन लाकर लगवाए, तो अस्पताल ने अफसरों को मैसेज किया कि उन्होंने मेरी मम्मी को इंजेक्शन लगवा दिए हैं। वो ही मैसेज मुझे अफसरों ने किये, तो उन्हें सच बताया कि मैं लेकर आया हूँ और अस्पताल प्रबंधन झूठ बोल रहा है। इंजेक्शन के लिए तमाम अफसरों का मदद करना, फोन करना भी काम नहीं आया। शासन-प्रशासन ने भरपूर मदद की, लेकिन अस्पताल उन्हें और मुझे दोनों को झूठ बोलता रहा। तब, महसूस किया कि अस्पताल माफिया कितना निर्मम होता है। एक बात और कि जब आखरी के दो रेमडिसेवर इंजेक्शन डॉक्टर को लगाने दिए, तो एक बार 15-20 मिनट और एक बार करीब आधे घंटे वे इधर-उधर करते रहे। मुझे पता नहीं मेरे लाये इंजेक्शन ही मम्मी को लगाएं या बदल दिए। जब जेके अस्पताल में ही रेमड़ीसेवर के बदले पानी के इंजेक्शन लगाने वाली नर्स पकड़ाई, तब पहली बार मुझे मेरे दिए इंजेक्शन लगाने में देरी पर संदेह हुआ। लेकिन, अब भी इस बारे में पता नहीं। अब फिर अस्पताल के लोग इंजेक्शन की कालाबाजारी में सामने आएं हैं।


5. एचओडी बोलते रहे झूठ : जिस तरह माँ की मौत तक सिटी स्कैन रिपोर्ट के अते-पते नहीं थे, वैसे ही अस्पताल के अंधे इलाज की पोल डॉ चौधरी की बातों से और खुली। डॉ चौधरी ने फोन पर कहा कि माँ के इंजेक्शन लग रहे हैं। ऑक्सीजन लेवल 96-97 है और 8 लीटर ऑक्सीजन पर है। उन्होंने इसका मैसेज भी किया। मुझसे फोन पर डॉ चौधरी बोले कि दो प्लाज्मा की व्यवस्था कर लो तुरंत। इसके बाद मैं आईसीयू में पहुँचा, तो डॉक्टर्स से पूछा कि प्लाज्मा की जरुरत है, तो जवाब मिला कि नहीं, किसने कह दिया? अभी जरुरत नहीं। फिर मैंने पूछा कि मम्मी कितनी ऑक्सीजन पर है, तो बताया गया कि 15 लीटर पर है। इसके बाद मैंने खुद ऑक्सीजन लेवल देखा, तो पाया कि सेचुरेशन 88-90 चल रहा है। डॉ चौधरी की तीनों बातें गलत पाई। यानी डॉ चौधरी गैर-जिम्मेदार तरीके से हवा में बातें कर गए। वो भी तब, जबकि कलेक्टर सहित अन्य अफसरों के फोन उन्हें गए थे। सोचिये, आम मरीजों के साथ क्या करते होंगे। अस्पताल के इस झूठ और अमानवीयता को मैं इसलिए जान पा रहा था कि कोविड पॉजीटिव होने के कारण माँ की हालत देखने मैं स्वयं हर दिन खुद आईसीयू में सुबह-शाम जा रहा था और लगभग एक घंटा रुकता ही था। सोचिए, उन परिजनों के बारे में जिनके कोरोना मरीज अंदर है और वे अंदर नहीं जा सकते। यानी वो तो जान ही नहीं सकते कि उनके मरीज के साथ अंदर क्या अनर्थ हो रहा है?


6. ऑक्सीजन का पानी ख़त्म, डॉक्टर-नर्स लापरवाह : जिस दिन मम्मी क्रिटिकल हुई, उसी दिन 13 अप्रैल की बात है। दोपहर में मम्मी के पास आईसीयू में था। करीब एक घंटे बाद मम्मी अचानक हाथ मारने लगी, इशारे से घबराहट का संकेत दिया, तो मैंने नर्स-डॉक्टर को आवाज लगाई। दोनों ने हाँ करके फिर अनसुना कर दिया। मैंने देखा तो मम्मी के टाइट आक्सीजन मास्क में बबल आने लगे थे। फिर नर्स-डॉक्टर को

बुलाया तो नहीं आए। तीसरी बार नाराजगी में बुलाया तो आए। मैंने कहा कि मम्मी को घबराहट हो रही है, देखिये क्या हुआ। दोनों ने कहां- कुछ नहीं, सब ठीक है। मैंने कहा कि मास्क में बुलबुले आ रहे है, तो जवाब मिला कि कोई बात नहीं कभी-कभी होता है, अभी चले जाएंगे। मैंने नाराज होकर कहा कि अभी एक घंटे से नहीं थे, अभी आने लगे। मम्मी छटपटा रही है, देखिए कहीं ऑक्सीजन तो खत्म नहीं हो गई ? इस पर नर्स और डॉक्टर साहब बोले- कैसी बात करते हो, आक्सीजन खत्म नहीं हुई है। इस पर मैंने कहा कि फिर बबल क्यों आ रहे हैं, तब जाकर नर्स को समझ में आया कि ऑक्सीजन पाइप के एक हिस्से में लगने वाला पानी खत्म हो गया है। वह दौड़ी और झट बॉटल लाकर पानी भरा। इस पर मैं अवाक रह गया! मैंने नाराज होकर कहा कि यह क्या बात हुई? यदि अभी मैं नहीं आता या 10 मिनट और ऐसा ही रहता, तो क्या हो जाता? यह सुनकर डॉक्टर मुझ पर नाराज हो गए। जहां तक मुझे याद है, वे डॉक्टर नियाज थे। वे मुझ पर बरस पड़े, बोले कि आप यहां कैसे हो? किसने आपको आईसीयू में आने की परमिशन दी? मैंने कहा कि वह अलग बात है, अभी आप यह देखिए कि यदि इस मशीन में पानी नहीं भरा जाता, तो क्या होता? इस पर डॉक्टर ने नाराज होकर कहा कि आप डॉक्टर हो या मैं हूं। मैंने कहा ऐसी बात नहीं है, लेकिन लापरवाही क्यों ? डॉक्टर ने नाराज होकर कहा कि हमें तय करना है कि क्या इलाज हो रहा है, आप यहां आए किसलिए? डॉक्टर को ज्यादा नाराज होता देख मैंने चुप रहना ही ठीक समझा। माँ क्रिटीकल थी, ऐसे में मैं कोई विवाद नहीं चाहता था, इसलिए बाहर आ गया। डॉक्टर नाराज होते रहे, मैंने चीजों को टालना चाहा, इस पर डॉक्टर ने फिर कहा कि आप यहां खड़े हो, क्या इसलिए कि हमारी चूक निकाल सको। मैंने समझाना चाहा, लेकिन वे नहीं समझे। फिर मैंने विवाद टालने के लिए बाहर आना उचित समझा। लेकिन, काश उस समय इन नर्स और डॉक्टरों की लापरवाही को भांप कर गंभीरता से लेता, तो मम्मी ना जाती।


7. ऐसी अमानवीयता कि यकीन नहीं हो : जेके अस्पताल में ऐसी अमानवीयता भी हुई कि कभी-कभी यकीन नहीं होता। हम घर पर पौष्टिक भोजन खाकर भी कमजोरी महसूस कर रहे हैं, लेकिन वहां मम्मी को शायद तीन दिन भूखा रखकर मार दिया गया। यह आशंका इसलिए कि अस्पताल की कालाबाजारी ने लिक्विड डाइट में भी पैसा देखा। बात 14 अप्रैल की है। दोपहर में जब मम्मी के पास था, तो डॉक्टर से मम्मी की हालत को लेकर बात कर रहा था। फाइल देखते-देखते डॉक्टर के मुंह से निकला कि अरे इनकी लिक्विड डाइट लिखी है, लेकिन आई नहीं। फिर डॉक्टर को लगा कि मेरे सामने यह नहीं बोलना चाहिए था, इसलिए तुरंत फाइल बंद की और मुझसे कहा कि आप लिक्विड डाइट (तरल भोजनके रूप में दवा) अरेंज करो। मैंने कहा ठीक है, लाता हूं। इस पर एक डॉक्टर ब्रजमोहन शर्मा ने कहा कि यही तुरंत अरेंज करा दें क्या? मैंने कहा कि बिल्कुल तुरंत अरेंज करा दीजिए। इस पर डॉक्टर ने किसी को फोन किया और लिक्विड डाइट का पैकेट बुलवा दिया। डॉक्टर शर्मा का मोबाइल नंबर भी मैंने ले लिया। फिर मैंने डाइट के  3500 रूपये दिए और डॉक्टर को वह डाइट मम्मी को लगाने के लिए कहा। अब डॉक्टर डाइट लगाने को तैयार नहीं। करीब 1 घंटे तक वह मुझे इधर-उधर करते रहे। उस समय यह समझ नहीं पड़ी कि इस लिक्विड डाइट को भी बिना लगाए वापस भेजा जा सकता है, लेकिन  अब आशंका है कि शायद वह लिक्विड डाइट भी मम्मी को नहीं दी गई हो। दूसरे दिन 15 अप्रैल को फिर मैंने डॉक्टरों से पूछा कि कोई लिक्विड डाइट मम्मी को दी गई है क्या? डॉक्टर ने कहा कि आपको ही लाना है। इस पर मैंने पहले डॉक्टर ब्रजमोहन शर्मा को फोन लगाया, पर उस समय फोन अटेंड नहीं हुआ। इस पर अस्पताल की ही मेडिकल शॉप पर गया और ₹4000 की लिक्विड लेकर आया। फिर वही हालात 1 घंटे तक डॉक्टर-नर्स को कहता रहा कि मम्मी को डाइट लगा दें। लेकिन नर्स और डॉक्टर कहते रहे कि बस लगा रहे हैं, चिंता मत करिए। करीब सवा घंटे बाद में आईसीयू से निकलकर आ गया। तब ऐसी समझ नहीं पड़ी, लेकिन शायद अस्पताल में मेरी लाई लिक्विट डाइट मम्मी को नहीं दी गई। ऐसे में 3 दिन की भूखी मम्मी क्या कोरोना से लड़ेगी। मुझे पूरी आशंका है कि अस्पताल में मेरी लाई लिक्विड डाइट भी बेच दी गई। अस्पताल की ओर से पहले से फाइल में लिखी गई लिक्विड डाइट तो बेचीं ही जा चुकी थी। इस तरह एक ही मरीज की दो लिक्विड डाइट उन लोगों ने चंद पैसों के लिए बेच दी। मुझे अभी भी याद है, माँ बोल नहीं पा रही थी। कुछ बेसुध सी थी, लेकिन मुझे देखते ही हाथ के इशारे से पूछा था कि क्या मैंने खाना खा लिया। मम्मी का वो इशारे से पूछना अब मैं जिंदगीभर भूल नहीं सकता। मैंने मम्मी को कहा था कि मैंने खा लिया है और तेरे लिए ये लिक्विड डाइट लाया हूँ। अभी डॉक्टर लगा देंगे, लेकिन मुझे शायद पता नहीं था कि मेरी माँ भोजन की जितनी भूखी थी, शायद उससे कही ज्यादा अस्पताल का अमला पैसों का भूखा था।


8. शिफ्ट न कर सका चिरायु में : 14 अप्रैल  तक अहसास हो गया था कि जेके अस्पताल ठीक नहीं है। 14 अप्रैल को चिरायु अस्पताल के डॉ अजय गोयनका से बात हुई, पर डॉ गोयनका ने माँ को भर्ती करने के लिए हाँ नहीं की। फिर 15 अप्रैल को चिरायु अस्पताल में मम्मी को शिफ्ट करने के प्रयास और तेज किए। इसमें अधिकारियों ने पूरी मदद की और शाम 5.30 बजे तक पता चला कि डॉ गोयनका ने हाँ कर दी है। जेके अस्पताल को डिस्चार्ज फ़ाइल बनाने के लिए कहा गया। इसके बाद मैंने डॉक्टर यशवंत से बात की। उन्हें कहा कि अस्पताल के डॉक्टर की सलाह भी चाहिए कि शिफ्ट किया जा सकता है या नहीं? रास्ते में कोई दिक्कत न हो। डॉ यशवंत ने डॉक्टरों से बात कराने की बात कही। फिर मैं खुद आईसीयू में चला गया। वहाँ डॉक्टर्स से पूछा कि शिफ्ट करने में कोई रिस्क तो नहीं, तो डॉक्टर्स ने कहा कि आक्सीजन सपोर्ट के साथ शिफ्ट कर सकते हैं, कोई दिक्कत नहीं। लेकिन, यह सब करते डिस्चार्ज फ़ाइल तैयार होने में रात की 9 बज गई।  कोरोना पॉजीटिव होने के कारण तब तक मैं काफी थक गया था। दोपहर करीब 1 बजे से रेडमिसिवर इंजेक्शन की जद्दोजहद में था और शाम 5 बजे इंजेक्शन लगवा सका था। थकने के कारण सोचा कि अब कल शिफ्ट करूँगा, क्योंकि चिरायु में एडमिट होने में भी एक घंटे की प्रक्रिया और एक घंटे का रास्ता होने का अनुमान था। इस कारण शिफ्ट करना अगले दिन पर टाला। मैं वही आईसीयू में रात करीब पौने ग्यारह तक मम्मी के पास रहा। फिर लौट आया, लेकिन अगले दिन सुबह माँ बहुत दूर जा चुकी थी।


9. मौत पर भी झूठ : 16 अप्रैल वह मनहूस दिन! सुबह मैं उठा और इस मन से तैयार हुआ कि आज माँ को शिफ्ट करा दूंगा। करीब 10:45 बजे घर से रवाना हो गया। देर इसलिए हुई कि कमजोरी के कारण खुद गाड़ी नहीं चला पा रहा था, इसलिए किसी को गाड़ी चलाने के लिए बुलाया था। दूसरा कि दस बजे अस्पताल में ड्यूटी शिफ्ट चेंज होना बताया था, इसलिए मंशा थी कि इसके बाद ही अस्पताल जाऊ। मैं रास्ते में था। करीब भोज विवि तक पहुँच गया था, तभी डॉक्टर का फोन आया। शायद डॉक्टर नियाज थे। उन्होंने कहा कि मम्मी बहुत क्रिटीकल है। हम उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें उनकी मौत भी हो सकती है। मैंने कहा कि मैं रास्ते में हूँ, आ रहा हूँ। डॉक्टर की बातों से अनहोनी की आशंका होने लगी थी। करीब 15 मिनट में अस्पताल पहुँच गया। फिर आईसीयू में गया, तो देखा कि मम्मी बिना ऑक्सीजन मास्क के लेटी है। मुझे समझ नहीं पड़ी। डॉक्टर से पूछा तो कहा कि मम्मी नहीं रही। डॉक्टर बोले- हमने कोशिश की, लेकिन नहीं बचा सके। मैंने पूछा ये कैसे हुआ, तो जवाब मिला कि हृदय की गति और ऑक्सीजन लेवल कम होता गया। कुछ मिनट समझ नहीं पड़ी, फिर देखा तो पाया कि आईसीयू में मरीजों को दौड़-दौड़ कर ऑक्सीजन सिलेंडर लगाएं जा रहे हैं। ऐसा इसलिए कि शायद ऑक्सीजन ख़त्म हो गई थी या फ्लो बहुत ज्यादा कम था। मैंने पूछा कि क्या ऑक्सीजन ख़त्म हो गई, डॉक्टर बोले नहीं ऐसा नहीं है। जबकि, मेरी आँखें देख रही थी कि बाहर से सिलेंडर लाकर मरीजों को लगाएं जा रहे हैं। मैंने महसूस किया कि शायद ऑक्सीजन ख़त्म होने से मम्मी पहले ही चली गई थी और ये लापरवाह डॉक्टर-नर्स देख ही नहीं पाए। मम्मी के जाने के बाद ही उन्हें ऑक्सीजन ख़त्म होने की समझ पड़ी। लेकिन, अपनी गलती कौन मानता है? इसलिए डॉक्टर पूरी बेहयाई से बोलते रहे कि हमने तुम्हारी मम्मी को बचाने की कोशिश की।


10. मुझसे ही बोले कि इंजेक्शन के बिल लाओ : रेमडिसेवर इंजेक्शन की कालाबाजारी और ऐसे अपराधियो को प्रबंधन के प्रश्रय का नजारा भी दिखा। 15 अप्रैल को जब मैंने ब्लैक मार्केट से इंजेक्शन लाकर लगवा दिया, तो पता चला कि इंजेक्शन की एक खेप अस्पताल भी आई है। इस पर मैं इंजेक्शन देने वाले अस्पताल प्रबंधन के संजय गुप्ता के पास पहुंचा। यह संजय गुप्ता जरूर सेकंड ओनर धर्मेंद्र गुप्ता के कोई रिश्तेदार होंगे, क्योंकि इनके तेवर-बेहयाई इन पर प्रबंधन के हाथ का साफ इशारा करती थी। वहां एक पर्ची बना कर दी गई। इस पर्ची को मेडिकल शॉप पर देकर एक इंजेक्शन लेने के लिए कहा गया। इसके ₹5000 भी ले लिए गए। इसके बाद मैं अस्पताल की मेडिकल शॉप पर पहुंचा, तो कहा गया कि अभी 1 से 2 घंटे और लगेंगे, फिर इंजेक्शन मिल सकेंगे। इस पर मैं वह पर्ची लेकर वापस आईसीयू में मम्मी के पास आ गया। थोड़ी देर बाद परिसर में ही घूम कर आया। फिर करीब ढाई घंटे बाद मैं मेडिकल शॉप पर पहुंचा, तो बताया गया कि इंजेक्शन खत्म, अब कल मिलेंगे। उन्हें पर्ची दिखाई, तो कहा कि कल आना। अगले दिन 16 अप्रैल थी। सुबह 11.30 बजे मम्मी चली गई। दिनभर अस्पताल में रहा, तो शाम 4 बजे मेरे साथी को कहा कि ये पर्ची लेकर जाओ। मेडिकल या संजय गुप्ता से इंजेक्शन या पैसे वापस ले आओ। दोनों ने मेरे साथी को ये कहकर लौटा दिया कि इंजेक्शन तो मेरी मम्मी के पास भेजकर लगवा दिया है। फिर मैं पहले मेडिकल शाप और फिर संजय गुप्ता के पास गया। गुप्ता ने कहा कि मेडिकल से नर्स के जरिये मम्मी के पास इंजेक्शन भेजा है। मैंने कहा कि पर्ची मेरे पास है, फिर कैसे इंजेक्शन दिया? और इंजेक्शन तो मैंने ब्लैक मार्केट से लाकर लगवाया है। इस पर गुप्ता ने कहा कि लाओ बिल दिखाओ। मैंने कहा कि छोड़िए, आप तो मना कर दो की नहीं दोगे। इस पर गुप्ता ने कहा कि प्रबंधन के कहने पर इंजेक्शन दिए, अब प्रबंधन कहेगा, तो पैसे वापस दे देंगे। मैंने कहा कि ठीक है, बात ख़त्म। मैं वापस आकर अस्पताल द्वारा माँ की पार्थिव देह मिलने का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद संजय गुप्ता का फोन आया, फिर चिड़चिड़ाते मुझे बुलाया और इंजेक्शन के 5000 रूपये लौटा दिए। 


11. ऑक्सीजन उपलब्धता का खेल भी जान लीजिए : सरकार के रिकार्ड में अब तक भोपाल में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई। जेके अस्पताल की बात की जाए, तो कई दिनों तक आईसीयू में आने-जाने और कई लोगों से बात करने के कारण पता चला कि जेके अस्पताल में एक ऑक्सीजन टैंक है। इस आक्सीज टैंक से पाइप लाइन के जरिए पूरे अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई होती है। सबसे पहले ग्राउंड फ्लोर पर आईसीयू में पहुंचती है, फिर फर्स्ट फ्लोर, फिर सेकंड फ्लोर, थर्ड फ्लोर और अंत में फोर्थ फ्लोर तक जाती है। मेरी मम्मी शुरुआत में फोर्थ फ्लोर पर भर्ती थी। ऑक्सीजन की कमी और फ्लो कम होने के कारण फोर्थ फ्लोर तक ऑक्सीजन नहीं पहुँची या कम पहुची, इसी कारण मम्मी क्रिटिकल हुई। उस समय डिमांड के हिसाब से जितनी बार टैंक पर आपूर्ति होनी चाहिए, उससे आधी हो रही थी। इसलिए जैसे ही टैंक में 50 फ़ीसदी ऑक्सीजन रहती, वैसे ही रात के समय ऑक्सीजन प्रबंधन का स्टाफ ऑक्सीजन के फ्लो को कम कर देता। इसका अंजाम जो हो, पर अस्पताल पूरे गर्व से कहता कि अभी तो हमारे पास अगले 12 या 14 घंटे की ऑक्सीजन है। यहाँ के एक डॉक्टर ने बताया कि जेके में रात में ऑक्सीजन बेहद कम होने पर चिरायु अस्पताल तक टैंकर मांगने गए थे, पर मिले नहीं। संभवतः इसी कमी का शिकार मेरी मम्मी और अस्पताल में भर्ती कुछ मरीज हुए। जिस दिन मेरी मम्मी की मौत हुई, उसी दिन जेके अस्पताल में 5 मौतें हुई थी। मालूम नहीं, अस्पताल ने उनके मरने की वजह अपने रिकार्ड में क्या दर्ज की!

दमोह जिले की राजस्व सीमा में 31 मई के प्रात: 6 बजे तक “कोरोना कर्फ्यु” बढ़ाया, चुनाव के बाद बढ़ रहा धड़ाधड़ “कोरोना कर्फ्यु”

 

दमोह जिले की राजस्व सीमा में 31 मई  के प्रात: 6 बजे तक “कोरोना कर्फ्यु” बढ़ाया, चुनाव के बाद बढ़ रहा धड़ाधड़ “कोरोना कर्फ्यु” 


ANI NEWS INDIA

पूर्व में जारी आदेशों में आंशिक संशोधन

दमोह । राज्य शासन द्वारा जारी निर्देशानुसार दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये  पूर्व में जारी आदेशों में आंशिक संशोधन किया है।

जारी आदेशानुसार दमोह जिले की राजस्व सीमा में 31 मई 2021 के प्रात: 6 बजे तक “कोरोना कर्फ्यु” प्रभावी रहेगा।  यह आदेश तत्काल रूप से प्रभावशील होगा तथा पूर्व में जारी आदेशों से लगाये प्रतिबंध यथावत रहेंगे।

इस बार कोरोना ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैल रहा : अर्जुन मुंडा

 

इस बार कोरोना ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैल रहा : अर्जुन मुंडा


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खूंटी लोकसभा अंतर्गत पंचायत स्तर पर वैश्विक महामारी कोरोना से बचने के लिए ग्रामीणों के बीच मेडिकल किट उपलब्ध कराएंगे। आज इस संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तमाड़ विधानसभा के पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक हुई।

अर्जुन मुंडा ने कहा कि इस बार कोरोना ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैल रहा है। लोग इसे सामान्य सर्दी, खांसी, बुखार समझकर अनदेखी कर रहे हैं। लेकिन, यह कोरोना के लक्षण हैं। अगर शुरू में ही इसका इलाज शुरू कर दिया जाय तो जल्द ठीक होने की संभावना रहती है।

लेकिन, नजरअंदाज करने पर जानलेवा साबित हो रहा है। मैंने कार्यकर्ताओं से हर जरूरतमंद घर में मेडिकल किट पहुंचाने का आग्रह किया। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित है। हमें इस समय सजग रहकर खुद,अपने परिवार और अपने गांव को इस महामारी से बचाना होगा।

मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि मेडिकल किट वितरण के लिए बुंडू, तमाड़ और अड़की के मंडल अध्यक्षों, सांसद प्रतिनिधि और युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने समर्पण के साथ काम करने की इच्छा जताई है।

शुक्रवार, 14 मई 2021

गैर अधिमान्य पत्रकारों और उनके परिवारों के सदस्यों का कोरोना इलाज शासकीय अस्पताल एवं अनुबंधित निजी अस्पताल में मुफ़्त होगा

 

 


गैर अधिमान्य पत्रकारों और उनके परिवारों के सदस्यों का कोरोना इलाज शासकीय अस्पताल एवं अनुबंधित निजी अस्पताल में मुफ़्त होगा 


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मीडिया के साथियों के परिवार के कोरोना इलाज की चिंता भी सरकार करेगी

भोपाल । मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज हम ये फैसला कर रहे हैं कि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल मीडिया, संपादकीय विभाग के अधिमान्य और गैर अधिमान्य पत्रकार साथियों और उनके परिवारों के सदस्यों के #COVID19 से पीड़ित होने पर उनका पूरा इलाज करवाया जाएगा ताकि वो अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें।

कोरोना संक्रमण के इस विकट संकट में हमारे पत्रकार साथी दिन रात अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ कर रहे हैं। जनमानस तक जानकारी पहुंचाते हुए कई मीडिया कर्मी संक्रमित हुए और कुछ इस बीमारी से हार गए। कोरोना संक्रमित होने वाले पत्रकार साथियों को सही इलाज मिले यह जरूरी है।

श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में अधिमान्य और गैर अधिमान्य पत्रकार साथियों को पहले से ही पत्रकार बीमा योजना अंतर्गत इलाज की व्यवस्था है। पत्रकार कल्याण योजना में भी सहायता दी जा रही है। शासकीय अस्पताल , अनुबंधित निजी अस्पताल में सभी के लिए मुफ़्त इलाज की सुविधा है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से आॅल इण्डिया स्माॅल न्यूज़पेपर्स एसोसिएशन ( आइसना ) ने की थी मांग

आॅल इण्डिया स्माॅल न्यूज़पेपर्स एसोसिएशन आइसना भारत का एकमात्र 40 वर्षीय विशाल संगठन है, अधिकांश प्रदेशों व उनके अधिकांश तहसीलोन मे समितियां कार्यरत हैं, जिसे वेबसाइट पर देखा जा सकता है।

कोविड संक्रमण के चलते पिछले कुछ दिनों मे ही अन्य प्रदेशों के साथ-साथ मध्यप्रदेश मे भी काफी पत्रकारों को लोगों के बीच अपने पत्रकारिता के कर्तव्य का निर्वहन करते हुये कोविड संक्रमण से जीवन खोना पड़ा।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से आॅल इण्डिया स्माॅल न्यूज़पेपर्स एसोसिएशन ( आइसना ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शिव शंकर त्रिपाठी जी ने गैरअधिमान पत्रकारों के लिए ही विभिन्न मांगे रखी थी

महोदय, इस कोरोना काल मे पत्रकारों की भूमिका भी कोराना वाॅरियर्स से कम नही है इसलिए आइसना परिवार पत्रकारों को कोरोना वाॅरियर्स का दर्ज़ा दिलाने की मांग के साथ-साथ मध्य प्रदेश के गैर अधिमान पत्रकारों को भी अधिमान पत्रकारों की तरह कोरोना वाॅरियर्स का दर्जा देने की मांग की थी साथ ही यह भी अनुरोध है कि संक्रमित पत्रकारों व उनके परिवारिजनों के लिए प्रत्येक कोविड अस्पताल मे 10 बेड आरक्षित कराने की कृपा करें ताकि संक्रमित पत्रकारों का इलाज कोविड अस्पतालों मे बिना किसी कठिनाई के साथ उनके जीवन की रक्षा हो सके, मै आभारी होऊँगा की कृतकार्यवाही से मुझे भी अवगत कराने की कृपा करें।

आज मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्णय लिया है कि मीडिया के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल के सभी सदस्य अधिमान्य और गैर अधिमान्य साथियों उनके परिवारों के सदस्यों का कोरोना के इलाज की चिंता सरकार करेगी इस योजना में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व डिजिटल के संपादकीय विभाग में कार्य कर रहे सभी पत्रकार, डेस्क में पदस्थ पत्रकार साथी, कैमरामैन, फोटोग्राफर सभी को कव्हर किया जाएगा ।

ऑल इण्डिया स्माॅल न्यूज़पेपर्स एसोसिएशन ( आइसना ) के प्रदेश अध्यक्ष विनय जी डेविड ने 
गैर अधिमान्य साथियों उनके परिवारों के सदस्यों का कोरोना के इलाज का निर्णय लेने का स्वागत किया है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का इस निर्णय पर आभार व्यक्त किया है

बुधवार, 12 मई 2021

नकली दवा और इंजेक्शन का कारोबार करने वाले इंसानियत के दुश्मनों को होगी उम्र कैद, अस्पतालों के लाइसेंस भी निरस्त होंगे : डॉ. नरोत्तम मिश्रा

  

नकली दवा और इंजेक्शन का कारोबार करने वाले इंसानियत के दुश्मनों को होगी उम्र कैद, अस्पतालों के लाइसेंस भी निरस्त होंगे :  डॉ. नरोत्तम मिश्रा

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नकली दवा और इंजेक्शन बेचने वालों को होगी उम्र कैद : डॉ.मिश्रा

भोपाल। गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा हैं कि सरकार विचार कर रही कि प्रदेश में नकली दवाईयों का गोरखधंधा करने वालों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान किया जाए।

डॉ.मिश्रा ने बताया कि नकली दवा-इंजेक्शन का कारोबार करने वाले इंसानियत के दुश्मनों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही के लिए कानून में संशोधन के लिए विधि विभाग से परामर्श लिया जा रहा है।

डॉ.मिश्रा ने  कहा कि सरकार पूरी सख्ती के साथ नकली दवा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। अभी नकली दवा बेचने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है, लेकिन जल्द इसे खाद्य अपमिश्रण अधिनियम के अंतर्गत भी लाया जाएगा।

खाद्य अपमिश्रण अधिनियम में इस तरह का कृत्य करने वालों के खिलाफ आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि इसके लिए विधि विभाग को मसौदा भेजा जा रहा है। विभाग से अंतिम रूप दिए जाने के बाद इसे कानून में शामिल कर लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान  स्वयं ऐसे लोगों के विरुद्ध कठोरतम कारवाही के संकेत दे चुके हैं। 
डॉ. मिश्रा ने कहा है कि ऐसे लोगों के खिलाफ न केवल सख्त कार्रवाई की जाएगी बल्कि इनकी संपत्ति को भी जब्त कर नेस्तनाबूद किया जाएगा।

गृह मंत्री ने स्पष्ट किया है कि नकली दवा बेचना जघन्य अपराध है और जो लोग ऐसा करते हैं, उन लोगों के खिलाफ सरकार सख्त से सख्त कार्रवाई करने जा रही है।

उन्होंने बताया कि अब तक एक दर्जन से ज्यादा लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की गई है और अस्पतालों के लाइसेंस भी निरस्त किए गए हैं।

नकली रेमडेसीविर इंजेक्शन पर शुरू हुई आरोपी के मकान तोड़ने की प्रक्रिया, गुजरात पुलिस जबलपुर पहुंची

 


नकली रेमडेसीविर इंजेक्शन पर शुरू हुई आरोपी के मकान तोड़ने की प्रक्रिया, गुजरात पुलिस जबलपुर पहुंची


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इंदौर : नकली रेमडेसीविर के मामले में पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ इंदौर नगर पालिका निगम ने कार्रवाई शुरू कर दी है। निगम ने एक आरोपी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

पिछले दिनों दिनेश चौधरी रेमडेसीविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पकड़ा गया था। दिनेश चौधरी का लसूड़िया थाना क्षेत्र स्थित अनुराग नगर में मकान नंबर 116 126 को अवैध अतिक्रमण करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। नगर निगम जल्द ही मकान तोड़ने की कार्रवाई करेगा।

ध्यान देने वाली बात है कि मध्य प्रदेश के इंदौर और जबलपुर में नकली रेमडेसीविर बेचने वाले रैकेट का भंडफोड़ हुआ है। इस रैकेट के तार गुजरात से जुड़े हैं जहां नकली रेमडेसीविर की फैक्ट्री ऑपरेट हो रही थी।

इस मामले में गुजरात पुलिस जबलपुर पहुंच चुकी है। मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं। फिलहाल पुलिस ये जानने की कोशिश कर रही है कि नकली रेमडेसीविर किस-किस को लगी है और बाजार में अभी कहां-कहां है।

मंगलवार, 11 मई 2021

सिटी हॉस्पिटल चीफ और VHP नेता मोखा नकली रेमडेसिविर बेचने के आरोप में गिरफ्तार, हॉस्पिटल में COVID-19 रोगियों का लगाया, कई मौत

 

 

सिटी हॉस्पिटल चीफ और VHP नेता मोखा नकली रेमडेसिविर बेचने के आरोप में गिरफ्तार, हॉस्पिटल में COVID-19 रोगियों का लगाया, कई मौत


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जबलपुर अस्पताल चीफ और VHP नेता को नकली रेमडेसिविर बेचने के लिए पुलिस ने किया गिरफ्ता
जबलपुर के विश्व हिंदू परिषद के चीफ और जबलपुर अस्पताल के मालिक सरबजीत सिंह मोखा पर COVID-19 के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा, नकली रेमडेसिविर बेचने का आरोप है।

इस आरोप में उनके साथ खरीद और प्रशासन के लिए गिरफ्तार किए गए चार लोगों में शामिल हैं। आरोपी, सरबजीत सिंह मोखा, नर्मदा मंडल का विश्व हिंदू परिषद (VHP) अध्यक्ष भी है। इस मामले में सरबजीत समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है।

https://youtu.be/acXprjPGe4s

मामले में अन्य आरोपी देवेंद्र चौरसिया मोखा और दूसरा, सपन जैन शामिल हैं, ये दोनों मोखा के साथ ही काम करते थे। ये दवा कंपनियों के साथ डीलरशिप संभालते थे। यह घटना तब सामने आई जब गुजरात पुलिस की एक टीम ने एक नकली रेमेडीसविर बनाने वाली कंपनी का भांडा फोड किया और जैन को 7 मई को जबलपुर से गिरफ्तार किया।

जबलपुर के सिटी हॉस्पिटल के निदेशक मोखा पर इंदौर से 500 रेमेडिसविर इंजेक्शन मंगाए है, जिसे अस्पताल ने कई COVID-19 रोगियों को दिया गया। उसके खिलाफ अब भारतीय दंड संहिता की धारा 274, 275, 308 और 420 के तहत दर्ज मामला किया गया है।

एफआईआर के अनुसार, भगवती फार्मा के निदेशक सपन जैन को गुजरात पुलिस ने 7 मई को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। भगवती फार्मा और सत्यम मेडिकोस - दोनों की स्टोरेज इकाइयों को नकली रेमेडिसविर इंजेक्शन के भंडारण के संदेह पर सील कर दिया गया था।

वीएचपी प्रांतीय मंत्री, राजेश तिवारी ने कहा है कि मोखा के आरोप सामने आ गए हैं और पुलिस को ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।

32 साल पुराने केस में हुई पप्पू यादव की गिरफ्तारी, पटना से मधेपुरा भेजने की तैयारी, जाने आखिर मामला क्या है

 

 


32 साल पुराने केस में हुई पप्पू यादव की गिरफ्तारी, पटना से मधेपुरा भेजने की तैयारी, जाने आखिर मामला क्या है


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पटना। जन अधिकार पार्टी अध्यक्ष पप्पू यादव की गिरफ्तारी मधेपुरा के एक मामले में की गई है। पटना से मधेपुरा ले जाने के लिए पुलिस भी आ चुकी है। वहीं, पप्पू यादव की पत्नी पूर्व सांसद रंजीत रंजन ने गिरफ्तारी को साजिश बताया है। साथ ही पप्पू यादव ने भी खतरे की आशंका जताई है।

जन अधिकार पार्टी सुप्रीमो और पूर्व सांसद पप्पू यादव की गिरफ्तारी 32 साल पुराने मामले में हुई है। पटना में पप्पू यादव की गिरफ्तारी के बाद अब उनको मधेपुरा भेजने की तैयारी चल रही है। मंगलवार सुबह में पटना स्थित आवास से पप्पू यादव की गिरफ्तारी हुई तो लॉकडाउन के उल्लंघन समेत अन्य मामलों में अरेस्टिंग के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन शाम होते-होते मामला मधेपुरा से जुड़े एक केस का निकला।

मधेपुरा के पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को पटना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मधेपुरा जिले के कुमारखंड थाने में दर्ज एक केस में पप्पू की गिरफ्तारी हुई है। जन अधिकार पार्टी के वकील शिवनंदन भारती ने कहा कि वो इसके खिलाफ पटना हाईकोर्ट जाएंगे। पप्पू यादव के खिलाफ मधेपुरा के कुमारखंड थाना कांड संख्या 9/89 दर्ज था, जिसको लेकर कोर्ट ने वारंट जारी किया है। ये समन 22 मार्च 2021 को न्यायालय ने जारी किया था। इसी मामले में पप्पू यादव की गिरफ्ताारी हुई है।

सोमवार, 10 मई 2021

जबलपुर में सर्वसुविधायुक्त कोविड केयर सेंटर तैयार मुख्यमंत्री ने 500 बिस्तर के नवनिर्मित सेंटर का किया निरीक्षण

 

 


जबलपुर में सर्वसुविधायुक्त कोविड केयर सेंटर तैयार मुख्यमंत्री ने 500 बिस्तर के नवनिर्मित सेंटर का किया निरीक्षण


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जबलपुर । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज सोमवार को यहां जबलपुर शहर के माढ़ोताल क्षेत्र में हाल ही में राज्य शासन और जनसहयोग से निर्मित 500 बिस्तरों की क्षमता वाले अस्थाई कोविड केयर सेंटर का निरीक्षण किया।

वीरांगना रानी दुर्गावती के नाम पर नवनिर्मित इस अस्थाई कोविड केयर सेंटर को जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और समाज के सहयोग से तैयार किया गया है। इस कोविड केयर सेंटर में एसिम्टोमेटिक और माइल्ड लक्षणों वाले कोरोना मरीजों का नि:शुल्क उपचार और देखभाल की जायेगी।

मुख्यमंत्री के कोविड केयर सेंटर के निरीक्षण के दौरान प्रदेश के सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया, सांसद राकेश सिंह सहित विधायकगण श्रीमती नंदिनी मरावी, अशोक रोहाणी और सुशील तिवारी इंदू मौजूद रहे।

जनसहयोग का उत्तम उदाहरण

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में संक्रमित लोगों के इलाज के लिए सरकार, जबलपुर की जनता और समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से बना यह कोविड केयर सेंटर सामाजिक सहभागिता का उत्तम उदाहरण है। 
मुख्यमंत्री ने सर्वसुविधायुक्त कोविड केयर सेंटर तैयार करने में भागीरथी प्रयास के लिए सांसद सहित विधायकों, जिला प्रशासन के अधिकारियों, चिकित्सकों, समाजसेवियों और जबलपुर की जनता को हृदय से बधाई देते हुए कहा कि यहां मरीजों को अच्छा और बेहतर उपचार मिल सकेगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि यहां शासकीय व निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टॉफ बारी-बारी से मरीजों का उपचार करेंगे। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में अलग-अलग स्थानों में ऐसे कोविड केयर सेंटर बनाये जा रहे हैं।

सर्वसुविधायुक्त है सेंटर

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सर्वसुविधायुक्त चिकित्सा व्यवस्था से युक्त एयरकूल्ड कोविड केयर सेंटर के लिए जिला प्रशासन के प्रयासों की सराहना की। इस दौरान मुख्यमंत्री को कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने बताया कि प्रारंभिक लक्षणों वाले जिन कोरोना संक्रमितों के घर में आइसोलेशन की व्यवस्था नहीं है, वे मरीज यहां भर्ती हो सकेंगे। कलेक्टर ने यहां ऑक्सीजन सपोर्टेड बिस्तरों और ऑक्सीजन कसंट्रेटर की उपलब्धता की जानकारी दी। कलेक्टर ने बताया कि यहां पैथालॉजी और एक्स-रे सहित भोजन व उपचार की नि:शुल्क व्यवस्था रहेगी। 
इस दौरान संभागायुक्त बी. चंद्रशेखर, पुलिस महानिरीक्षक बीएस चौहान, कलेक्टर कर्मवीर शर्मा, पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा, नगर निगम आयुक्त संदीप जीआर, डॉ. जितेन्द्र जामदार और एसडीएम नम: शिवाय अरजरिया सहित सीएमएचओ डॉ. रत्नेश कुररिया उपस्थित थे।

सभी अस्पतालों की फायर और लिफ्ट सेफ्टी आडिट 7 दिन में करायें अधिकारियों को निर्देश 

  


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भोपाल । नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा है कि कोविड-19 के वर्तमान संक्रमण के परिप्रेक्ष्य में शासकीय एवं निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसके कारण बिजली खपत का लोड भी बढ़ा होगा।

वर्तमान परिस्थिति में अग्नि और लिफ्ट सुरक्षा का महत्व और बढ़ जाता है। इस दृष्टि से म.प्र. भूमि विकास नियम, 2012 के नियम-87 (5) के परिप्रेक्ष्य में सभी शासकीय व निजी अस्पतालों की फायर ऑडिट और लिफ्ट सेफ्टी ऑडिट 7 दिन में करवाकर रिपोर्ट भेजें। उन्होंने कहा है कि फायर और लिफ्ट सेफ्टी ऑडिट में जो भी कमियाँ पाई जाए, उसके बारे में संबंधित अस्पताल संचालक को लिखित में पूर्ति के लिये भी सूचित करें। इस संबंध में जरूरी निर्देश पूर्व में जारी किये जा चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि 'अस्पताल एवं नर्सिंग होम्स' नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 के भाग-04 अनुसार ' इन्स्टीटयूशनल बिल्डिंग्स' की श्रेणी अंतर्गत आते हैं, और इन अस्पताल एवं नर्सिंग होम्स में फायर सेफ्टी मेजर्स के प्रावधान यथा टाईप, हाईट और एरिया नियमानुसार प्रावधानित किये जाते हैं। उदाहरणस्वरूप 15 मीटर से कम हाईट एवं 1000 वर्ग मीटर से कम क्षेत्रफल वाले अस्पताल एवं नर्सिंगहोम के लिए फायर एक्सटींग्यूशर एवं 5000 लीटर पानी की क्षमता का टेरेस टैंक स्थापित किया जाना आवश्यक है। इसी प्रकार अन्य श्रेणी हेतु भी स्पष्ट प्रावधान किये गये हैं।

सक्षम प्राधिकारियों द्वारा फायर इंजीनियर और इंजीनियर निर्माता कम्पनी का रजिस्ट्रेशन कराया जाना है। यदि किसी निकाय में फायर इंजीनियर / लिफ्ट इंजीनियर का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका है तो संबंधित नगरीय निकाय में पदस्थ योग्यताधारी सक्षम फायर अधिकारी अथवा ई-नगर पालिका पोर्टल www.mpenagarpalika.gov.in पर दर्ज 17 फायर कंसल्टेन्टों की सूची में से किसी भी फायर इंजीनियर से फायर ऑडिट का कार्य कराने के साथ-साथ निकाय के इलेक्ट्रीकल इंजीनियर व संबंधित क्षेत्र के भवन अधिकारी का भी दल गठित कर नियम-83(7) के परिप्रेक्ष्य में लिफ्ट ऑडिट का कार्य 7 दिन के अन्दर कराया जाए। अर्थात दिनांक 17 मई 2021 तक ऑडिट पूर्ण कर पालन प्रतिवेदन ई-मेल आई.डी. ranbir@mpurban.gov.in पर अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित करें।

संभागीय संयुक्त संचालक अपने संभाग के निकायों में इन निर्देशों के पालन की सतत मॉनिटरींग कर पूर्ति सुनिश्चित करें और निर्धारित प्रपत्र में संभागवार पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। इस संबंध में किसी प्रकार की तकनीकी सलाह के लिये श्री एल.एस. बघेल परियोजना प्रबंधक (मोबाईल नं. 9425015429) से संपर्क करें। अंकेक्षण में पाई गई कमियों को समय-सीमा में दूर करने की लिखित सूचना अस्पताल संचालको को दी जाए। इसका पालन प्रतिवेदन भी समय-सीमा में लिया जाए।

रविवार, 9 मई 2021

उज्जैन में रेमडेसीविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले आरोपी रासुका में निरुद्ध

 

उज्जैन में रेमडेसीविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले आरोपी रासुका में निरुद्ध


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उज्जैन । कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी आशीष सिंह ने ग्राम उटेसरा भैरू गली थाना भैरवगढ़ उज्जैन निवासी मयूर सोलंकी 24 वर्ष को रेमडेसीवीर इंजेक्शन एवम अन्य दवाइयों  की कालाबाजारी करने के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 की धारा 3(2) के अंतर्गत निरुद्ध करने के आदेश जारी कर दिए है । उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।

उल्लेखनीय है कि मयूर सोलंकी नामक व्यक्ति ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान अवैध रूप से  रेमडेसीवीर इंजेक्शन एवं अन्य दवाइयों की कालाबाजारी की तथा कोरोना मरीजों एवं जनता को अधिक कीमत पर इंजेक्शन एवं दवाई बेचने का कृत्य  किया । उसके इस कृत्य से संक्रमित मरीजो पर नियंत्रण करना संभव नहीं हो पा रहा था।  

उक्त व्यक्ति का महामारी के दौर में स्वतंत्र घूमना आमजन के स्वास्थ्य शांति के लिए घातक होने से कलेक्टर द्वारा संबंधित के विरुद्ध रासुका लगाई गई है.

शनिवार, 8 मई 2021

भारतीय खेल प्राधिकरण ( साई ) ने अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता तीरंदाज मुस्कान किरार और कोच रिचपाल सिंह सलारिया को अनुशासनहीनता के मामले में राष्ट्रीय शिविर से बाहर किया था, अब लगे इसी छात्रा के साथ अवैध संबंध के आरोप

 

एथलीट मुस्कान किरार और कोच रिचपाल सिंह सलारिया 

रोहतक । विश्व चैम्पियनशिप कांस्य पदक विजेता तीरंदाज मुस्कान किरार को शनिवार को भारतीय खेल प्राधिकरण ( साई ) के रोहतक केंद्र में लगे जूनियर राष्ट्रीय शिविर से बाहर कर दिया गया क्योंकि वह अधिकारियों से अनुमति लिये बिना ही शिविर छोड़कर घर चली गयी थीं. इस तीरंदाज ने एशियाई खेलों में रजत पदक भी जीता था, वह 21 से 24 जुलाई 2019 तक शिविर से चार दिन अनुपस्थित थीं.

इसी शिविर के रिचपाल सिंह सलारिया तीरंदाजी कोच को भी छोड़ने के लिये कहा गया क्योंकि वह भी अधिकारियों को जानकारी दिये बिना इन्हीं तारीखों को अनुपस्थित थे. भारतीय खेल प्राधिकरण ने इस घटना के संदर्भ में शिविर में संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद फैसला किया गया कि एथलीट मुस्कान किरार और कोच रिचपाल सिंह सलारिया को अनुशासनात्मक कदम के तहत शिविर से बाहर कर दिया जाये.


भारतीय खेल प्राधिकरण ( साई ) ने अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता तीरंदाज मुस्कान किरार और कोच रिचपाल सिंह सलारिया को अनुशासनहीनता के मामले में राष्ट्रीय शिविर से बाहर किया था, अब लगे इसी छात्रा के साथ अवैध संबंध के आरोप

साइ ने एथलीट मुस्कान किरार और कोच रिचपाल सिंह सलारिया को भेजे गये पत्र में लिखा, ‘‘राष्ट्रीय शिविर में अनुशासन का ध्यान रखना सबसे अहम है और सक्षम अधिकारियों ने इसे गंभीरता से देखा जिससे अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत आपका नाम मौजूदा राष्ट्रीय शिविर से तुरंत प्रभाव से हटाया जाता है.

अब लगे इसी छात्रा के साथ अवैध संबंध के आरोप। जल्द आने वाली की पूरी स्टोरी

देवता समान 65 वर्ष के डॉक्टर पति को दी खतरनाक मौत, हत्या से शहर में मची सनसनी



देवता समान 65 वर्ष के डॉक्टर पति को दी खतरनाक मौत, हत्या से शहर में मची सनसनी


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थाना सिविल लाइन छतरपुर पुलिस ने किया अंधी हत्या का खुलासा

छतरपुर. थाना प्रभारी सिविल लाइन निरी. जगत पाल सिंह ने किया हत्या का खुलासा दिनांक 01/05/2021 को फरियादिया श्रीमति ममता पाठक पति नीरज पाठक उम्र 63 साल नि. लोकनाथपुरम् थाना सिविल लाईन छतरपुर ने थाना पर रिपोर्ट किया कि मेरे पति ड. नीरज पाठक पिता स्व. श्री चिंतामणि पाठक उम्र 65 साल नि. लोकनाथपुरम सागर रोड छतरपुर दिनाँक 29/04/21 को ऊपर वाले कमरे में लेटे थे तभी करीबन रात 09.00 बजे मैं उनसे खाना का पूछने कमरे में गई.

तो पति नीरज पलंग पर लटे थे व मेरी बात का जबाब नहीं दे रहे थे तो मैने पल्स देखी पल्स नहीं चल रही थी । उनकी मृत्यु हो गई थी, तो मैं घबरा गई थी तथा उनको सातआठ दिन से बुखार आ रहा था, व मुझे व मेरे बेटे को भी बुखार आ रहा था। मैं बिना किसी को सूचना दिये दिनाँक 30/04/21 की सुबह करीबन 08.00 बजे अपने बेटे नीतेश के साथ अपनी प्राइवेट गाड़ी से ड्राइवर के साथ जाँच एवं इलाज कराने झाँसी चले गये थे, व रात्रि में करीबन 09.30 बजे वापस आ गये थे। कार्यवाही की जाये।

सूचना पर मर्ग कायम कर जांच प्रारम्भ गी गयी जांच पर हत्या का प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था दौरान विवेचना घटना स्थल से प्राप्त साक्ष्य के आधार पर सक की सुई श्रीमति ममता पाठक पर होने के कारण दिनांक 07/05/2021 को ममता पाठक को हिरासत में लेकर पूंछतांछ की गई कडी पूंछतांछ के बाद श्रीमति ममता पाठक व्दारा अपना जुर्म स्वीकार करते हुये बताया कि दिनांक 29/04/2021 को उसने डा. नीरज पाठक के खाने में नींद की गोलियां मिला दी थी तथा शाम को 7 बजे के लगभग एक्सटेंशन वायर के प्लग को बोर्ड में लगाकर स्विच आन करके तार से डा. नीरज पाठक के पैर में करंट लगा दिया जिससे उनकी मृत्यु हो गयी । उपर से नीचे अपने बेडरूम में आकर बेड के बाजू में बने लकडी के ड्राज में बिजली का वायर छुपा दिया । फिर रात्री 9 बजे यह देखने गयी कि डा. पाठक मरे या नहीं कंफर्म होने पर नीचे आकर अपने बेड पर लेट गयी ।

पुलिस व्दारा किया गया प्रयास :-

घटना को गम्भीरता से लेते हुये श्रीमान अति. पुलिस अधीक्षक महोदय छतरपुर के द्वारा थाना प्रभारी निरीक्षक जगत पाल सिंह को निर्देशित किया गया कि जो घटना को गम्भीरता से लेते हुये घटना स्थल के आसपास के लोगों से सघन पूछताछ की गयी घटनास्थल का बारिकी से निरीक्षण किया गया घटना के सभी पहलुओं को जोडा गया जो डा. पाठक की पत्नी ममता पाठक की भूमिका घटना मे संदिग्ध पायी गयी श्रीमान पुलिस अधी. महोदय एवं सीएसपी महोदय व्दारा समय समय पर मार्गदर्शन दिया गया जिसके परिणाम स्वरूप इस अंधे हत्या कांड की गुत्थी सुलझाने में थाना प्रभारी जगत पाल सिंह एवं ओरछा रोड थाना प्रभारी उनि. माधवी अग्निहोत्री द्वारा अथक प्रयास के फलस्वरूप घटना का खुलासा किया गया।

नाम आरोपी :-

1. श्रीमति ममता पाठक पति नीरज पाठक उम्र 64 साल निवासी लोकनाथ पुरम छतरपुर

मुरैना : अज्ञात लोगों ने रैली निकालकर की ताबड़तोड़ फायरिंग, 1 दर्जन से अधिक राउंड किए फायर, महिला घायल

 

 

मुरैना : अज्ञात लोगों ने रैली निकालकर की ताबड़तोड़ फायरिंग, 1 दर्जन से अधिक राउंड किए फायर, महिला घायल


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कोरोना कर्फ्यू के रहते हुए भी बदमाशों के हौसले बुलंद, नहीं रहा पुलिस प्रशासन का डर बेखौफ हुए अपराधी

शहर के बनखंडी रोड पर 1 दर्जन से अधिक राउंड किए फायर।

मुरैना। फायरिंग में एक महिला गंभीर रूप से घायल,घायल महिला को जिला चिकित्सालय पहुंचाया फायरिंग कर रोड पर खड़ी हुई बस व वाहनों को बनाया निशाना।

पत्थर और फायरिंग कर की वाहनों में तोड़फोड़।
मुरैना मे आज अज्ञात लोगों ने रैली निकालकर कि ताबड़तोड़ फायरिंग। शहर के बनखंडी रोड पर 1 दर्जन से अधिक राउंड किए फायर।

फायरिंग में एक महिला गंभीर रूप से घायल

घायल महिला को जिला चिकित्सालय पहुंचाया फायरिंग कर रोड पर खड़ी हुई बस व वाहनों को बनाया निशाना। आशंका है कि कल विवाद के बदले में हुई घटना।

क्या है मामला ?

इस घटना की शुरुआत दो दिन पहले हो चुकी थी जब सोशल मीडिया पर गुर्जर समाज के लोगों द्वारा क्षत्रिय समाज की महिलाओं के विषय में अश्लील पोस्ट डाले गए थे। थाना कोतवाली पुलिस चाहती, तो तभी मामले को गंभीरता से लेते हुए गुर्जर समाज के कमेंट करने वाले लोगों को पकड़ लेती लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया। केवल आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करके खानापूर्ति कर दी।

दूसरे दिन शुक्रवार को इस घटना से आक्रोशित क्षत्रिय समाज के लोगों ने बदला लेने की नीयत से गुर्जर समाज के एक लड़के को पकड़ कर सरेआम लाठी-डंडों से पीटा। उसकी बाइक को पत्थरों से तोड़कर पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। लगातार तीसरे दिन क्रिया की प्रतिक्रिया की यह घटना घटी है। जिसमें दो दर्जन से अधिक गुर्जर समाज के लोगों ने इस घटना को अंजाम दिया।

प्रशासनिक अधिकारियों में आतंक पैदा करने के लिये दमोह कलेक्टर एवं एसपी को हटाया : कमलनाथ

 

 

प्रशासनिक अधिकारियों में आतंक पैदा करने के लिये दमोह कलेक्टर एवं एसपी को हटाया : कमलनाथ


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भोपाल । कमलनाथ ने आरोप लगाते हुए अपनी एक पोस्ट में कहा दमोह उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी की करारी हार के बाद दमोह के ज़िला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक का तबादला करना हैरान करता है।

शिवराज सरकार के इस कृत्य से एक सवाल उठता है कि क्या बीजेपी को चुनाव जिताने की ज़िम्मेदारी कलेक्टर और एसपी को सौंपी गई थी ?

यदि दमोह ज़िले के कलेक्टर और एसपी ने अपने कर्त्तव्यों के निर्वाहन और अपनी वर्दी का सम्मान करते हुये निष्पक्ष चुनाव कराये तो क्या सरकार उन्हें इस कर्तव्यपरायणता की सजा देगी ? साफ़ नज़र आ रहा है बीजेपी प्रशासन का दुरूपयोग कर चुनाव जीतना चाहती थी, और अपने इस नापाक मंसूबे में असफल होने के बाद अब प्रशासनिक अधिकारियों में आतंक पैदा करने के लिये कलेक्टर एवं एसपी को हटाया गया है।

दमोह चुनाव की पराजय का दूसरा शिकार बीजेपी के वरिष्ठ नेता जयंत मलैया एवं उनके पुत्र सिद्धार्थ मलैया को बनाया जा रहा है।

यदि वास्तव में धनबल के साथ-साथ पूरी बीजेपी, पूरी सरकार, 22 मंत्री, कई विधायक और सांसद के दमोह में महीनों डेरा डालने के बाद भी यदि मलैया परिवार कांग्रेस को 17000 वोटों से जीत दिला सकते हैं, तब उनके वर्चस्व और राजनीतिक कौशल को देखते हुये उन्हें तत्काल मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बना देना चाहिये।

ये हार वास्तव में बीजेपी के हर उस नेता की है जो पूरे दो महीने दमोह में रहने के बाद भी अपने प्रत्याशी को जीत नहीं दिला सके, ये हार शिवराज की उस अनैतिक राजनीति की हार है जो ख़रीद-फ़रोख़्त से सत्ता हथियाने के लिये कुख्यात है, ये हार उन तमाम लोगों की हार है जो खुद को लोकतंत्र और संविधान से ऊपर समझते है।

दमोह में बीजेपी की हार शिवराज सरकार के एक साल के कार्यकाल पर जनता का मत है। ये हार बताती है कि बीजेपी ने पिछले एक साल में मध्यप्रदेश को कैसी सरकार दी है। मध्यप्रदेश की सौदेबाज़ी की सरकार में आज हर व्यक्ति पीड़ित है, फिर भी सरकार अपनी झूठी वाहवाही और विज्ञापनबाज़ी में लगी हुई है।

मुझे ये कहते हुये गर्व होता है कि दमोह में कांग्रेस को मिली प्रचंड जीत दमोह की जनता की जीत है, सच्चाई की जीत है, लोकतंत्र की जीत है, हमारे आदर्शवादी सिद्धांतों की जीत है।

शुक्रवार, 7 मई 2021

इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह जी को हटाने की गहरी साजिश कर रहा है मेडिकल माफिया और तथाकथित व्‍यवसायिक संस्थान ?

 इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह जी को हटाने की गहरी साजिश कर रहा है मेडिकल माफिया और तथाकथित व्‍यवसायिक संस्थान ?



ANI NEWS INDIA

इंदौर । कलेक्टर और दो लापरवाह, गैर जिम्मेदार सरकारी डॉक्टरों पर कलेक्टर के कठोर रूप को अभद्र और अमर्यादित बता कर इस बात को एम.वाय अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों की मांगों से जोड़ना, राधा स्वामी कोविड सेंटर के निर्माण पर सवालिया प्रश्न खड़े करना, कलेक्टर को 24 घंटे मे हटाना आदि की मांग करना ये सब कैसे और किसके कहने पर किया जा रहा हैं️ ?


प्रदेश के सबसे व्‍यवसायिक और जनता के सरोकारों का धंधा करने वाला तथाकथित अखबार और कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा अपने फ्रंट पेज पर जिस तरह की हेडिंग मे खबर छाप रहा है !


जबकि सबको पता है कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल और मांगे राज्य सरकार से है उनके मुद्दे सर्वथा अलग हैं️, उनकी मांगों और मुद्दों का कलेक्टर से कोई लेना-देना नहीं हैं️।

इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह की जनता से जुड़े किसी भी प्रशासनिक और सरकारी कर्तव्य के लिए कर्मठता, परिश्रम, प्रतिबद्धता, जवाबदारी, जिम्मेदारी, और जुनून को ये शहर नकार नहीं सकता है!

इंदौर शहर की खासियत है कि यदि कोई इस शहर के लिए कुछ करता है तो उसके लिए वो कृतज्ञ होता हैं️, कृतघ्नय नहीं, इंदौर एहसान मानने वालों का शहर हैं️, एहसान फरामोश लोगों का शहर नहीं है!

अप्रत्याशित और बेताहाशा ईलाज के बिल बनाने वाले प्राइवेट अस्पतालों, मुनाफाखोरी, ब्लेक और कालाबाजारी करने वाले दवा विक्रेताओं, के खिलाफ जनता के हित में कलेक्टर का मुखर और कठोर दंडात्मक प्रशासनिक रवैया अपनाना इस शहर के मेडिकल माफिया, कतिपय दलाल सफेद पोशो को राश नहीं आ रहा है!

कई सरकारी जूनियर डॉक्टर, वरिष्ठ डॉक्टर के आर्थिक हित भी मेडिकल माफिया, प्राइवेट अस्पतालों और ब्लेक मार्केट दवा माफियाओं से जुड़े हैं।

इस वजह से जब इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन मे लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना काम की शिकायत प्राप्त होने पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पूर्णिमा और बीमार, असक्षम डॉ तोमर को कठोर शब्दों में हिदायत दी तो उक्त दोनों असक्षम और कामचोर सरकारी डॉक्टरों ने अपने व्यक्तिगत अहंकार मे आकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया!

कलेक्टर की अपने गैर जिम्मेदार और अहंकारी मातहतों पर इस विभागीय कार्रवाई को तिल का ताड़ बनाया जा रहा हैं और इसकी आड़ में एक मेहनती और तेजतर्रार कलेक्टर को हटाने की मुहिम को अंजाम दिये जाने की कोशिश की जा रही हैं।

वरिष्ठ पत्रकार स्व. शेष नारायण सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि

  

वरिष्ठ पत्रकार स्व. शेष नारायण सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि


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देश के वरिष्ठ पत्रकार आदरणीय श्री शेष नारायण सिंह जी को भी कोरोना ने लील लिया, अब वह हम सभी से दूर चले गए हैं। वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह जी 

देश और विदेश के राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर उनकी गहरी पकड़ थी, पत्रकारिता जगत में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए वे हमेशा जाने जाएंगे।

आपने हमारे "टाइम्स ऑफ क्राइम" समाचार पत्र में पिछले 15 सालों में उनके सैकड़ों लेख पढ़ें,  हम उनके स्तंभ लेखों को महत्वपूर्ण स्थान देकर पाठकों तक हमेशा पहुंचाते रहे। उनकी कमी "टाइम्स ऑफ क्राइम' TOC NEWS कभी पूरी नहीं कर पाएगा, आप हमेशा याद किए जाएंगे .


ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे व परिजनों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे। 

"टाइम्स ऑफ क्राइम' और TOC NEWS उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

संपादक 

विनय जी. डेविड

9893221036


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