ईडी की चंगुल में आए आरपी सिंह, विनोद तिवारी, रामगोपाल अग्रवाल, विधायक देवेंद्र यादव और सन्नी अग्रवाल |
- भूपेश के भय-भ्रष्टाचार-दमन के चक्र के कारण पूरी कांग्रेस पार्टी को होना पड़ा शर्मिंदा
- ईडी के दायरे में राज्य के आला पुलिस अफसर!
भोपाल // विजया पाठक
छत्तीसगढ़ का कोल परिवहन खनन घोटाला अब काफी चर्चित होने लगा है। ईडी ने अपनी चार्जशीट में 270 करोड़ की उगाही और इसकी बंदरबांट का लेखाजोखा पेश किया है इसमें 170 करोड़ रूपये सौम्या चौरसिया ने अपनी जेब में डाल लिये जबकि सूत्रों का कहना है कि 52 करोड़ रूपये से अधिक रूपये भूपेश बघेल के हाथ में पहुंचाये गए। यही नही 12 करोड़ रूपये से अधिक की रकम छत्तीसगड़ के पूर्व और वर्तमान विधायकों के अलावा अन्य नेताओं को उपलब्ध कराई गई थी। इतने बड़े घोटाले के बावजूद भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोपों के दायरे में आए अधिकारियों और कारोबारियों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत कोई प्रकरण दर्ज नही किया जबकि ईडी ने आरोपी अधिकारियों और कारोबारियों का पूरा ब्यौरा कोर्ट में प्रस्तुत किया है। बताते हैं कि ईडी आर्थिक अपराधों की जांच कर रही है वह सिर्फ मनी लांड्रिंग तक सीमित है, जबकि आरोपियों के अपराध आईपीसी की कई धाराओं के दायरे में है।
आखिर जिसकी आशंका थी वही बात सच साबित हुई। दरअसल सौम्या चौरसिया पर प्रवर्तन निदेशालय ने जो दूसरी चार्टशीट प्रस्तुत की उसमें कांग्रेस में उपरोक्त नेताओं के नाम भी थे। ईडी के सूत्रों के मुताबिक अब उनकी नजर प्रदेश के आईपीएस लॉबी के अलावा उनके पुत्र का भी नाम है! पूछताछ में उनके पुत्र का नाम लिया गया है। ऐसे में कहना अतिश्योक्ति नहीं कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पापों का घड़ा भरता नजर आ रहा है। ईडी द्वारा हाल ही में पेश की गई चार्जशीट में शामिल बघेल और चौरसिया के करीबियों के नाम को देखने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि भूपेश बघेल और सौम्या चौरसिया के लिए आने वाले दिनों में समस्या और बढ़ सकती है। एक तरफ प्रदेश में ईडी और आयकर विभाग की टीम सक्रियता के साथ कार्य कर रही है। वहीं, दूसरी इस हफ्ते कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन होना है।
ऐसे में राष्ट्रीय अधिवेशन से पू्र्व ही राज्य में बड़े उलटफेर की संभावनाएं बन रही हैं। बताया जा रहा है कि बघेल और चौरसिया के जिन करीबियों के नाम ईडी ने चार्जशीट में शामिल किये हैं उनमें कई ऐसे हैं जिनके पास बघेल और चौरसिया के भ्रष्टाचारों का पुलिंदा है। चार्जशीट में ईडी ने स्पष्ट तौर पर इस बात का उल्लेख किया है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उपसचिव सौम्या चौरसिया के करीबियों के पास मौजूद दस्तावेज बघेल और चौरसिया के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा आरिफ शेख, अभिषेक माहेश्वरी, आनंद छाबरा, अभिषेक पल्लव, प्रशांत अग्रवाल, भोजराम पटेल और दीपांशु काबरा जैसे पुलिस महकमे के अधिकारियों की भी गिरफतारी की आशंका जताई जा रही है। जिन्होंने भूपेश सरकार में जमकर अपने पद का दुरूपयोग किया है और अपने पद के दुरूपयोग करते हुए आमजन के साथ-साथ मीडियाकर्मियों को काफी परेशान किया। इसके अलावा भूपेश के काले कारनामों में साथ दिया।
बघेल के करीबी आरपी सिंह समेत अन्य कांग्रेस नेताओं की सक्रियता संदेह के घेरे में
इस बात से नेता, अफसर और जनता सभी अच्छी तरह से परिचित हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबियों में आरपी सिंह का नाम शीर्ष पर है। आरपी सिंह मुख्यमंत्री बघेल के सभी काले-पीले कारनामों का हिसाब रखते हैं और समय-समय पर बघेल के इशारे पर विपक्षी दलों पर बयानबाजी करते दिखाई देते हैं। कहने को तो आरपी सिंह पार्टी प्रवक्ता हैं, लेकिन जिस हिसाब से उनके ठाठ हैं उसको देखकर साफतौर पर कहा जा सकता है कि एक पार्टी प्रवक्ता इतना धनवान भला कैसे हो सकता है। पार्टी कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर खासी चर्चा है। पार्टी कार्यकर्ताओं में आरपी सिंह द्वारा रायपुर के डीडी नगर इलाके में तैयार करवाई जा रही हवेली की चर्चा भी आम है। हर कोई इस बात को लेकर अचंभित हैं कि कभी रुपये-रुपये के लिए मोहताज आरपी सिंह अचानक अरबपति कैसे बन गया। चर्चा इस बात को लेकर भी है कि कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी और आरपी सिंह के बीच बड़ा आर्थिक लेन-देन हुआ है, जिसके बाद सिंह का बर्ताव ही बदल गया है।
रमन सरकार में अफसर ने लगाया था मानहानि का केस
बताया जाता है कि रमन सरकार के खिलाफ फालतू की बयानबाजी को लेकर आरपी सिंह पर रमन सिंह के प्रमुख सचिव अमन सिंह ने मानहानि का केस भी दर्ज किया था। उस समय आरपी सिंह टीएस सिंहदेव के पास हुआ करते थे। लेकिन बदलते समय के साथ ही आरपी सिंह ने पहले ही भाप लिया था कि आगामी सरकार में बघेल मुख्यमंत्री हो सकते हैं इसलिए उन्होंने तुरंत टीएस सिंह देव का पल्ला छोड़ भूपेश बघेल का पल्ला पकड़ लिया था। इसके बाद जब कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह और टीएस सिंहदेव के बीच संघर्ष छिड़ा तो उसकी नींव रखने वालों में भी आरपी सिंह का नाम बताया जाता है।
ईडी की चार्जशीट में आरपी सिंह पर दर्ज है 50 लाख रूपये
सूत्रों का कहना है कि ईडी द्वारा जारी की गई चार्जशीट में आरपी सिंह के नाम पर 50 लाख रुपये की राशि दर्ज है। यह राशि उन्होंने कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी से कोयला घोटाला करने के लिए ली थी। ईडी ने सौम्या चौरसिया के खिलाफ पेश की गई चार्जशीट में उन पन्नों का हवाला भी दिया है, जिसमें कई कांग्रेसी नेताओं को दी जाने वाली नगद रकम का हिसाब-किताब दर्ज है।
अफसरों की नियुक्तियां भी संदेह के घेरे में
भूपेश बघेल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है। राज्य के भीतर भ्रष्टाचार इस तरह से चरम पर पहुंच चुका है कि अब उसके दायरे में आईएएस अफसर भी आ गये हैं। राज्य के भीतर इन दिनों इस बात को लेकर खासी चर्चा चल रही है कि बघेल सरकार युवाओं को रोजगार देने के बजाय भ्रष्ट अफसरों को रिटायरमेंट के बाद भी नियुक्ति पर रख रही है। ताजा मामला रिटायर्ड निरंजन दास से जुड़ा है। निरंजन दास को बघेल के करीबी अफसरों में गिना जाता है। यही कारण है कि बघेल ने रिटायरमेंट के तुरंत बाद ही निरंजन दास को संविदा नियुक्ति देते हुए उन्हें कई प्रमुख विभागों का दायित्व सौंप दिया है। निरंजन दास को आबकारी विभाग में आबकारी आयुक्त बनाया गया है। जबकि देखा जाये तो निरंजन दास रिटायरमेंट के पहले से ही इस विभाग में डटे हुए थे और उन्होंने रमन सरकार के जाते और बघेल सरकार के आने के बाद भ्रष्टाचार का अंधाधुंध खेल मचाया है जिसकी आंच अब बघेल के मंत्रालय और मुख्यमंत्री निवास तक आने लगी है। निरंजन दास एक मात्र नाम है। राज्य में ऐसे कई भ्रष्ट अफसर हैं जिनका पुनर्वास बघेल सरकार के कार्यकाल में अपनी रोटियां सेंकने के लिए किया गया है।
खैर भूपेश बघेल इसे बदले की कार्यवाही बोले पर 500 करोड़ के ऊपर की जब्ती और कार्टेल का जवाब किसी के पास नहीं है। शायद इसी के मद्देनजर उन्होंने प्रदेश में घोषित आपातकाल भी लगा कर रखा है ताकि मेरे जैसे लोगों को चुप कर सकें। अब इनके कदाचार के कारण ही कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन भूपेश के कारण शर्म में बदल जाएगा।