चर्च ऑफ नार्थ इंडिया ( Church Of North India ) |
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चर्च ऑफ नार्थ इंडिया ( Church Of North India ) के सभी सदस्यों के लिए खुशखबरी यह है कि अब चर्च के सदस्यों को सी. एन. आई. के पदाधिकारियों पर सिविल केस करने पर सदस्यता समाप्त करने का डर नही है।
अजमेर के सिविल कोर्ट ने बिशप दरबारा सिंह बनाम प्रेम चंद सिंह मॉडरेटर केस में 7/11 की एप्लिकेशन पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में स्प्ष्ट कर दिया है कि सी. एन. आई.संविधान कोई विधि (कानून) नही है जोकि किसी भी व्यक्ति को सिविल कोर्ट में जाने से रोक सके।भारत का प्रत्येक व्यक्ति न्याय हेतु सिविल न्यायालय में जाने के लिए स्वतंत्र है।
जबकि पिंटू तिवारी कोर्ट में चिल्ला चिल्ला कर दोहाई दे रहा था कि साहब सी.एन. आई. का अपना संविधान है , इस केस में वादी सिविल न्यायालय में नही जा सकता है। सी. एन. आई. के सदस्यों के लिए पास्ट्रेट कोर्ट, डायसिसन कोर्ट और सिनोड कोर्ट है।
लेकिन कोर्ट ने पिंटू तिवारी की कोई बात नही मानी।
सी. एन. आई. की कलीसियाओं अब जाग जाओ और इनके गलत कामो के खिलाफ आवाज़ उठाओ और खुल कर सिविल न्यायालय में अपने अधिकारों के लिए लड़ो। अब सी. एन. आई. के किसी भी सदस्य की सदस्यता समाप्त नही हो सकती।