( टाइम्स ऑफ़ क्राइम // सीधी बात )
हमारे भारत देश में तीरंदाजी विश्व सीनियर आर्चरी प्रतियोगिता में चैंपियनशिप का muskan kirar रजत मेडल आने के बाद खुशी का माहौल है परंतु तीरंदाजी कोच के परिवार में "कहीं खुशी कहीं गम" का माहौल बना हुआ है,
[caption id="attachment_34569" align="alignnone" width="300"] रिचपाल सिंह सलारिया तीरंदाजी नेशनल कोच[/caption]एक तरफ खुशी इस बात की है कि तीरंदाजी कोच रिचपाल सिंह सलारिया अपने परिवार में पत्नी और बेटी को एक एक वक्त के खाने के लिये मोहताज कर दिया और बेटे को जम्मू में एक गम्भीर बीमारी में मौत के मुंह में छोड़ कर जिसका इलाज पिछले 4 सालों से नहीं करवाया, बेटा तड़प-तड़प कर आज अपनी मौत की भीख मांग रहा है को बिंदास छोड़कर देश के लिए मेडल लाने की जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं, मेहनत भी रंग ला रही है और देश को मेडल मिल रहे हैं
[caption id="attachment_34567" align="alignnone" width="300"] रिचपाल सिंह सलारिया तीरंदाजी नेशनल कोच[/caption]मध्य प्रदेश का खेल विभाग मध्य प्रदेश के खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया भी इस मेडल पाने से बेहद खुश और शुभकामनाएं प्रेषित कर रहे हैं, स्वभाविक है खुशी का माहौल है और शुभकामनाएं दी भी जाना चाहिए, मध्यप्रदेश में तीरंदाजी विजेता मुस्कान किरार और उनके कोच रिछपाल सिंह सलारिया के साथ पूरा मध्यप्रदेश इस खुशी के माहौल में सराबोर होकर आज खुशियां मना रहा है यहां तो खुशी का माहौल है यहां तो खुशी है ।
[caption id="attachment_34568" align="alignnone" width="300"] रिचपाल सिंह सलारिया तीरंदाजी नेशनल कोच[/caption]
वही इस ग्लैमर की दुनिया से दूर इस खुशियों से दूर राष्ट्रीय तीरंदाजी कोच रिचपाल सलारिया का परिवार बेटी बेटियां आज दूसरों के रोटियों के टुकड़ों के मोहताज हैं, बेटे की पढ़ाई बरसों पहले छूट गई, बिस्तर पर पड़ा पड़ा है अपने इलाज के लिए तरस रहा हैं बेटी के पास स्कूल की पढ़ाई के लिए पैसे का इंतजाम नहीं, सालों सुबह स्कूल भी नहीं जा पा रही है।
बेटी अभी छोटी है वह अपने कैरियर को लेकर अभी कुछ सोच भी नहीं सकती और उसे दो वक्त के रोटी के लाले पड़े हुए। ऐसी स्थिति में परिवार में गम होना लाजमी है, राष्ट्रीय कोच रिचपाल सलारिया मेडल को लेकर चाहे जितने भी खुश हो ले, देश हमारा चाहे जितना भी खुश हो ले, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, खेल मंत्री, मध्य प्रदेश खेल विभाग भी चाहे जितने खुशी मना ले, चाहे जितना खुश होना हो हो ले परंतु यह पीड़ा का एहसास भी करना चाहिए कि इस व्यक्ति का परिवार देश के मेडल लाने के लिय बर्बाद हो गया दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर है।
[caption id="attachment_34571" align="alignnone" width="222"] रिचपाल सिंह सलारिया तीरंदाजी नेशनल कोच की बेटी मन्नू[/caption]
इस मामले के पीछे की कहानी आखिर क्या है यह भी समझना चाहिए रिचपाल सलारिया की पत्नी मोहिनी सलारिया ने पिछले दिनों अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए अपने बच्चों के हक के लिए जबलपुर में पहुंचकर रिछपाल सलारिया और उसकी छात्रा के बीच अवैध संबंध होने के आरोप लगाए थे, उनकी पत्नी का आरोप था कि रिचपाल अवैध संबंध के खातिर अपने बीवी बच्चों को छोड़कर अय्याशी में जुटा हुआ है, जबलपुर की पूरी मीडिया के सामने आरोप ये भी लगाया था कि उसने रिचपाल को उसकी छात्रा के साथ उसने रंगे हाथ अवैध संबंध करते पकड़ा भी था,
जबलपुर में स्थित रानीताल अकैडमी में बड़ा हो हल्ला भी हुआ था, रिचपाल के ऊपर एक एफआईआर दर्ज हुई थी वही उसकी पत्नी मोहनी के ऊपर भी एकेडमी की एक कोच रश्मि के द्वारा एक एफ आई आर भी दर्ज करवाई गई थी। जो कुछ भी हुआ अच्छा हो या बुरा, परंतु एक कोच के बलिदान को याद रखना चाहिए कि उसने देश में मेडल लाने के लिए अपने परिवार पत्नी बेटी बेटे को मर मिटने के लिये छोड़ दिया ।
जम्मू की एक कोर्ट ने की इस मामले में दखल देते हुए परिवार के घर रहने की व्यवस्था और कुछ खर्चे मात्र 10 हज़ार रुपये देने की व्यवस्था करने के आदेश पारित किए थे, उसकी पूर्ति करने में भी राष्ट्रीय तीरंदाजी कोच रिचपाल सिंह सलारिया असमर्थ रहे।
अपने खेल और मेडल की जुनून में इन्होंने माननीय न्यायालय के आदेश की भी परवाह ना की, ऐसे बलिदानी कोच के लिए शुभकामनाएं तो बनती हैं।
आज समाचार पत्र की सुर्खियां और पिछले दिनों बनी सुर्खियां भी यही बयां करती हैं।