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इंदौर । कलेक्टर और दो लापरवाह, गैर जिम्मेदार सरकारी डॉक्टरों पर कलेक्टर के कठोर रूप को अभद्र और अमर्यादित बता कर इस बात को एम.वाय अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों की मांगों से जोड़ना, राधा स्वामी कोविड सेंटर के निर्माण पर सवालिया प्रश्न खड़े करना, कलेक्टर को 24 घंटे मे हटाना आदि की मांग करना ये सब कैसे और किसके कहने पर किया जा रहा हैं️ ?
प्रदेश के सबसे व्यवसायिक और जनता के सरोकारों का धंधा करने वाला तथाकथित अखबार और कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा अपने फ्रंट पेज पर जिस तरह की हेडिंग मे खबर छाप रहा है !
जबकि सबको पता है कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल और मांगे राज्य सरकार से है उनके मुद्दे सर्वथा अलग हैं️, उनकी मांगों और मुद्दों का कलेक्टर से कोई लेना-देना नहीं हैं️।
इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह की जनता से जुड़े किसी भी प्रशासनिक और सरकारी कर्तव्य के लिए कर्मठता, परिश्रम, प्रतिबद्धता, जवाबदारी, जिम्मेदारी, और जुनून को ये शहर नकार नहीं सकता है!
इंदौर शहर की खासियत है कि यदि कोई इस शहर के लिए कुछ करता है तो उसके लिए वो कृतज्ञ होता हैं️, कृतघ्नय नहीं, इंदौर एहसान मानने वालों का शहर हैं️, एहसान फरामोश लोगों का शहर नहीं है!
अप्रत्याशित और बेताहाशा ईलाज के बिल बनाने वाले प्राइवेट अस्पतालों, मुनाफाखोरी, ब्लेक और कालाबाजारी करने वाले दवा विक्रेताओं, के खिलाफ जनता के हित में कलेक्टर का मुखर और कठोर दंडात्मक प्रशासनिक रवैया अपनाना इस शहर के मेडिकल माफिया, कतिपय दलाल सफेद पोशो को राश नहीं आ रहा है!
कई सरकारी जूनियर डॉक्टर, वरिष्ठ डॉक्टर के आर्थिक हित भी मेडिकल माफिया, प्राइवेट अस्पतालों और ब्लेक मार्केट दवा माफियाओं से जुड़े हैं।
इस वजह से जब इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन मे लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना काम की शिकायत प्राप्त होने पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पूर्णिमा और बीमार, असक्षम डॉ तोमर को कठोर शब्दों में हिदायत दी तो उक्त दोनों असक्षम और कामचोर सरकारी डॉक्टरों ने अपने व्यक्तिगत अहंकार मे आकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया!
कलेक्टर की अपने गैर जिम्मेदार और अहंकारी मातहतों पर इस विभागीय कार्रवाई को तिल का ताड़ बनाया जा रहा हैं और इसकी आड़ में एक मेहनती और तेजतर्रार कलेक्टर को हटाने की मुहिम को अंजाम दिये जाने की कोशिश की जा रही हैं।