Shobha Ojha // Narottam Mishra ई-टेंडरिंग मामले में |
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भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने आज जारी अपने वक्तव्य में कहा कि ई-टेंडरिंग घोटाला, मध्यप्रदेश के इतिहास में हुए, अब तक के सबसे बड़े घोटालों में से एक है और इन ई-टेंडरों की समूची प्रक्रिया में, तत्कालीन भाजपा सरकार के संरक्षण के चलते अधिकारियों ने मंत्रियों और भाजपा नेताओं के चहेतों को बेजा लाभ पहुंचाने के लिए तरह-तरह की छेड़छाड़ की।
इस मामले में हुई एक पूर्व मंत्री के निज-सहायकों निर्मल अवस्थी और वीरेन्द्र पांडे की गिरफ्तारी से यह तय हो गया है कि कांग्रेस पार्टी की कमलनाथ सरकार, अपने वचन-पत्र में ई-टेंडरिंग घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने के अपने वचन के प्रति प्रतिज्ञाबद्ध है और वह प्रदेश की जनता को यह विश्वास दिलाती है कि इस घोटाले के द्वारा, जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों से भ्रष्टाचार के महल खडे़ करने वाले रसूखदारों और बड़ी मछलियों को भी किसी हाल में बख्शा नहीं जायेगा।
आज जारी अपने वक्तव्य में श्रीमती ओझा ने उपरोक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 5 मई 2018, को मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्राॅनिक विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री मनीष रस्तोगी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हो रही गड़बड़ियों को उजागर किया गया था। इस रिपोर्ट से उजागर हुए घोटाले के बाद इस प्रक्रिया के माध्यम से हुए 9 टेंडर्स को रद्द कर, मात्र दिखावे के लिए, उनका ब्यौरा भी मांगा गया था। इस पूरे मामले कोे, 6 सितंबर 2018, को देश के एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक ने भी प्रमुखता से छापा था।
श्रीमती ओझा ने कहा कि श्री रस्तोगी की रिपोर्ट के निष्कर्षों से अचंभित प्रदेश के मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने 14 मई 2018, को राज्य पुलिस की, आर्थिक अपराध शाखा को भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी इलेक्ट्राॅनिक रिकाॅर्ड्स में हेरफेर सहित है किंग के खिलाफ मामला दर्ज करने के निर्देश दिये थे,
लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि मुख्य सचिव के द्वारा दिये गए इन कड़े निर्देशों को बावजूद, तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा इस गंभीर मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई और न ही मामले से संबंधित अहम सबूतों, जैसे संबंधित सर्वर, कम्प्यूटर्स, हार्ड डिस्क, लैपटाॅप, पैन ड्राइव्स इत्यादि को समय रहते जब्त किया गया, इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार ने, इस बीच दोषियों को अहम सबूतों को मिटाने का पर्याप्त अवसर जान-बूझ कर दिया।
भाजपा की पिछली प्रदेश सरकार की कार्यशैली और मंशा पर उक्त गंभीर आरोप लगाते हुए श्रीमती ओझा ने आगे कहा कि आर्थिक अपराध शाखा ने बेहद लचर रवैया अपनाते हुए मुख्य सचिव से मिले निर्देशों के एक महीने बाद 21 जून 2018, को एक प्रारंभिक जांच (PE) दर्ज की और घोटाले की भयावहता के बावजूद, आर्थिक अपराध शाखा द्वारा प्रारंभिक जांच में ढीलाई बरती गई और पूरे घोटाले को ‘‘मैनेज’’ करने के लिए इस जांच में चहेते अधिकारियों की नियुक्तियां भी की गईं। इस घोटाले की विशालता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी सहित, सभी विपक्षी दलों और मीडिया द्वारा पूरे घोटाले को लगभग 30000 करोड़ रूपये का होने का अनुमान जाहिर किया गया था।
श्रीमती ओझा ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर अनुमानित इस घोटाले से साफ है कि यह घोटाला निचले स्तर के अधिकारियों के बूते की बात नहीं थी। इस मामले में निश्चित ही ‘‘सत्ता के शीर्ष लोग’’ भागीदार रहे होंगे, अपने दो निजी सहायकों की गिरफ्तारी से बौखलाये पूर्व मंत्री और भाजपा नेता श्री नरोत्तम मिश्रा की इस मामले में व्यक्त की गई प्रतिक्रिया बिल्कुल ‘‘चोर की दाढ़ी में तिनका’’ जैसी है,
फिर भी उनका यह कहना बिल्कुल ठीक है कि इस मामले में अभी छोटी मछलियों की गिरफ्तारी हुई है, लेकिन वे आश्वस्त रहें कि प्रदेश में अब कमलनाथ जी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की ईमानदार सरकार है और उसकी जांच एजेंसिया पूर्ण निष्पक्षता से काम करते हुए, इस गंभीर घोटाले में शामिल बड़ी से बड़ी मछलियों को भी बख्शने वाली नहीं हैं।