टाइम्स ऑफ़ क्राइम
मुंबई। हाल ही में सामने आए साढ़े 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के PNB घोटाले को देश का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा था, लेकिन अब ऐसा ही एक और घपला सामने आया है। PNB घोटाले के बाद अब मुंबई के आयकर विभाग ने 3200 करोड़ के टीडीएस घोटाले का खुलासा किया है, जिसको लेकर 447 कंपनियां इसके घेरे में आ गईं हैं। आरोप है कि इन कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की तनख्वाह से टैक्स की रकम तो काट ली, लेकिन उसे आयकर में जमा करवाने की बजाय अपना व्यापार बढ़ाने में लगा दिया।
मामले के सामने आने के बाद आयकर विभाग के टीडीएस विंग ने इन कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। साथ ही कुछ मामलों में वारंट भी जारी किए गए हैं। अगर कंपनियों पर आरोप साबित हो जाते हैं तो इस मामले में तीन महीने से लेकर 7 साल तक की जेल का प्रावधान है।
खबरों के अनुसार आयकर विभाग इस मामले में आईपीसी की धाराओं के तहत धोखाधड़ी और आपराधिक मामले भी दर्ज कर रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि आरोपियों में से एक नामी बिल्डर भी है, जो राजनीति से जुड़ा है। कर्मचारियों से काटे गए 100 करोड़ टीडीएस को बिल्डर ने अपने ही बिजनस में निवेश कर दिया।
गौरतलब है कि कर्मचारियों के वेतन से टीडीएस काटकर उसे जमा नहीं करने पर आयकर अधिनियम के तहत तीन महीने के सश्रम कारावास की सजा का प्रावधान है, वहीं अधिकतम सात साल की सजा भी दी जा सकती है। ऐसे मामलों में अभियोजन की धारा 276 बी के तहत कार्रवाई शुरू की जाती है।
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क्या होता है TDS का नियम :
दरअसल, कंपनियों में कार्य करने वाले कर्मचारियों में से टैक्स देने वाले कर्मचारियों के वेतन में से टैक्स काटकर कंपनियां सरकार को जमा करा देती है और बाकि का वेतन कर्मचारियों को दे देती है। इससे आईटी रिटर्न भरते समय कर्मचारियों को इसकी चिंता नहीं करनी होती है। इसके तहत महीना खत्म होने के 7 दिन के भीतर टैक्स रिमिट करना होता है। पेमेंट को तिमाही तौर पर जमा कराया जा सकता है। कंपनियां यह पैसा ई पेमेंट या बैंक ब्रांच में जमा करवा सकती हैं।
दरअसल, कंपनियों में कार्य करने वाले कर्मचारियों में से टैक्स देने वाले कर्मचारियों के वेतन में से टैक्स काटकर कंपनियां सरकार को जमा करा देती है और बाकि का वेतन कर्मचारियों को दे देती है। इससे आईटी रिटर्न भरते समय कर्मचारियों को इसकी चिंता नहीं करनी होती है। इसके तहत महीना खत्म होने के 7 दिन के भीतर टैक्स रिमिट करना होता है। पेमेंट को तिमाही तौर पर जमा कराया जा सकता है। कंपनियां यह पैसा ई पेमेंट या बैंक ब्रांच में जमा करवा सकती हैं।