शोपियां गोलीबारी |
टाइम्स ऑफ़ क्राइम // times of crime
जम्मू कश्मीर के शोपिया में हुए पत्थरबाजी के मामले में मेजर आदित्य के खिलाफ हुए एफआईआर पर सुनवाई करते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनपर किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इसके बाद जम्मू कश्मीर सरकार ने यू टर्न ले लिया। सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उनका नाम एफआईआर में दर्ज नहीं है। कोर्ट ने केन्द्र एवं राज्य सरकार से दो हफ्तों के अंदर जवाब मांगा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी।
गौरतलब है कि शोपिया में सेना के काफिले पर स्थानीय युवकों द्वारा पत्थरबाजी की गई थी जिसके बाद अपनी सुरक्षाबलों द्वारा की गई फायरिंग में 2 स्थानीय युवकों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने सेना के अधिकारी मेजर आदित्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया था। बता दें कि मेजर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) करमवीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपने बेटे के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की याचिका दायर की थी।
आपको बता दें कि मेजर आदित्य के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह ने कहा है कि 10 गढ़वाल राइफल्स में मेजर उनके बेटे को एफआईआर में गलत और मनमाने ढंग से नामजद किया गया है, क्योंकि यह घटना अफस्पा वाले एक क्षेत्र में सैन्य ड्यूटी पर जा रहे सैन्य काफिले से जुड़ी है। इस सैन्य काफिले को घेरकर भीड़ ने उस पर पथराव किया जिससे कई सैन्य वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
मेजर आदित्य के पिता ने कहा कि उनके बेटे का मकसद तो सिर्फ सैनिकों और सरकारी संपत्तियों को नुकसान से बचाना था। स्थिति नियंत्रण के बाहर हो जाने के बाद ही गोली चलाने के आदेश दिए गए थे। उन्होंने इसके लिए पिछले साल भीड़ द्वारा डीएसपी अयूब पंडित की पिटाई का भी उदाहरण दिया।
यहां बता दें कि मेजर आदित्य कुमार समेत सेना की 10 गढ़वाल यूनिट के कर्मियों पर रणबीर दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 307(हत्या के प्रयास) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है। दरअसल शोपिया के गनोवपोरा गांव में जब सैन्य कर्मियों ने पथराव कर रही भीड़ पर गोलिया चलाई थीं तब 2 नागरिक मारे गए थे। उसके बाद मुख्यमंत्री ने इस घटना की जांच का आदेश दिया था।