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सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA, अफस्पा) पर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बड़ा बयान दिया है। सेना प्रमुख ने कहा है कि अभी वक्त नहीं आया है कि इस एक्ट में नरमी लाई जाए। पिछले कई वक्त से इस एक्ट में बदलाव की मांग की जा रही है।
कश्मीर और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में सेना को इस कानून के तहत कई विशेषाधिकारी दिए गए हैं। जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री और कई ह्यूमन राइट ऑर्गनाइजेशन भी इस एक्ट में कुछ हल्कापन लाने की मांग कर चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सेना प्रमुख ने कहा कि मैं सोचता हूं कि अभी ऐसा वक्त नहीं आया है कि इस एक्ट में बदलाव या इस पर विचार किया जाए।
मीडिया में यह बात भी निकलकर सामने आई थी कि सरकार इस कानून को थोड़ा लचीला और नरम बनाने पर विचार कर रही है। यह कानून सेना को कार्रवाई को लेकर कुछ विशेषाधिकार देता है। इसमें बदलाव की मांग काफी अरसे से की जा रही है। सेना प्रमुख ने कहा कि इस एक्ट में कुछ प्रावधान कड़े हैं लेकिन, सेना हमेशा उन नियमों और एक्ट का पूरा पालन करके कार्रवाई को अंजाम देती है।
साथ ही सेना इस बात का पूरा ख्याल रखती है कि किसी प्रकार की जनहानि और क्षेत्रीय लोगों को परेशानी ना हो। गौरतलब है कि अफस्पा को लेकर कई बार बदलाव और पुनर्विचार की मांग उठ चुकी है। जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में इस अधिनियम के तहत को सेना को मिले विशेषाधिकार पर कई मानवाधिकारी संगठन भी बदलाव की मांग कर चुके हैं। पिछले दिनों मीडिया में इस पर सरकार द्वारा पुनर्विचार की खबरें भी आई थीं। इन खबरों पर सेना प्रमुख के बयान से फिलहाल विराम लग गया है।