नगर की तीनों सीमाओं पर मां चंडीका की नगरी पांढुर्णा में आपका हार्दिक स्वागत है स्वागत द्वार पर लिखने की की मांग |
ब्यूरो चीफ पांढुर्ना, जिला छिंदवाड़ा // पंकज मदान : 9595917473
पांढुरना (छिंदवाड़ा ) राजे फाउंडेशन पांढुरना द्वारा नगर की ऐतिहासिक धरोधर पाषाण युग मे माँ चंडिका की स्थापना कर नगर का विस्तार किया गया था,तभी से पांढुरना के जनमानस नागरिक माँ चंडिका को ग्राम देवी के रूप में पूजते आ रहे है,एवम नगर की धरोहर के रूप में पाषाण युगीन किल्ला भी विद्यमान था,समय के चलते पाषाण युग का किल्ला विलुप्त होता चला गया.
आदिवासी क्षेत्र के राजनरेश जाटबा राजा द्वारा इस नगर का विस्तार किया गया था,एवम उन्होंने ही अपनी कुल देवी के रूप के माँ चंडिका की स्थापना की थी किल्ला क्षेत्र नगर के बीचों-बीच एक टीले पर माँ चंडिका की स्थापना की गई थी।परन्तु राज्य पर आँखे गड़ाए भोसले नरेश द्वारा इस क्षेत्र को अपने क़ब्जजे मे लेने हेतु क्षेत्र पर आक्रमण किया गया,आदिवासी लोगो के पास शस्त्रों की कमी होने के चलते जाटबा राजा की सेना ने पत्थरो को अपना औजार बनाकर भोसले राजा की सेना पर जाटबा राजा की सेना ने पत्थरो की बौछार कर भोसले राजा की सेना को परास्त कर दिया,तभी से उसकी याद में नगर में गोटमार मेले का आयोजन होता है,यह गोटमार मेला विश्व मे अपनी अनोखी पहचान बना चुका है,
आज देश विदेश में पांढुरना को गोटमार मेले के कारण पहचाना जाता है।इस पहचान के रूप मे नगर के शिवाजी राजे फाउंडेशन द्वारा मुख्य नगर पालिका के नाम ज्ञापन सौपते हुए यह मांग की गई कि,पांढुरना नगर की ग्राम देवी का धार्मिक आध्यात्म को देखते हुए,नगर के मुख्य मार्गो पर,नागपुर रोड, अमरावती रोड, एवम इंदौर रोड पर बने नवनिर्मित स्वागतद्वार पर "माँ चंडिका नगरी पांढुरना में आपका हार्दिक स्वागत है" नाम अंकित करने की मांग की गई,जिस प्रकार बाकी धार्मिक स्थानों के महत्व को ध्यान में रखकर नाम अंकित किये है,
जैसे शिरडी,खंडवा,अमरावती,मुलताई,शनिशिंगनापुर,स्थानों पर स्वागत द्वार पर नाम अंकित किये गए है,उसी अनुसार पांढुरना के महत्व को ध्यान में रखते हुए,स्वागतद्वार पर सुनहरे अक्षरों से नाम अंकित करने की मांग की गयी। जिसमे हरीश गायधने, नरेंद तहकित, राहुल पवार, हर्षद घाटोडे, निहिल साबारे, तुषार हिवसे आदि सदस्य उपस्थित थे।